बड़ी खबर: देहरादून के खाद्य सुरक्षा अधिकारी व स्पेक्स संस्था के सचिव को मानवाधिकार आयोग ने किया नोटिस जारी। पढ़ें पूरी खबर - Mukhyadhara

बड़ी खबर: देहरादून के खाद्य सुरक्षा अधिकारी व स्पेक्स संस्था के सचिव को मानवाधिकार आयोग ने किया नोटिस जारी। पढ़ें पूरी खबर

admin
IMG 20220115 WA0008
देहरादून/मुख्यधारा
उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग ने देहरादून के खाद्य सुरक्षा अधिकारी एवं स्पेक्स संस्था के सचिव बृजमोहन शर्मा को मिलावटी सरसों के तेल के मार्का कंपनी आदितय एवं बेचने वालों की जानकारी न देने के कारण नोटिस जारी किया है। वह अपनी आख्या 4 सप्ताह के भीतर आयोग के समक्ष पेश करेंगे।
बताते चलें कि देहरादून निवासी 12वीं कक्षा की छात्रा सृष्टि ने मानवाधिकार आयोग उत्तराखंड में एक जनहित याचिका दायर की थी। जिसमें कहा गया कि कुछ माह पूर्व मीडिया के सभी माध्यमों में एक खबर प्रमुखता से प्रकाशित हुई थी कि 28-10-2021 को प्रैस वार्ता में देहरादूनौ के स्पेक्स एनजीओ के सचिव डॉ.बृजमोहन शर्मा ने जानकारी दी थी कि उनकी एनजीओ ने जून से सितंबर, 2021 तक सरसों के तेल में मिलावट के परीक्षण के लिए अभियान चलाया, जिसमें उत्तराखंड राज्य के 20 स्थानों- जैसे देहरादून, विकासनगर, डोईवाला, मसूरी, टिहरी, उत्तरकाशी, ऋषिकेश, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, जोशीमठ, गोपेश्वर, हरिद्वार, जसपुर, काशीपुर, रुद्रपुर, राम नगर, हल्द्वानी, नैनीताल, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ से सरसों के तेल के 469 नमूने एकत्र थे, जिनमें से 415 नमूने मिलावटी पाए गए।
IMG 20220115 WA0005
डॉ. बृजमोहन शर्मा के अनुसार मसूरी, रुद्रप्रयाग, जोशीमठ, गोपेश्वर और अल्मोड़ा में सरसों के तेल के नमूनों में शत-प्रतिशत मिलावट पाई गई, वहीं जसपुर में न्यूनतम मिलावट 40% , काशीपुर में 50% पाई गई,उत्तरकाशी में 95%, देहरादून 94%, पिथौरागढ़ 91%, टिहरी 90%, हल्द्वानी 90%, विकास नगर 80%, डोईवाला 80%, नैनीताल 71%, श्रीनगर 80%, ऋषिकेश 75%, राम नगर 67%, हरिद्वार 65%, रुद्रपुर में 60 प्रतिशत मिलावट पाई गई ।
उपरोक्त नमूनों में पीले रंग यानी मेटानिल पीला, सफेद तेल, कैटर ऑयल, सोयाबीन और मूंगफली जिसमें सस्ते कपास के बीज का तेल होता है, और हेक्सेन की मिलावट का अधिक प्रतिशत पाया गया। बड़ी संख्या में स्वास्थ्य समस्याओं का कारण हमारे द्वारा खाया जाने वाला भोजन ही है, और यह हमेशा दाल, सब्जियों की गुणवत्ता के बारे में नहीं होता है बल्कि भोजन के तेल की गुणवत्ता के बारे में भी होता है।
सरसों के तेल में सस्ते आर्जीमोन तेल की मिलावट पाई जाती है जिससे जल शोथ (Ascites) रोग होते हैं,इसके लक्षणों में पूरे शरीर में सूजन, विशेष रूप से पैरों में और पाचनतंत्र संबंधी समस्याएं जैसे उल्टी, दस्त और भूख न लगना शामिल हैं, ऐसे में थोड़ी सी भी मिलावट जलन पैदा कर सकती है, जो कि उस समय तो कोई बड़ी बात नहीं लगती, परन्तु लंबे समय में इसके गंभीर प्रभाव हो सकते हैं।
सृष्टि ने स्पेक्स एनजीओ के सचिव डॉ.बृजमोहन शर्मा पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्होंने अपनी प्रैस वार्ता में यह तो सार्वजनिक तौर पर बताया कि सरसों के तेल के 469 नमूने में से 415 नमूने मिलावटी पाए गए और इस मिलावटी सरसों के तेल को प्रयोग करने से लोगों की सेहत पर विपरीत गंभीर परिणाम हो सकते हैं, परन्तु उन्होंने अपने प्रेस नोट में यह लिखित में नहीं बताया कि कौन-कौन सी कंपनी कौन-कौन से मार्का का सरसों का तेल मिलावटी हैं और किन-किन दुकानों, संस्थानों आदि से सैम्पल एकत्र किए गए। अगर किया गया होता तो आम जनता उस कंपनी के मिलावटी सरसों के तेल को प्रयोग करने से बच सकती थी।
IMG 20220115 WA0006
ऐसे में आमजनता के स्वास्थ्य पर प्रभाव डालने वालें सरसों के तेल के मार्का, कम्पनी आदि तथा जिन-दुकानों, संस्थानों से तेल के सैम्पल लिए गए, उन सबकी जानकारी स्पेक्स एनजीओ के सचिव डॉ.बृजमोहन शर्मा से मंगवाया जाना जन हित में है।
इस पर मानव अधिकार आयोग द्वारा छात्रा सृष्टि की शिकायत की गंभीरता को देखते हुए आयोग के सदस्य न्यायमूर्ति अखिलेश चंद शर्मा द्वारा जनहित याचिका पर तत्काल सुनवाई की गई और खाद्य सुरक्षा अधिकारी देहरादून एवं सपैक्स संस्था के सचिव डॉक्टर बृजमोहन शर्मा को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में आयोग में आख्या दाखिल करने के निर्देश दिए गए हैं।
Next Post

वीडियो: साढे चार करोड़ पुराने नोटों के साथ सात गिरफ्तार

हरिद्वार/मुख्यधारा गत रात्रि हरिद्वार जनपद से बड़ी खबर सामने आई, जहां स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) को हरिद्वार में रेड के दौरान 4 करोड़ 47 लाख रुपए पुरानी करेंसी के साथ सात लोगों को गिरफ्तार करने में सफलता मिली है। हिरासत […]
1642313561496

यह भी पढ़े