...तो राजीव भरतरी (Rajeev Bhartari) पर कार्रवाई कर सकती है सरकार! - Mukhyadhara

…तो राजीव भरतरी (Rajeev Bhartari) पर कार्रवाई कर सकती है सरकार!

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…तो पीसीसीएफ राजीव भरतरी (Rajeev Bhartari) पर बड़ी कार्रवाई कर सकती है सरकार!

देहरादून/मुख्यधारा

पीसीसीएफ राजीव भरतरी के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। उन पूर्व में कई गंभीर आरोप हैं। उत्तराखंड शासन ने अब इस पर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए उनको चार्जशीट देकर उनसे 25 मार्च तक स्पष्टीकरण मांगा है। यदि समय पर स्पष्टीकरण नहीं दिया गया या फिर संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया तो उन पर कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। यही नहीं उनकी पेंशन व भत्ते तक रोके जाने की संभावना है।

राजीव भरतरी पर आरोप है कि उन्होंने वर्ष 2016 से 2019 तक पीएचडी करने के लिए स्टडी लीव ली, किंतु पीएचडी पूरी नहीं की। यही कारण है कि उत्तराखंड शासन ने अब उनको चार्जशीट देते हुए आगामी 25 मार्च तक स्पष्टीकरण मांग लिया है। यदि समय पर स्पष्टीकरण नहीं दिया गया तो सरकार उन पर बड़ी कार्रवाई कर सकती है।

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बताया जाता है कि जिस कोर्स के लिए उनके द्वारा स्टडी लीव ली गई, उसे पूरा करने के बाद संबंधित डिग्री को सरकार में जमा कराना होता है, जबकि उनके द्वारा ऐसा नहीं किया गया। लीव के दौरान वे सरकार से पूरा वेतन लेते रहे।

उन पर यह भी आरोप है कि 2006-07 में कार्बेट में डायरेक्टर रहने के दौरान वहां कई जगहों पर अवैध निर्माण हुए। इस संबंध में प्रमुख सचिव वन आर सुधांशु द्वारा उन्हें भेजी गई चार्जशीट में उनसे जवाब मांगा गया है।

इसके अलावा वर्ष 2020 में शासन के निर्देश और चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन के पत्र के बावजूद कार्बेट हुई तमाम अनियमितताओं की शिकायत की जांच न करवाने के भी आरोप हैं। इसी तरह उन पर कई अन्य आरोप हैं, जिनका जवाब मांगा गया है।

इस संबंध में प्रमुख सचिव वन आरके सुधांशु का कहना है कि पीसीसीएफ राजीव भरतरी पर कई गंभीर तरह के आरोप हैं। कई बार स्पष्टीकरण मांगे जाने के बावजूद उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला। अब उन्हें आरोप पत्र दिया गया है, जिनका जवाब मांगा गया है। समय पर सही उत्तर नहीं मिला तो फिर कार्रवाई की जाएगी।

इस संबंध में भरतरी से उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई तो, किंतु उनसे संपर्क नहीं हो पाया।

बताते चलें कि बीती 24 फरवरी को कैट ने आदेश जारी कर उत्तराखंड सरकार को भरतरी को विभाग के विभागाध्यक्ष के पद पर पुन: बहाल करने के आदेश जारी किए थे। इसके बाद प्रदेश सरकार ने भरतरी को पद से हटाने की कार्रवाई की सही ठहराया और उन्हें बीती 10 मार्च को चार्जशीट दे दी थी। उन्हें 15 दिन के भीतर स्पष्टीकरण मांगा गया।

बताते चलें कि पाखरे टाईगर सफारी निर्माण मामले में अवैध रूप से पेड़ों के कटान व अवैध निर्माण संबंधी अनियमितताओं के चलते भरतरी को नवंबर 2021 में प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) के पद से हटाकर जैव विविधता बोर्ड के अध्यक्ष पद का दायित्व दे दिया गया।

वहीं उनके स्थान पर विनोद कुमार सिंघल को वन विभाग का नया चीफ बनाया गया। उक्त दोनों अधिकारी आगामी 31 अप्रैल 2023 को रिटायर होने जा रहे हैं।

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