गठबंधन : पांच साल सरकार चलाने के लिए पीएम मोदी की आसान नहीं डगर, टीडीपी और जेडीयू करते रहेंगे डिमांड, कांग्रेस ने कसा तंज
मुख्यधारा डेस्क
लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद राजनीति में पिछली बार की अपेक्षा इस बार कई चीजें बदल गई हैं । भले ही केंद्र में भारतीय जनता पार्टी तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है। लेकिन इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पहले और दूसरे टर्म के जैसी सरकार नहीं चला पाएंगे। वहीं दूसरी ओर भाजपा के अंदर भी हताशा का माहौल है। लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे बीजेपी के लिए मनमुताबिक नहीं रहे।
पार्टी को 240 सीटों पर जीत के साथ अकेले बहुमत नहीं मिला, हालांकि 293 सीटों के साथ एनडीए केंद्र में सरकार बनाने जा रही है। नई सरकार के गठन को लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं में भी इस बार जोश-उत्साह कम ही दिखाई दे रहा है।
चुनाव नतीजों के बाद नरेंद्र मोदी भी अभी तक अपने “सियासी लय” में नहीं आ पा रहे हैं।
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वहीं कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट करके नरेंद्र मोदी पर तंज कसते हुए लिखा- 30 अप्रैल 2014 को पवित्र नगरी तिरुपति में आपने आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा देने का वादा किया था। क्या वह वादा अब पूरा होगा? क्या आप विशाखापट्टनम स्टील प्लांट के निजीकरण को अब रोकेंगे? क्या आप बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देकर अपने 2014 के चुनावी वादे और अपने सहयोगी नीतीश कुमार की दस साल पुरानी मांग को पूरा करेंगे? क्या आप बिहार के जैसा ही पूरे देश में जाति जनगणना करवाने का वादा करते हैं?
दूसरी ओर सरकार में शामिल होने की तैयारी कर रहे टीडीपी, जदयू, शिंदे की शिवसेना और चिराग पासवान की लोजपा की मलाईदार मंत्रालयों की डिमांड बढ़ती जा रही है।
वहीं दूसरी ओर बिहार के सीएम नीतीश कुमार का आत्मविश्वास बढ़ा है। उन्हें इस बार बिहार में 12 सीटें मिली हैं। वह इस बार किंगमेकर की भूमिका में हैं। अगले साल बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव के दौरान नीतीश बड़े भाई की भूमिका में होंगे।
वहीं राजधानी दिल्ली में गुरुवार को बिहार बीजेपी अध्यक्ष और राज्य के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा ने बड़ा एलान करते हुए कहा है कि हम 2025 का विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ेंगे।
उन्होंने कहा कि बिहार में 1996 से हम नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ रहे हैं। उप मुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने भी सम्राट चौधरी की तर्ज पर बयान देते हुए कहा कि 2025 में नीतीश के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा।
उन्होंने कहा, ‘हमारे एनडीए के नेता हैं इसमें किसी को कहां शक है, इसमें कुछ लोग पिछले दरवाजे, चोर दरवाजे से घुसना चाहते हैं। राजद के लोग भ्रम का वातावरण बनाते हैं क्योंकि उनको हिम्मत नहीं है कि जनता का जनादेश लेकर सत्ता में आने का, इसलिए वो इस तरह का माहौल तैयार करते हैं।
लोकसभा चुनाव में भाजपा को पूर्ण बहुमत न मिलने पर पार्टी में भी निराशा का माहौल
चुनाव में भाजपा को पूर्ण बहुमत न मिलने पर पार्टी में निराशा का माहौल है। भाजपा नेताओं के एक बड़े वर्ग का मानना है कि खराब उम्मीदवार चयन और कुछ वरिष्ठ भाजपा नेताओं के अति आत्मविश्वास के कारण पार्टी को नुकसान हुआ। भारतीय जनता पार्टी को सबसे ज्यादा नुकसान उत्तर प्रदेश में हुआ है।
चुनाव से पहले पार्टी हाईकमान ने सोचा भी नहीं होगा इस बार यूपी इतना बड़ा झटका मिलेगा। वहीं पांच सालों में योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता बढ़ती गयी है और वह एक मजबूत नेता के रूप में सामने आए हैं।
राष्ट्रीय नेतृत्व में उनकी भूमिका को लेकर भी अटकलें लगाई जा रही थीं। ऐसे में कहा जा रहा है कि योगी द्वारा सुझाए गए कई उम्मीदवारों के नामों को स्वीकार नहीं किया गया और इन निर्वाचन क्षेत्रों में परिणाम पार्टी के लिए प्रतिकूल रहे हैं। सपा और कांग्रेस गठबंधन ने यूपी में 43 सीटें जीती हैं, वहीं, बीजेपी के खाते में 33 सीटें आयीं।
भाजपा की यहां हार का एक कारण पार्टी के भीतर असंतोष के साथ ही और पार्टी और केंद्र सरकार के बीच कई मुद्दों पर असहमति हो सकता है।ऐसे ही राजस्थान की पूर्व सीएम और बीजेपी की वरिष्ठ नेता वसुंधरा राजे के बीजेपी के चुनाव अभियान से दूर होने का राज्य में पार्टी के प्रदर्शन पर बुरा प्रभाव पड़ा। उनके कई वफादार समर्थकों को टिकट देने से इनकार कर दिया गया। भाजपा को इस बार अपने दम पर पूर्ण बहुमत न मिलने के बाद आने वाले समय में पार्टी के भीतर भी मंथन तेज हो सकता है और शीर्ष नेतृत्व की कार्यशैली में बदलाव के लिए आवाज उठ सकती है।
अब भाजपा को जिस तरह एनडीए के अपने सहयोगियों की बातें सुननी और उसे साथ लेकर चलने की मजबूरी के साथ चलना होगा। बता दें कि लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद नीतीश कुमार और टीडीपी मुखिया चंद्रबाबू नायडू किंगमेकर बनकर उभरे हैं।
एनडीए को 543 में से 293 सीटें मिलीं, जबकि इंडिया ब्लॉक को 233 जगहें मिल सकीं। भाजपा को 240 सीटों के साथ बहुमत तो मिला, लेकिन वो मैजिक नंबर 272 को नहीं छू सकी, जिसके दम वो अकेले सरकार बना सकती थी।
भाजपा समेत पूरा एनडीए फिलहाल आंध्रप्रदेश की तेलुगु देशम पार्टी और बिहार के जनता दल (यूनाइटेड) के भरोसे है, नीतीश की पार्टी जेडीयू को 12 सीटें मिली हैं जो एनडीए में टीडीपी (16) के बार सबसे बड़ी भागीदार है।