नीरज उत्तराखण्डी/ विकासनगर
जौनसारी (Jaunsari) बोली को भाषा का दर्जा दिलाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले जौनसारी कवि रत्न स्वर्गीय रतन सिंह जौनसारी व पं शिव राम शर्मा का भावपूर्ण स्मरण के साथ रवांल्टी बोली भाषा की भांति विगत रविवार को विकासनगर के जौनसार बावर भवन में प्रथम जौनसारी (Jaunsari) बावरी बोली भाषा का कवि सम्मेलन मुख्य अतिथि पदमश्री प्रेम चंद शर्मा की गरिमामयी उपस्थिति में आयोजित किया गया। देर से आए पर दुरूस्त की यह अभिनव पहल लोक बोली भाषा को बचाने में अहम भूमिका अदा करेगी।
सम्मेलन में लोक भाषा के 8 कवियों ने भाग लिया और कविता के माध्यम से जौनसारी रीति-रिवाजों, पलायन की पीड़ा पर्यावरण संरक्षण का संदेश सहित भ्रष्टाचार व राजनीति पर तंज कसे तो वहीं हास्य व श्रृंगार रस की कविता पढ़ कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर हंसने गुदगुदाने को मजबूर किया ।
मुख्य अतिथि पदमश्री प्रेम चंद शर्मा ने अपने कवि पाठ व संबोधन में लोक बोली भाषा को संरक्षित करने के व्यवहार में लाने तथा किसानों को जैविक खेती करने का संदेश दिया।
कवि सम्मेलन को चार चांद लगाने के लिए जाने-माने गीतकार खजान दत्त शर्मा दिल्ली से पधारे थे। इसके अलावा सुरेश मनमौजी, चतर सिंह गुरुजी, विनीता जोशी, सीमा शर्मा, किशन शाह आदि ने अपने प्रेम रस की कविताओं से सबको गुदगुदाया।
आयोजक मंडल के दो सदस्य पारंपरिक वेश में नारायण सिंह चौहान और अरविंद शर्मा ‘मटियानी’ ने न केवल यादगार कार्यक्रम का आयोजन किया, बल्कि शानदार संचालन भी किया।
कार्यक्रम में जौनसार बावर के अनेक लोक कलाकार, संस्कृति कर्मी, समाज सेवी, चिकित्सक बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
इस दौरान जौनसार बावर की सुप्रसिद्ध लोक गायिका शांति वर्मा जी के छोड़े गीत का लोकार्पण भी किया गया। इस अवसर पर कवि नीरज उत्तराखंडी को सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि जौनसारी में रामायण लिखने में तल्लीन श्रीचंद शर्मा विशिष्ट आशु कवि नरेश मेहता, लोक गायक एवं रंगकर्मी नन्द लाल भारती, खजान दत्त शर्मा, सुरेश मनमौजी, श्याम सिहं चौहान, संपादक भारत चौहान, भीम सिंह चौहान, सीता राम शर्मा, धर्मेन्द्र परमार, श्याम लाल भारती, अरविन्द राणा, शान्ति वर्मा , डाक्टर पूजा गौड़, राहुल वर्मा, उर्मिला चौहान, नारायण चौहान सहित कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।