Mahashivratri 2023: बम-बम भोले की गूंज से गुंजायमान हुई देवभूमि, गंगा घाटों पर लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी, शिवालयों में जलाभिषेक को उमड़े श्रद्धालु - Mukhyadhara

Mahashivratri 2023: बम-बम भोले की गूंज से गुंजायमान हुई देवभूमि, गंगा घाटों पर लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी, शिवालयों में जलाभिषेक को उमड़े श्रद्धालु

admin
image 1

Mahashivratri 2023: बम-बम भोले की गूंज से गुंजायमान हुई देवभूमि, गंगा घाटों पर लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी, शिवालयों में जलाभिषेक को उमड़े श्रद्धालु

महाशिवरात्रि पर्व पर गंगा घाटों पर लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी, शिवालयों में जलाभिषेक करने के लिए उमड़ी भारी भीड़

देहरादून/मुख्यधारा

महाशिवरात्रि का पर्व देश भर में धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। यूपी से लेकर उत्तराखंड तक भक्तों में अलग ही उत्साह देखने को मिल रहा है। महाशिवरात्रि पर्व को लेकर शिवालय सज हुए हैं। भक्तों का हुजूम मंदिरों में उमड़ रहा है। वाराणसी में श्रीकाशी विश्वनाथ के दरबार में भारी संख्या में भक्त पहुंचे हैं।

image 2

वहीं, कांवड़ लेकर प्रसिद्ध शिव मंदिरों में भगवान भोले को जलाभिषेक कर रहे हैं। महाशिवरात्रि के मौके पर प्रयागराज में सुबह से भक्तों का जमावड़ा संगम तट पर हो गया।संगम और गंगा घाटों पर भक्त डुबकी लगा रहे हैं। महाशिवरात्रि के स्नान के साथ ही माघ मेले का समापन हो जाएगा। वहीं हरिद्वार से ऋषिकेश तक लाखों भक्त गंगा में स्नान कर मंदिरों में पहुंचकर पूजा-अर्चना और जल चढ़ा रहे हैं।

यह भी पढ़े : उत्तराखंड के राशन विक्रेताओं के लिए अच्छी खबर, मिलेगा NFSA के अंर्तगत लाभांश का भुगतान

बता दें कि 700 साल बाद ऐसा मौका आया है जब महाशिवरात्रि पर पंच महायोग बना है। इसलिए आज पूजा-पाठ के अलावा खरीदी और नए कामों की शुरुआत भी शुभ रहेगी। शिवरात्रि पर केदार, शंख, शश, वरिष्ठ और सर्वार्थसिद्धि योग मिलकर पंच महायोग बना रहे हैं। इस दिन तेरस और चौदस दोनों तिथियां है। ग्रंथों में ऐसे संयोग को शिव पूजा के लिए बहुत खास बताया है।

b 1

आज शनि और सूर्य के अलावा चंद्रमा भी कुंभ राशि में विराजमान रहेंगे। कुंभ राशि में शनि, सूर्य और चंद्रमा के मिलने से त्रिग्रही योग का निर्माण होगा।

इसके अलावा महाशिवरात्रि पर शनि प्रदोष व्रत का भी शुभ संयोग भी है। ऐसे में अगर आपकी राशि पर शनि की साढ़ेसाती या शनि की ढैय्या का प्रभाव है, तो इस विशेष दिन कुछ उपाय करने से आपको राहत मिल सकती है। जल में काले तिल मिलाकर भगवान शिव का जलाभिषेक करना चाहिए। इससे साढ़ेसाती का दुष्प्रभाव कम होगा।

यह भी पढ़े : ब्रेकिंग: ट्विटर (Twitter) ने मुंबई और दिल्ली के ऑफिस किए बंद, भारत की टीम में अब सिर्फ 3 कर्मचारी

बता दें के कि प्रयागराज में लगभग सवा महीने से माघ मेला चल रहा था। वहीं, संगम तट पर लगे माघ मेले का महाशिवरात्रि स्नान के बाद औपचारिक समापन हो जाएगा। 44 दिनों तक संगम तट पर चले माघ मेले का आखिरी स्नान पर्व बेहद खास माना जाता है। श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं।

महादेव और माता पार्वती के विवाह के उत्सव महाशिवरात्रि पर उत्तराखंड और यूपी के अगल-अलग जिलें समेत वाराणसी में हर हर महादेव का जयघोष गूंज रहा है।

b 2

बता दें की शिव भक्तों का दशाश्वमेध घाट समेत प्रमुख गंगा घाटों पर स्नान का क्रम लगातार जारी है। वहीं, सुबह मंगला आरती के बाद बाबा विश्वनाथ दरबार भक्तों के लिए खोल दिया गया।

मान्यता है कि भगवान शिव के त्रिशूल पर बसी नगरी काशी केवल विश्व का एक ऐसा स्थान है, जहां पर चतुर्दश शिवलिंग उपस्थित है। वहां पर पूजन एवं दर्शन करके आप समस्त बाधाओं से मुक्त हो सकते हैं। लोगों को अपनी राशि के हिसाब से रुद्राभिषेक करने के बाद समस्त बाधाओं से मुक्ति मिल सकती है।

यह भी पढ़े : IPL 2023: बीसीसीआई ने जारी किया आईपीएल का पूरा शेड्यूल, पहला मुकाबला 31 मार्च से, 52 दिनों तक चलेगा क्रिकेट का रोमांच। जानिए कब होगा कौन सा मैच

हरिद्वार में फाल्गुन और सावन में दो बार कांवड़ यात्रा चलती है। इन दिनों फाल्गुन कांवड़ यात्रा चल रही है। यहां हजारों की संख्या में पहुंचे शिवभक्त गंगाजल लेकर वापस अपने गंतव्य की ओर लौट रहे हैं। श्रद्धालुओं में महिला, बच्चे और बुजुर्ग सहित सभी वर्गों के लोग शामिल हैं। इन दिनों बोल बम के जयकारों से हरिद्वार का वातावरण गूंज रहा है।

मान्यता है कि पौराणिक नगरी कनखल में भगवान शंकर की ससुराल में स्थापित शिवलिंग दुनिया का पहला शिवलिंग है। यहां पर भगवान शंकर और पार्वती विवाह का विवाह हुआ था, जो दुनिया का पहला विवाह माना जाता है। इस दिन को भक्त महाशिवरात्रि के रूप में मनाते हैं। इस दिन दक्षेश्वर महादेव मंदिर में शिव का जलाभिषेक करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

b 3

देहरादून का सबसे पौराणिक मंदिर टपकेश्वर महादेव भी सज गया है। इस मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए भारी भीड़ है। देहरादून शहर से सात किलोमीटर की दूरी पर टपकेश्वर मंदिर स्थित है।

यह भी पढ़े : ब्रेकिंग: उत्तराखंड में प्रस्तावित विद्युत दरों (Electricity rates) के संबंध में की जाएगी जनसुनवाई

बाबा के इस धाम पर देशभर से कई लोग दर्शन करने आते हैं। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। पौराणिक मान्यता है कि आदिकाल में भगवान शंकर ने यहां देवताओं की प्रार्थना से प्रसन्न होकर उन्हें देवेश्वर के रूप में दर्शन दिए थे।

मान्यता है कि इसी जगह को द्रोणपुत्र अश्वत्थामा की जन्मस्थली व तपस्थली माना गया है। जहां अश्वत्थामा के माता-पिता गुरु द्रोणाचार्य व कृपि की पूजा-अर्चना से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया था। जिसके बाद ही उनके घर अश्वत्थामा का जन्म हुआ था।

Next Post

अच्छी खबर: BRP-CRP के 955 पदों को आउटसोर्स से भरने की तैयारी, मंत्री धनसिंह रावत ने कही ये बड़ी बात

अच्छी खबर: बीआरपी-सीआरपी (BRP-CRP) के 955 पदों को आउटसोर्स से भरने की तैयारी, मंत्री धनसिंह रावत ने कही ये बड़ी बात कैबिनेट में लाया जायेगा परिषदीय परीक्षा अंक सुधार का प्रस्ताव देहरादून/मुख्यधारा सूबे में समग्र शिक्षा के अंतर्गत राज्य एवं […]
dun 1 4

यह भी पढ़े