महेंद्र सिंह धोनी (Mahendra Singh Dhoni) का पैतृक गांव आज भी विकास से कोसों दूर  - Mukhyadhara

महेंद्र सिंह धोनी (Mahendra Singh Dhoni) का पैतृक गांव आज भी विकास से कोसों दूर 

admin
dhoni

महेंद्र सिंह धोनी (Mahendra Singh Dhoni) का पैतृक गांव आज भी विकास से कोसों दूर 

harish

डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला

पहाड़ का आदमी कभी अपने पहाड़ को नहीं भूल सकता, ना वह अपनी बोली भाषा को बोल सकता है। इसका बड़ा उदाहरण आज भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के रूप में देखने को मिला। जिनका परिवार बरसों पहले यहां से झारखंड जा चुका था लेकिन पहाड़ की प्यार और यहां के देवी देवताओं में विश्वास उन्हें एक बार फिर वापस पहाड़ की ओर में खींच लाया। भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी कई वर्षो बाद आखिरकार आज अपने गांव पहुंच गए। धोनी को देखकर पहाड़ के लोग काफी उत्साहित नजर आए। इससे पहले महेंद्र सिंह धोनी बचपन में अपने गांव अल्मोड़ा जिले के लवाली आए थे , इसके बाद उनका सिलेक्शन भारत की क्रिकेट टीम में हो गया। क्रिकेट में बुलंदी को छूने वाले और भारतीय टीम को वर्ल्ड कप जीतने वाले महेंद्र सिंह धोनी आखिरकार अपने गांव अल्मोड़ा जिले के लवाली पहुंचे।

यह भी पढें : चोपड़ा में भागवत कथा (Bhagwat katha) से पहले कलश यात्रा में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, 16 से 22 नवम्बर तक होगी कथा

भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी मूल रूप से उत्तराखंड की अल्मोड़ा जिले के निवासी है। उनके पिता पान सिंह धोनी नौकरी की तलाश में झारखंड गए। जहां नौकरी करने के बाद वह वही बस गए । आज धोनी के परिवार के अन्य सदस्य अल्मोड़ा जिले के लवाली गांव में ही निवास करते हैं। हालांकि अभी धोनी के पिता धार्मिक आयोजनों में गांव में आते हैं। धोनी के चाचा घनपत सिंह भी अब गांव में नहीं रहते हैं। वह भी चार वर्ष पूर्व गांव से पलायन कर हल्द्वानी बस गए हैं। धौनी का परिवार वर्ष 2004 में गांव आया था। उत्तराखंड गठन से पूर्व महेंद्र धौनी का अपने पैतृक गांव में जनेऊ संस्कार हुआ था। अब क्रिकेट से रिटायरमेंट लेने के बाद भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी अपनी बेटी जीवा और पत्नी साक्षी रावत धोनी के साथ पहली बार अपने गांव पहुंचे जहां लोगों ने उनका जोरदार द्वारा स्वागत किया।

यह भी पढें : आखिर बिना सेफ्टी ऑडिट के कैसे निर्मित हो रही हैं उत्तराखंड में सुरंगें (Tunnels in Uttarakhand)?

इस दौरान धोनी को देखकर वहां के लोग काफी उत्साहित दिखे दिन भर धोनी को देखने का तांता लग रहा। धोनी ने पत्नी साक्षी और बेटी जीवा संग अपने इष्ट देव की पूजा की।भारत को विश्वकप दिलाने के साथ ही उनके हेलीकॉप्टर शॉट के लिए हर कोई उन्हें याद कर रहा है। अपने शानदार खेल से देशभर के खेल प्रेमियों के दिलों पर राज करने वाले धोनी का मूल गांव उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के जैंती तहसील में है। उनका पैतृक गांव ल्वाली आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। यही कारण है कि गांव पलायन झेलने के लिए मजबूर है। ग्रामीणों को उम्मीद है कि अंतराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहने वाले धोनी कभी अपने पैतृक गांव पहुंचेंगे। ग्रामीणों के मुताबिक, वर्ष 2004 में महेंद्र सिंह धोनी का परिवार आखिरी बार अपने गांव आया था। गांव में पुरुषो की अपेक्षा महिलाओं की आबादी अधिक है। विकास से कोसों दूर ये गांव आज भी सड़क मार्ग से नहीं जुड़ पाया है। जबकि महेन्द्र सिंह का हेलीकाप्टर शॉट दुनिया भर के क्रिकेट प्रेमियों को रोमांचित करता है लेकिन उनके पैतृक गांव में पहुंचने के लिए बहुत हिचकोले खाने पड़ते हैं।

यह भी पढें : गढ़वाल में मामा पौणा (मामा मेहमान) की महान परंपरा आज भी है जीवित

2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने गांव को सड़क से जोड़ने का वादा किया था जो आज तक पूरा नहीं हो सका है। ग्रामीणों को उम्मीद हैं कि धोनी का नाम होने से कोई उनके गांव की भी सुध लेगा, धोनी के गांव में स्वास्थ्य केंद्र नहीं खुल सका है। ऐसे में मरीजों और गर्भवतियों को उपचार और प्रसव के लिए पांच किमी दूर जैंती की दौड़ लगानी पड़ रही है। ग्रामीण किसी तरह गंभीर मरीजों और गर्भवतियों को डोली के सहारे अस्पताल पहुंचा रहे हैं। पूरे तहसील क्षेत्र में खेल मैदान तक नहीं है। युवाओं का कहना है कि धोनी के नाम से क्षेत्र में एक स्टेडियम बन जाता तो यह पूरे क्षेत्र और जिले के गौरव की बात होती और वे भी उनकी तरह खेलों में बेहतर भविष्य बनाकर जिले और देश का नाम रोशन कर पाते। भैया दूज पर गांव पहुंचे माही ने पर्व की खुशियां दोगुनी कर दी। गांव की बहनों और बुजुर्गों ने उनके सिर पर च्यूड़े (चावल) रखकर उनके सुखद जीवन की कामना की।

( लेखक दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं )

Next Post

हरिद्वार सनातन स्वरूप बनाए रखने की चुनौती

हरिद्वार सनातन स्वरूप बनाए रखने की चुनौती डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला एकं सद् विप्रा बहुधा वदन्ति का बोध वाक्य ही सनातन धर्म का सत्य है। सभी मत, पंथ, उपासना विधि, संप्रदाय से जुड़े संतजन उसी सत्य की उपासना के लिए […]
hari

यह भी पढ़े