उत्तराखंड में फिल्म निर्माण कार्य (film production) को प्रोत्साहन की जरूरत
दीप चन्द्र पंत
पर्वतीय राज्य उत्तराखंड में विकास के सीमित विकल्प हैं। भूगर्भीय संवेदनशीलता के कारण भारी उद्योग, बहुमंजिला इमारतों का निर्माण, गांव गांव तक सड़क पहुंचाने की जबरदस्ती और रेल मार्ग निर्माण और रेलों को यातायात का माध्यम बनाने का प्रयास बुद्धिमत्तापूर्ण और समझदारी भरा कदम तो नहीं कहा जा सकता। नदी घाटियों से रेल मार्ग विकसित करने का प्रयास जोखिम भरा हो सकता है तथा धन का बहुत अपव्यय भी होगा।
उत्तराखंड के विकास हेतु कुछ व्यावहारिक कदमों पर विचार किया जा सकता है , जिनमें प्राकृतिक सौंदर्य के कारण फिल्म निर्माण भी माना जा सकता है।
प्राकृतिक स्थलों पर फिल्म शूटिंग न केवल एक नए व्यवसाय को पनपने का अवसर देगी, अपितु पर्यटन को भी आकर्षित कर सकती है। स्थानीय प्रतिभाओं को भी पनपने का अवसर मिल सकता है, जो असफल होने के डर से मुंबई या बॉलीवुड में नही जा पाते।
फिल्म निर्माण की विभिन्न विधाओं में स्थानीय लोगों को रोजगार की संभावना भी बढ़ेगी और स्थानीय भाषा , संस्कृति को भी प्रचार का मौका मिलेगा।
उत्तराखंड के कई मनोहारी स्थलों में पहले भी बालीवुड से फिल्म निर्माण किया गया, जो सफल भी रहा। फिल्म निर्माण के इस उद्योग में प्राकृतिक विध्वंस की संभावना भी नहीं रहेगी। अपितु संरक्षण की भावना विकसित होगी, जो जैव विविधता को बचाने की दिशा में भी उपयोगी सिद्ध होगा तथा दावानल को नियंत्रित करने के लिए उपयोगी हो सकता है।
उत्तराखंड की सरकार चाहे तो इस दिशा में विचार कर आगे बढ़ सकती है और नीति तैयार कर आवश्यक दिशा-निर्देश भी जारी कर सकती है।
( लेखक भारतीय वन सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं)