बड़ी खबर : आयुर्वेद के पूर्व निदेशक त्रिपाठी पर गड़बड़ियों के आरोप में जांच का शिकंजा - Mukhyadhara

बड़ी खबर : आयुर्वेद के पूर्व निदेशक त्रिपाठी पर गड़बड़ियों के आरोप में जांच का शिकंजा

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उत्तर प्रदेश के मूल निवासियों की भी कर दी थी उत्तराखंड में फार्मेसिस्ट पद पर नियुक्त

देहरादून/मुुख्यधारा

उत्तराखंड शासन ने आयुष विभाग के पूर्व निदेशक डा. अरुण कुमार त्रिपाठी पर विभिन्न गड़बडिय़ों के आरोप में शिकंजा कस दिया है।उन पर पद का दुरुपयोग सहित कई अन्य आरोपों की जांच के लिए शासन ने प्रभारी सचिव मुख्यमंत्री डा. एस एन पांडेय को जांच अधिकारी नामित किया है।
आयुष विभाग के सचिव चन्द्रेश कुमार यादव ने सम्प्रति परिसर निदेशक गुरुकुल परिसर हरिद्वार, उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय डा. अरुण कुमार त्रिपाठी पर (दिनांक 29-07-2014 से दिनांक 11.07.2019 तक) आयुर्वेद विभाग के निदेशक पद पर कार्यरत रहते हुए आयुर्वेदिक दवाओं आदि की खरीद, सरकारी वाहन एवं पेट्रोल के गबन / दुरुपयोग संबंधी शिकायतों, शासन की अनुमति के बिना चिकित्साधिकारियो/फार्मासिस्टों को अन्यत्र सम्बद्ध किये जाने एवं विभाग में फार्मेसिस्टों की नियुक्ति/तैनाती में हुई अनियमितता और विभिन्न माध्यमों से प्राप्त शिकायतों के अनुसार गंभीर आरोप हैं।

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यहां यह भी उल्लेखनीय है कि 2017 में नियम विरुद्ध बाहरी राज्यों के लोगों को भी फार्मेसिस्ट पद पर नियुक्ति दी गई।हाईस्कूल और इंटर की परीक्षा अपने मूल निवास और पैतृक राज्य उत्तर प्रदेश से गृहण करने वाले फार्मेसिस्ट को उत्तराखंड में डिप्लोमा करने का आधार बनाकर नियुक्ति दी गई।ऐसे कुछ कार्मिकों का परिवार आज भी उत्तर प्रदेश में रहता है।बताया गया है कि त्रिपाठी द्वारा नियुक्त एक फार्मेसिस्ट की पत्नी उत्तर प्रदेश में आयुर्वेद विभाग में ही सेवारत है।उन्हें विकल्प के आधार पर ही पैतृक राज्य उत्तर प्रदेश के लिए उत्तराखंड से कई साल पहले कार्यमुक्त किया गया था।बताया गया कि त्रिपाठी से पूर्व निदेशक ने उसके आवेदन को खारिज कर नियुक्ति नहीं दी थी।तमाम गड़बडिय़ों के दृष्टिगत प्रकरण की प्रारम्भिक जांच प्रभारी सचिव एस एन पांडेय को सौंपी गई है। जांच अधिकारी से यथाशीघ्र रिपोर्ट शासन को प्रस्तुत करने की अपेक्षा की गई है।

यही नहीं 2017 में नियुक्त लगभग 71 फार्मेसिस्ट की नियुक्ति हेतु चयनित अभ्यर्थियों का पुलिस वैरिफिकेशन भी नहीं कराया गया, जबकि सरकारी सेवा में आने वालों की पुलिस वैरिफिकेशन कराना नियमावली के हिसाब से अनिवार्य है।चूंकि नियम विरुद्ध दूसरे राज्य के लोगों को नियुक्ति दी गई थी इसलिए पुलिस वैरिफिकेशन नहीं कराया गया, ताकि गड़बड़झाला खुल न जाय।उत्तराखंड के बच्चों का हक मारा गया।

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