नीरज उत्तराखंडी/पुरोला
किसानों और बागवानों के सामने आजीविका का संकट खड़़ा हो रहा है। सुदूरवर्ती विकासखण्ड मोरी के आराकोट बंगाण और नैटवाड़, सांकरी क्षेत्र में सोमवार दोपहर को हुए भारी ओलावृष्टि से सेब बागवानों को भारी नुकसान हुआ है। मौसम की बेरुखी बागवानों पर भारी पड़ रही है। एक तरफ कोरोना वैश्विक महामारी का डर सता रहा है वही दूसरी ओर मौसम की मार।
बताते चलें कि रंवाई घाटी में पुरोला और मोरी क्षेत्र में नगदी फसलों टमाटर, आलू, राजमा, मटर और सब्जियों के उत्पादन के साथ साथ सेब उत्पादन के लिए समूचे प्रदेश में जाने जाते हैं, लेकिन कोरोना वैश्विक महामारी के चलते जहां किसानों की आजीविका का स्रोत मटर की फसल के फजीहत हो रही है। न ही नगदी खरीद के व्यापारी आ रहे हैं और न ही मंडी की मंदी से मंडियों में फसलों को उचित दाम मिल पा रहे हैं। ऐसे में किसानों के सामने खेती पर लगने वाली लागत को भी वसूलने की चिंता है।
वहीं जुलाई-अगस्त में आने वाली सेब की फसल, जिसमें आजकल फ्लोरिंग हो रही है, वह भी मौसम की बेरुखी से भारी ओलावृष्टि के कारण नष्ट हो रही है।
क्षेत्र के बागवान मनमोहन सिंह, दीवान सिंह, उदयप्रताप राणा, जनक सिंह आदि बागवानों ने बताया कि कल क्षेत्र के किराणु, सांकरी, नैटवाड़ आदि कई क्षेत्रों में दोपहर के बाद अचानक मौसम खराब होने से हल्की बारिश हुई और देखते देखते भारी ओलावृष्टि होने लगी।
उन्होंने बताया कि आजकल सेब की फ्लोरिंग हो रही है, लेकिन ओलावृष्टि से फलों में तब्दील होने वाली कोंपलें और फूल सब नष्ट हो गए हैं।
बागवानों ने चिंता व्यक्त करते हुए रोजी रोटी का बहुत बड़ा संकट बताते हुए सरकार से किसानों के हित मे उचित कदम उठाने की मांग की है।
वहीं उपजिलाधिकारी आईएएस मनीष कुमार ने कहा कि तहसीलदार मोरी और पुरोला को क्षेत्रों में ओलावृष्टि से हुए नुकसान का जायजा लेने के निर्देश दे दिए गये हैं। प्रशासन की तरफ से किसानों, बागवानों को हरसंभव मदद का प्रयास किया जाएगा।