पौड़ी जिले के पांच मुख्यमंत्री व यमकेश्वर के चार भाजपा विधायक भी नहीं बना पाए सिंगटाली पुल
मामचन्द शाह
टिहरी से पौड़ी जनपद को जोडऩे वाला सिंगटाली मोटर पुल की वर्ष 2006 से 2021 खत्म होने के बाद शिलान्यास तक न होना दर्शाता है कि उत्तराखंड में किस गति से विकास कार्य हो रहे होंगे। उत्तराखंड में इस दौरान दस मुख्यमंत्रियों ने प्रदेश की बागडोर संभाली, जिसमें से यह जानकार आपको ताज्जुब होगा कि इनमें से अकेले पौड़ी जनपद के पांच मुख्यमंत्री बने। बावजूद इसके आज भी सिंगटाली पुल का लोकार्पण तो दूर, शिलान्यास तक नहीं हो पाया है। ऐसे में इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को यमकेश्वर क्षेत्रवासियों की उपेक्षा का दंश झेलने के लिए तैयार रहना होगा।
8 जनवरी 2022 की शाम को जैसे ही उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 की आचार संहिता लगी, इसके साथ ही टिहरी जनपद से पौड़ी गढ़वाल को जोड़ने वाला बहुप्रतीक्षित सिंगटाली पुल एक बार फिर से अधर में लटक गया है। सत्तारूढ़ भाजपा सरकार की यह बेरुखी न सिर्फ यमकेश्वर विधानसभा क्षेत्रवासियों के साथ है, बल्कि संपूर्ण पौड़ी जनपद के साथ ही कुमाऊं क्षेत्रवासी भी इस पुल के शिलान्यास न हो पाने को अपने साथ छलावा बता रहे हैं।
बताते चलें कि ऋषिकेश-बद्रीनाथ हाईवे पर व्यासी से कु़छ आगे सिंगटाली नामक स्थान पड़ता है। इसी स्थान पर टिहरी से पौड़ी को जोडऩे वाला गंगाजी पर पुल निर्माण होना था। यह पुल पूर्व सीएम भुवनचंद्र खंडूड़ी ने वर्ष 2006 में स्वीकृत किया था, किंतु आज करीब सोलह वर्षों बाद भी इस पुल का लोकार्पण तो दूर, शिलान्यास तक नहीं हो पाया है, जबकि दूसरे छोर पर स्थित पौड़ी गढ़वाल में पूरे गंतव्य स्थान पर सड़क निर्माण का काम पूरा हो चुका है। अधर में लटके इस पुल के निर्माण को लेकर ढांगू विकास समिति वर्षों से जोर-शोर से प्रयास कर रही है, किंतु वर्तमान भाजपा सरकार में पूरी उम्मीद होने के बावजूद इस पुल का चुनाव से पूर्व शिलान्यास नहीं किया जा सका। इससे यमकेश्वर विधानसभा क्षेत्रवासियों में खासा रोष व्याप्त है।
यमकेश्वर क्षेत्र के लिए निकम्मी रही वर्तमान सरकार
पुल निर्माण को लेकर संघर्ष कर रहे ढांगू विकास समिति के अध्यक्ष उदय सिंह नेगी मुख्यधारा को बताते हैं कि वर्ष 2006 में स्वीकृत सिंगटाली मोटर पुल का कार्य सरकार के इस कार्यकाल के आखिरी दिन तक न हो पाने के कारण यमकेश्वर विधानसभा क्षेत्रवासी स्वयं को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। 8 जनवरी को जैसे ही भारत निर्वाचन आयोग ने विधानसभा चुनाव 2022 की आदर्श आचार संहिता लागू की, क्षेत्रवासियों के चेहरे मुरझा गए। अब इसका खामियाजा भाजपा को इस चुनाव में भुगतने के लिए तैयार रहना होगा।
बताते चलें कि करीब डेढ दशक से अधिक समय से क्षेत्रवासी इस पुल की बाट जोह रहे हैं। क्षेत्रवासियों की वर्षों की मांग के बाद व्यासघाट से सिंगटाली मोटर मार्ग को 2006 में स्वीकृति मिली थी, किंतु सरकारों की लेटलतीफी के कारण यह 21 किलोमीटर मार्ग करीब १६ सालों में ढांगू गढ़ तक नहीं पहुंच पाया।
ये लगा अड़ंगा
उदय सिंह नेगी बताते हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने एक फाउंडेशन के प्रत्यावेदन पर सिंगटाली मोटर पुल के कार्य को ही निरस्त कर दिया था, जबकि उक्त मोटर पुल के टेंडर तक का कार्य शुरू हो गया था। इस कारण इस पुल में व्यवधान हो गया। हालांकि मार्च 2021 में सीएम पद से त्रिवेंद्र रावत की कुर्सी चली जाने के बाद ढांगू विकास समिति और क्षेत्रवासियों के संघर्ष से पुन: इस मोटर के शासनादेश मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने जारी किया था, किंतु निराशाजनक है कि इससे आगे सरकार एक कदम भी पुल निर्माण की दिशा में आगे नहीं बढ़ा पाई।
इसे ढांगू क्षेत्र का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि इसको हमेशा वोट की फसल की नजरों से देखा गया, किंतु विकास की नजरों से क्षेत्र की हमेशा उपेक्षा की गई है।
पांच मुख्यमंत्री व चार भाजपा विधायक भी नहीं बना पाए सिंगटाली पुल
इसे क्षेत्र का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि वर्ष 2006 से स्वीकृत सिंगटाली मोटर पुल का निर्माण डेढ दशक में भी नहीं हो पाया है। इन 21 सालों के राज्य में 10 मुख्यमंत्री बने, जिनमें 5 मुख्यमंत्री पौड़ी जिले से ही रहे हैं। पौड़ी जिले से वर्ष 2007 से लेकर 2012 तक भुवनचंद्र खंडूड़ी, रमेश पोखरियाल निशंक व फिर भुवनचंद्र खंडूड़ी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे। उसके बाद वर्ष 2012 से फरवरी 2014 तक विजय बहुगुणा सीएम रहे। तत्पश्चात 2017 से मार्च 2021 तक त्रिवेंद्र रावत सीएम रहे व मार्च 2021 से जून 2021 तक तीरथ सिंह रावत ने सीएम पद की बागडोर संभाली।
इसके अलावा उत्तराखंड गठन के बाद से लगातार चारों बार यमकेश्वर विधानसभा क्षेत्रवासी भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को जिताकर विधानसभा भेजते रहे हैं। इनमें अकेली तीन बार विजय बड़थ्वाल विधानसभा पहुंची है। उन्हें विधानसभा उपाध्यक्ष व कैबिनेट मंत्री जैसे अहम पदों का दायित्व मिलने के पीछे यमकेश्वर के मतदाताओं की ही भूमिका रही है। वर्ष 2017 में यहां से विजय बड़थ्वाल का टिकट काटकर पूर्व सीएम भुवनचंद्र खंडूड़ी की पुत्री ऋतु खंडूड़ी भूषण को टिकट दिया गया और क्षेत्रवासियों ने बाहरी होने के बावजूद उन पर इसलिए विश्वास किया कि वह उन्हीं जनरल खंडूड़ी की पुत्री हैं, जिन्होंने सिंगटाली पुल को स्वीकृत किया था। यदि उनकी पुत्री विधानसभा पहुंचेगी तो इस पुल का निर्माण इस कार्यकाल में हो सकेगा। किंतु इस बार भी क्षेत्रवासियों के साथ छलावा हुआ और सिंगटाली पुल की टीस क्षेत्रवासियों में दिलों में चुभन महसूस कर रही है।
परिणामस्वरूप आज भी ग्रामीण सिंगटाली से पैदल ही गांव जाने को मजबूर हैं।
कुल मिलाकर उपरोक्त आंकड़ों को देखने से स्पष्ट होता है कि यदि किसी प्रतिनिधि की किसी कार्य को करने की मंशा ही नहीं होगी तो विधायक तो छोडि़ए, मुख्यमंत्री जैसे पद पर रहकर भी अपने क्षेत्र के लिए वे सकारात्मक नहीं सोच सकते।
बहरहाल, क्षेत्रवासियों के साथ हुए इस छलावे का खामियाजा इस बार यमकेश्वर विधानसभा क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को भुगतना पड़ सकता है!
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