देहरादून/मुख्यधारा
रायपुर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत विधायक उमेश शर्मा काऊ और दूसरे गुट के कार्यकर्ताओं के साथ सियासी खींचतान चलती रहती है। इसी कड़ी में आज एक बार फिर से विधायक की कार्यकर्ताओं के साथ गर्मागर्मी हो गई। इस दौरान कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत भी मौजूद थे। इससे वहां सियासी माहौल गर्मा गया।
आज रायपुर स्थित डिग्री कालेज भवन के उद्घाटन अवसर पर मुख्यमंत्री का कार्यक्रम आयोजित था। सीएम मौके पर पहुंचने ही वाले थे कि किसी बात को लेकर रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ कुछ कार्यकर्ताओं के साथ उलझ गए। बात इतनी अधिक बढ़ गई कि विधायक ने कार्यकर्ता को औकात में रहने को कह दिया। इससे मामला और पेचीदा हो गया। काऊ इतने नाराज दिखे कि उन्होंने कार्यक्रम तक छोडऩे की बात कह दी। इससे मंत्री धन सिंह भी असहज दिखाई दिए।
विधायक उमेश शर्मा काऊ का कहना था कि कार्यक्रम में मौजूद कुछ लोग उन्हें अपना विधायक मानने को तैयार नहीं हैं। वे क्षेत्र में अपने पोस्टर लगवाते हैं, किंतु उन्हें फाड़ दिया जाता है। बताया गया कि विधायक जिला पंचायत सदस्य वीर सिंह पर नाराज हो रहे थे।
बताते चलें कि विधायक काऊ के साथ दूसरे गुट के कार्यकर्ता काफी समय से उलझते रहे हैं। नगर निगम के चुनावों के दौरान भी विधायक के साथ इस तरह की खींचतान व गुटबाजी सामने आई थी। हालांकि तब विधायक के कई समर्थक नगर निगम के चुनाव जीतने में सफल रहे थे। इससे दूसरे गुट को तब मुंह की खानी पड़ी थी। इसके बाद रायपुर क्षेत्र में ही पूर्व सीएम के एक कार्यक्रम में भी विधायक के साथ इसी तरह का मामला सामने आया था। इसके बाद जोगीवाला क्षेत्र के एक वेडिंग प्वाइंट में महानगर पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं के साथ एक गोपनीय बैठक आयोजित की गई। जिसमें शामिल लोग विधायक के विरोधी खेमे के बताए गए। बताया गया कि वह इतनी गोपनीय बैठक थी, जिसमें सभी लोगों को अपने मोबाइल फोन तक स्विच ऑफ रखने को कहा गया था, ताकि बैठक की कोई फोटो व वीडियो वायरल न हो सके। इससे पूर्व छह नंबर पुलिया से पहले एक सडक़ के उद्घाटन अवसर पर विधायक से पूर्व दूसरे गुट के कुछ लोग उक्त सडक़ का उद्घाटन करके चले गए थे। हालांकि बाद में अपने द्वारा स्वीकृत करवाई गई उक्त सडक़ का विधायक काऊ ने भी उसका विधिवत लोकार्पण किया था।
बताते चलें कि विधायक काऊ की अपनी रायपुर विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्यों की वजह से कार्यकर्ताओं के बीच जबर्दस्त पकड़ मानी जाती है।। हालांकि 2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले विधायक व कार्यकर्ताओं के बीच चल रहे इस मनमुटाव को यदि जल्द दूर नहीं किया गया तो चुनाव के समय इस तरह के प्रकरण पार्टी के लिए रायता बिखेरने का काम कर सकते हैं!