मामचन्द शाह
उत्तराखंड के इतिहास में अब तक हरक सिंह रावत ने राजनीति के जिस छोर (भाजपा, कांग्रेस या अन्य दल) पर भी कदम रखा, वहां फसल पककर हरक सिंह के मुताबिक ही तैयार हुई। परिणामों को देख हरक सिंह को ”चुनावी मौसम विज्ञानी” भी कहा जाने लगा, किंतु लगता है इस बार हरक की आगे की राजनैतिक राह कांटों भरी होने वाली है और फिलहाल वह राजनैतिक भंवर में फंसती हुई दिखाई दे रही है।
बीती रात्रि उत्तराखंड में घटित राजनैतिक हलचलों से कड़क ठंड में सियासी पारा उछाल मार रहा है। भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें अगले छह वर्षों के लिए पार्टी से निष्कासित करने के साथ ही मंत्रिमंडल से भी निष्कासित कर दिया गया। इस पर हरक सिंह अपने ही अंदाज में बोल उठे कि हमाम में सब नंगे हैं। अभी तक जो कांग्रेस की सरकार नहीं भी आ रही होगी तो अब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बन रही है और वो भी चालीस सीटों पर जीत दर्ज करके।
हरक सिंह ने अपने बयान में क्या कहा, इसको पूरा बताने से पहले जरा पूर्व सीएम एवं चुनाव संचालन समिति के अध्यक्ष तथा कांग्रेस के मुखौटा हरीश रावत का हरक सिंह पर दिया गया बयान भी जितना बड़ा दिलचस्प है, उससे ज्यादा वह हरक के राजनैतिक भविष्य के लिए बड़ा मायने रखता है।
क्या बोले हरीश रावत
हरीश रावत ने आलाकमान को संदेश भिजवा दिया है कि हरक सिंह को कांग्रेस में शामिल कराने से कार्यकर्ताओं के मनोबल पर विपरीत असर पड़ सकता है। वे लोकतंत्र के हत्यारे हैं। जो चलती सरकार को गिराकर भाजपा में शामिल हो सकते हैं और अब वापस कांग्रेस में भी अपना भविष्य देख रहे हैं, इन्हें पार्टी में शामिल कर उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों में भी नुकसान की संभावना है। साफ है कि हरदा के इस रिएक्शन के बाद हरक की राजनैतिक राह कंटीली होने के आसार बढते हुए दिखाई दे रहे हैं।
क्या बोले कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल
जिस प्रकार से बीजेपी ने उन्हें निकाला है, वे कांग्रेस में शामिल नहीं हुए थे, उन्हें मंत्री पद से बर्खास्त किया गया, उनकी भावनाएं आहत हुई हैं। विपत्ति के समय उन्होंने बीजेपी का साथ दिया था, इसके एवज में उन्हें आज ये मिला तो उनकी भावनाएं आहत होनी ही थी। कांग्रेस में शामिल होने की बात पर गोदियाल ने कहा कि ये मेरे पे डिपेंड नहीं हैं। मैं इस पर अभी कुछ नहीं कह सकता। अभी वरिष्ठ लोग आएंगे और बात करेंगे। उत्तराखंड में जो घटनाक्रम हो रहे हैं, वे इस बात के संकेत हैं कि पूर्ण बहुमत के साथ कांग्रेस सरकार बनाने जा रही है।
गणेश गोदियाल ने कहा कि वे हरक सिंह के इस बयान का स्वागत करता हूं कि जो उन्होंने कहा कि मैं नि:स्वार्थ कांग्रेस की सेवा करूँगा। हरक सिंह द्वारा पूर्व में हुई गलती को महसूस करते हैं तो उन पर विचार किया जा सकता है। वे पूर्व में पार्टी के वरिष्ठ नेता रहे हैं और उनका अपना पूरे प्रदेश में एक जनाधार है। पार्टी उनका जिस रूप में भी उपयोग करना चाहेगी, इस भी विचार किया जाएगा, किंतु वरिष्ठ नेताओं के साथ चर्चा के बाद ही इस पर कोई निर्णय लिया जाएगा।
हरक का धमाकेदार बयान दिखावा या हकीकत
गत दिवस के राजनैतिक घटनाक्रम के बाद हरक सिंह का एक धमाकेदार वीडियो सामने आया है, जिसमें वे कह रहे हैं कि हमाम में सब नंगे हैं। उत्तराखंड में अब कांग्रेस 40 से अधिक सीटें जीतकर सरकार बनाने जा रही है।
हरक सिंह रावत ने कहा कि भाजपा ने मनगढंत खबरों के आधार पर निर्णय ले लिया। अब क्या बोलेंगे कि, ये बोलेंगे कि हमने हरक सिंह को काम नहीं करने दिया, मेडिकल कालेज नहीं बनाने दिया, सेंटर स्कूल नहीं खोला, रुद्रप्रयाग, कोटद्वार जिला नहीं बनाया, हमने रोजगार नहीं दिया लोगों को, हमने महंगाई कर दी, हममें कमियां ही कमियां हैं, ये तो नहीं बोलेंगे न! अरे! जिनके घर शीशे के होते हैं, उनको पत्थर नहीं मारना चाहिए। मंै इन सबको समझता हूं, ऊपर से लेकर नीचे तक, सबको समझता हूं। हमाम में सब नंगे हैं, मैं सिर्फ इतना कहना चाह रहा हूं। मेरे पर लांछन लगाकर, मेरे पे पत्थर डाल के, मैंने प्रहलाद जोशी से तीन-चार दिन पहले कहा था कि मैं अभी लैंसडौन गया था, वो लड़की बहुत अच्छा काम कर रही है। एक बार के लिए मैं नहीं लडऩा चाहता चुनाव, आप उस पर विचार कर लो, इतनी बात हुई थी। उन्होंने कहा ठीक है, मैं अमित शाह व नड्डा जी से इस मुद्दे पर बातचीत करूंगा। उन्होंने कहा कि ऐसी बुद्धि आएगी तो कहां से आएगी बीजेपी सरकार? मैं इसलिए नहीं सम्मिलित हो रहा, इन्होंने निकाल दिया तो क्या करूंगा मैं। घर तो बैठने वाला व्यक्ति नहीं हूं। मैं तो कफन बांध के राजनीति करता हूं। मुझे कोई भविष्य नहीं, मुझे उत्तराखंड का भविष्य चाहिए।
उत्तराखंड का भविष्य, कांग्रेस की सरकार आ रही है। पूर्ण बहुमत से आ रही है और जो नहीं भी आ रही थी, वो अब आ गई। देखिए, कांग्रेस के साथ बातचीत होगी। अब करूंगा मैं बातचीत तो मैं कांग्रेस में जाऊंगा, नहीं तो मैं किसी दूसरे राजनैतिक दल में नहीं जाऊंगा। बिना सम्मिलित हुए कांग्रेस के लिए काम करूंगा मैं। कोई शर्त नहीं, कोई कुछ नहीं, मैं कांग्रेस व कांग्रेस की सरकर लाने के लिए काम करूंगा। नि:स्वार्थ होकर काम करूंगा।
उपरोक्त तथ्यों को पढ़कर आप अनुमान लगा सकते हैं कि हरक सिंह के लिए आगे की पारी न केवल कांटोंभरी हो सकती है, बल्कि उनके बारे में गढ़ी गई सटीक चुनावी मौसम विज्ञानी के तथ्य को भी बरकरार रखने की उनके समक्ष बड़ी चुनौती होगी।
डोईवाला का किला ढहाना बन सकता है ब्रह्मास्त्र
जिस तरह से हरक सिंह को लेकर कांग्रेस की ओर से तथ्य निकलकर सामने आ रहे हैं, इससे उनके समक्ष आसन्न चुनाव में धर्मसंकट की स्थिति है। पहला हरक सिंह को स्वयं को सिद्ध करना होगा कि वे जहां भी जाते हैं, वहां फरक पड़ता है। दूसरा उन्हें अपने समर्थकों की राजनैतिक पारी को भी 2022 के चुनाव में पास कराने की दोहरी जिम्मेदारी होगी। यदि कांग्रेस के साथ मान-मनोव्वल के बाद सियासी तूफां थम जाता है तो लैंसडौन से अपनी बहू अनुकृति गुसाईं को जीत दर्ज कराना भी उनके लिए टेढी खीर साबित हो सकता है, क्योंकि अब भाजपा किसी भी हाल में अपने प्रत्याशी को लैंसडौन में हारते हुए नहीं देख सकती है।
इसके अलावा उनके समर्थकों को यदि किसी और सीट पर टिकट दिया जाता है तो वहां भी कांग्रेस को जीत दिलानी होगी। इसी तरह यदि उन्हें कांग्रेस से डोईवाला से टिकट दिया जाता है तो उन्हें यहां से पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत की इस सीट को जीतकर दिखाना होगा और उनका कद तभी ऊपर उठ सकता है, जब वे डोईवाला का किला फतह कर सकेंगे। इस सीट पर जीत दर्ज करने से उनके लिए एक तरह से यह ‘ब्रह्मास्त्र’ भी साबित हो सकता है।
कुल मिलाकर हरक सिंह का भविष्य इस बार राजनैतिक भंवर में फंसता हुआ दिखाई दे रहा है। बावजूद इसके हरक सिंह के उस बयान को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, जिसमें उन्होंने कहा कि था ”मैं महाभारत का अभिमन्यु तो हूं नहीं जो अंतिम द्वार पर मारा जाऊं।” यदि हरक सिंह कलियुग के अभिमन्यु बनकर इस विधानसभा चुनाव में भाजपा-कांग्रेस द्वारा उनके लिए बनाए गए चक्रव्यूह को ध्वस्त करने में सफल हो जाते हैं तो फिर उनके रथ को रोकना किसी के बूते में नहीं होगा!
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