आरबीआई की बैठक : आरबीआई ने रेपो रेट 6.5% को रखा स्थिर, आठवीं बार ब्याज दरों में नहीं हुआ कोई बदलाव - Mukhyadhara

आरबीआई की बैठक : आरबीआई ने रेपो रेट 6.5% को रखा स्थिर, आठवीं बार ब्याज दरों में नहीं हुआ कोई बदलाव

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आरबीआई की बैठक : आरबीआई ने रेपो रेट 6.5% को रखा स्थिर, आठवीं बार ब्याज दरों में नहीं हुआ कोई बदलाव

मुख्यधारा डेस्क

भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने तीन दिनों तक चली बैठक के बाद रेपो रेट को वर्तमान दर पर बरकरार रखने का फैसला किया है। भारतीय रिजर्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी ने शुक्रवार को लगातार आठवीं बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया। रेपो रेट को 6.5% पर ही बरकरार रखा गया है। 6 सदस्यों वाली मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी ने 4:2 के बहुमत से ब्याज दरों में किसी तरह के बदलाव का फैसला नहीं किया।

दर निर्धारण समिति ने लगातार आठवीं बार ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया।

इससे पहले केंद्रीय बैंक ने पिछली बार फरवरी 2023 में रेपो दर बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत की थी। रेपो रेट से बैंकों की ईएमआई जुड़ी होती है। ऐसे में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं होने से यह तय हो गया है कि आपके बैंक लोन की ईएमआई में फिलहाल कोई बदलाव नहीं होने वाला है।

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शक्तिकांत दास ने बताया कि इस बार भी बैठक में मौजूद सदस्यों ने रेपो रेट को स्थिर रखने का फैसला लिया है। इसका मतलब है कि रेपो रेट 6.5 फीसदी पर स्थिर बना रहेगा।

आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी में 4:2 के बहुमत से रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया। रेपो रेट में कोई बदलाव के साथ बाकी रेट भी स्थिर रहेंगे। आरबीआई ने रिवर्स रेपो रेट को 3.35 फीसदी, स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी रेट 6.25 फीसदी, मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी रेट को 6.75 फीसदी और बैंक रेट को 6.75 फीसदी पर स्थिर रखा है।

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रेपो रेट महंगाई से लड़ने का शक्तिशाली टूल है, जिसका समय समय पर आरबीआई स्थिति के हिसाब से इस्‍तेमाल करता है। जब महंगाई बहुत ज्‍यादा होती है तो आरबीआई इकोनॉमी में मनी फ्लो को कम करने की कोशिश करता है और रेपो रेट को बढ़ा देता है। आमतौर पर 0.50 या इससे कम की बढ़ोतरी की जाती है। लेकिन जब इकोनॉमी बुरे दौर से गुजरती है तो रिकवरी के लिए मनी फ्लो बढ़ाने की जरूरत पड़ती है और ऐसे में आरबीआई रेपो रेट कम कर देता है। जब भी रेपो रेट बढ़ाया जाता है तो इससे लोन महंगे हो जाते हैं। इससे आम आदमी पर ईएमआई का बोझ बढ़ जाता है। लोन महंगे होने से इकोनॉमी में मनी फ्लो कम होता है। मनी फ्लो कम होगा तो डिमांड में कमी आती है और महंगाई घट जाती है। वहीं ये भी देखा जाता है कि रेपो रेट बढ़ने के बाद तमाम बैंक एफडी की ब्‍याज दरों में इजाफा कर देते हैं। बता दें रेपो रेट वो ब्‍याज दर होती है, जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक ही ओर से अन्‍य बैंकों को लोन दिया जाता है। ऐसे में जब रिजर्व बैंक, अन्‍य बैंकों को लोन महंगी दरों पर देता है तो अन्‍य बैंक ग्राहकों के लिए भी ब्‍याज दर बढ़ा देते हैं।

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