ऋषिकेश/मुख्यधारा
मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के नेतृत्व में “सिंगटाली पुल के निर्माण हेतु” क्षेत्रीय जनता, जनप्रतिनिधि, विभिन्न राजनीतिक दलों, समाजसेवियों, ग्राम प्रधानों, युवाओं और मातृशक्ति का जनसैलाब एकजुट हुआ। सिंगटाली पुल के मुद्दे को लेकर क्षेत्रीय जनता का आक्रोश आखिरकार सड़कों पर फूट पड़ा।ऐसा पहली बार देखने को मिला कि लोगों ने गंगा में डुबकी लगाकर अपने संकल्प को शुद्ध किया और धरना स्थल पर अपनी मांग को लेकर हुंकार लगाई।
दिल्ली, चंडीगढ़, गुड़गांव एवं अन्य जगहों से भी बड़ी संख्या में मूल निवासियों ने पहुंचकर इस जनभावना में अपनी सहभागिता दी।
क्षेत्र की जनता ने कुछ समय के लिए नेशनल हाईवे बाधित कर सरकार की अनदेखी और उदासीनता के खिलाफ अपना आक्रोश प्रकट किया।
जिलाधिकारी से वार्ता के बाद मौके पर पहुंचे उप जिलाधिकारी नरेंद्रनगर देवेंद्र सिंह नेगी ने जनता को विश्वास दिलाया कि पंद्रह दिन के भीतर सिंगटाली पुल के निर्माण से संबंधित ठोस निर्णय जनता के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।
समिति ने सरकार को स्पष्ट शब्दों में बताया कि चार धाम यात्रा प्रारंभ होने तक यदि सिंगटाली पुल के निर्माण की ठोस कार्यवाही नहीं हुई, तो क्षेत्रीय जनता चार धाम यात्रा को बाधित करने पर विवश होगी।
इस आंदोलन के संयोजक एवं मूल निवास भू कानून समिति के नरेंद्रनगर संयोजक विकास रयाल “कर्मयोगी” ने स्पष्ट किया कि अगर सरकार की नींद सिंगटाली पुल के मुद्दे पर नहीं टूटी, तो चार धाम यात्रा भी सिंगटाली पुल की भेंट न चढ़ सकती है, सरकार के पास अभी भी समय है और क्षेत्रीय जनता की मांग को नजरअंदाज न किया जाए।
मूल निवास भू कानून समिती के संस्थापक संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि सिंगटाली पुल का निर्माण अब टाला नहीं जा सकता। यदि सरकार ने शीघ्र कार्रवाई नहीं की तो चार धाम यात्रा जैसी महत्वपूर्ण यात्रा भी इस जनाक्रोश से अछूती नहीं रहेगी।
समिति के संयोजक लूसुन टोडरिया ने कहा कि सिंगटाली पुल क्षेत्र के जीवन का सवाल है, यह सिर्फ एक विकास कार्य नहीं, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों की सांसें बचाने की जिद है। यदि आज क्षेत्रीय जनता शांत हैं, तो यह हमारी सभ्यता है, कमजोरी नहीं।
पूर्व गढ़वाल कमिश्नर एस एस पांगती, उदय सिंह नेगी, विनोद बर्थवाल ने बताया कि यह लड़ाई पिछले 2 दशक से लड़ी जा रही है लेकिन अब मूल निवास भू कानून संघर्ष समिति के जुड़ने से अब यह लड़ाई निर्णायक मोड पर पहुंचेगी।
राजेश्वरी मैठाणी ने कहा महिलाओं की पीड़ा को समझिए! बरसों से इस क्षेत्र की माताएं-बहनें कठिनाई झेल रही हैं। अब हमारी चुप्पी टूट चुकी है। सिंगटाली पुल के बिना क्षेत्र का विकास अधूरा रहेगा।
बेरोजगार संघ के उपाध्यक्ष राम कंडवाल, प्रवक्ता हिमांशु रावत, संजय सिलस्वाल ने सरकार को चेतावनी दी और कहा कि सरकार के पास चार धाम यात्रा शुरू होने तक का समय है। यदि सिंगटाली पुल का निर्माण कार्य शीघ्र प्रारंभ नहीं किया गया तो आंदोलन और व्यापक होगा और इसकी चपेट में शासन और पर्यटन दोनों आ जाएंगे।
इस आंदोलन में दिनेश चंद्र मास्टर, बेरोजगार संघ के उपाध्यक्ष राम कंडवाल, पूर्व विधायक ओम गोपाल रावत, पूर्व गढ़वाल कमिश्नर एसएस पांगती, सिंगटाली पुल संघर्ष समिति के अध्यक्ष उदय सिंह नेगी, मूल निवास भू कानून के केंद्रीय सचिव मनोज कोठियाल, गढ़वाल सभा दिल्ली के महासचिव पवन मैठाणी, उक्रांद के आशुतोष नेगी, आशीष नेगी, प्रमिला रावत, पूर्व सैनिक संगठन के सत्या कंडवाल, उषा डोभाल, शशि रावत, उषा जोशी, पुष्पा रावत, किनसुर ग्रामसभा के प्रधान दीपचन्द शाह, विनोद बर्थवाल, बॉबी रांगड़, विपिन नेगी, शांति प्रसाद थपलियाल, सुनील राणा, आशुतोष मैठाणी, पंकज मैठाणी, विजेंद्र जेठूडी, शिव शकर रयाल, के अलावा विभिन्न गांवों के ग्राम प्रधान और अन्य लोग शामिल थे।