छह दिवसीय विदेश दौरा: जापान में होने वाले जी-7 शिखर सम्मेलन के लिए पीएम मोदी (PM Modi) हुए रवाना, 3 देशों की करेंगे यात्रा
मुख्यधारा डेस्क
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजधानी दिल्ली से शुक्रवार सुबह जापान के शहर हिरोशिमा में होने वाले जी-7 शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए रवाना हो गए हैं। जापान के अलावा पीएम मोदी पापुआ न्यू गिनी और ऑस्ट्रेलिया का दौरा भी करेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का छह दिवसीय यह विदेश दौरा है। जानकारी के मुताबिक पीएम मोदी 19 से 21 मई के बीच जापान में जी-7 शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे।
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इस सम्मेलन में शामिल होने के लिए जापान के प्रधानमंत्री फूमियो किशिदा ने निमंत्रण भेजा था। तीन देशों की छह दिनों की यात्रा पर रवाना होने से पहले एक बयान में पीएम मोदी ने कहा कि वह जी7 देशों और अन्य आमंत्रित साझेदारों के साथ दुनिया के सामने मौजूद चुनौतियों और उनसे सामूहिक रूप से निपटने की जरूरत पर विचारों के आदान-प्रदान को लेकर उत्सुक हैं।
उन्होंने कहा कि मैं हिरोशिमा जी7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले कुछ नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी करूंगा।
विदेश मंत्रालय के एक बयान में बताया गया है कि भारत तीन औपचारिक सत्र में हिस्सा लेगा, जिसमें प्रथम दो सत्र 20 मई को और तीसरा सत्र 21 मई को आयोजित किया जाएगा। प्रथम दो सत्र के विषय खाद्य एवं स्वास्थ्य और लैंगिक समानता तथा जलवायु परिवर्तन व पर्यावरण होंगे।
वहीं, शांतिपूर्ण, टिकाऊ एवं प्रगतिशील विश्व जैसे विषयों को तीसरे सत्र में शामिल किया गया है। इस बैठक में क्लाइमेट चेंज और अर्थव्यवस्था के साथ-साथ चीन और रूस पर चर्चा की जाएगी।
अमेरिका यूक्रेन जंग के चलते रूस पर 300 पाबंदियां लगाने की योजना बना रहा है। वहीं, बैठक शुरू होने से पहले ही ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने रूस के हीरों पर बैन लगाने की घोषणा कर दी है।
इसके अलावा ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की भी इस बैठक में शामिल होंगे।
पीएम मोदी का जापान के बाद पैसिफिक द्वीप देशों की बैठक के लिए पापुआ न्यूगिनी जाना बताता है कि भारत इन छोटे जज़ीरों को भी बड़ी अहमियत देता है। खासतौर पर इंडो-पैसिफिक की उभरती ताकत और बड़े लोकतंत्र के तौर पर भारत का इन देशों के साथ खड़े होना भरोसे का एक नया पुल बनाता है।
खासतौर पर ऐसे में जबकि सोलोमन आइलैंड जैसे पैसिफिक द्वीप पर चीन अपने पुलिस एडवाइजर भेजने जैसे समझौते हासिल कर चुका है। दबदबे और दादागिरी के इस खेल में अगर भारत इन देशों को सहयोग का पैकेज ऑफर करता है तो यह उनकी पसंद बनना स्वाभाविक है। खासकर ऐसे में जबकि भारत के साथ अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे पैसिफिक देशों के कद्दावर खिलाड़ी भी साथ खड़े नजर आते हों।
इतना ही नहीं फिजी जैसे पैसिफिक द्वीप देश में भारतीय मूल के लोगों की मौजूदगी भी उसकी पैठ को मजबूती देती है। पीएम मोदी इस यात्रा में फिजी के पीएम सितिवेनी रबुका से भी मुलाकात करेंगे।
पैसिफिक द्वीप देशों के कुनबे में कुक आइलैंड्स, फिजी, किरिबाती गणराज्य, मार्शल आइलैंड्स गणराज्य, माइक्रोनेशिया के संघीय राज्य, नीयू, नाउरू गणराज्य, पलाऊ गणराज्य, पापुआ न्यू गिनी, समोआ, सोलोमन द्वीप, टोंगा, तुवालु और वानुअतु समेत कुल 14 देश शामिल हैं।
भारत ने इन देशों के साथ अलग से संवाद के लिए FiPIC फोरम की 2014 में शुरुआत की थी। पापुआ न्यू गिनी में हो रही बैठक इस श्रृंखला की तीसरी कड़ी है। पापुआ न्यूगिनि जैसे छोटे द्वीप देश की राजधानी पोर्ट मोरिसबी में पीएम मोदी एक रात भी बिताएंगे। जो अपने आप में भारत की तरफ से भरोसा जताने का एक कदम है। दरअसल मोदी 21 मई की शाम को पापुआ न्यू गिनी पहुंच जायेंगे और वहां 22 मई दोपहर तक रहेंगे।
भारतीय पीएम पापुआ न्यूगिनि के बाद ऑस्ट्रेलिया जाएंगे जिसके किनारे हिन्द महासागर और प्रशांत महासागर दोनों से मिलते हैं। यानी इंडोपेसिफिक के आँगन में ऑस्ट्रेलिया एक अहम किरदार भी है और भारत का साझेदार भी है।
भारत और ऑस्ट्रेलिया की करीबी का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि बीते एक साल के दौरान दोनों देशों के प्रधानमंत्री 5 बार मिल चुके हैं।