तीन माह की दुधमुंही बच्ची को छोड़ टिहरी जनपद में विवाहिता की संदिध मौत। दहेज उत्पीड़न व हत्या की तहरीर पर पति, सास-ससुर व दो ननदों के खिलाफ मुकदमा
टिहरी जिले में भिलंगना ब्लाक के पिपोला गांव की है घटना
मुख्यधारा ब्यूरो
टिहरी, घनसाली। टिहरी जनपद के भिलंगना ब्लॉक की एक बेटी तीन माह की दुधमुंही बच्ची को छोड़ इस दुनिया को अलविदा कह गईं। उसकी शादी जनवरी 2019 में हुई थी। शादी के करीब तीन-चार दिन बाद से ही ससुराल में उस पर जुल्मों का पहाड़ टूटने लग गया था, लेकिन पतिव्रता नारी ने कभी हिम्मत नहीं डोली और ससुरालियों की खिदमत में लगी रही। सोचा होगा एक न एक दिन तो ससुराली उन्हें दिल से जरूर अपना ही लेंगे, लेकिन किस्मत से ऐसा हो न सका और अपनी अबोध बालिका और अपने माता-पिता को रोते-बिलखते छोड़कर वइ इस दुनिया से चल बसी। मां के असमय इस दुनिया को अलविदा कहने से तीन माह की नन्हीं परी का भविष्य अंधकारमय हो गया है। वहीं मृतका के माता-पिता के सम्मुख भी आजन्म दुखों का पहाड़ खड़ा हो गया है।
आखिर इसके पीछे उसका कोई कसूर भी तो नहीं था। कसूर तो मात्र इतना था कि पति धर्म निभाने के लिए वह करीब एक साल चार माह तक चुपचाप पति के जुल्मों को सहती रहीं। बताया गया कि इस बीच उसकी सहनशक्ति एक बार जवाब भी दे गई थी और वह अपने मायके चली गई थी, लेकिन माता-पिता ने इसका समाधान निकालने की बजाय समझा-बुझाकर फिर उसे ससुराल वापस भेज दिया।
यह कहानी नहीं, बल्कि हकीकत है। यह दास्तां टिहरी जनपद की घनसाली तहसील क्षेत्र के अंतर्गत भिलंगना ब्लॉक के पिपोला गांव की 22 साल की वंदना की है। जिसकी 20 अप्रैल को पंखे से झूलते हुए संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। शिकायत पर राजस्व पुलिस मौके पर पहुंची और शव का पंचनामा भर कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। गहड़ गांव के रहने वाले मृतका के पिता लक्ष्मीनाथ ने अपनी लाडली की संदिग्ध मौत पर उसके पति समेत अन्य ससुरालियों पर दहेज उत्पीड़़न व हत्या की आशंका व्यक्त की थी। राजस्व उप निरीक्षक क्षेत्र बहेड़ी में मृतका के पति, सास, ससुर और दो ननदों के खिलाफ दहेज हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है। जिनसे पूछताछ चल रही है।
मृतका के मायके पक्ष से मिली जानकारी के अनुसार वंदना की जनवरी 2019 में शादी होने के दो-तीन दिनों बाद ही वंदना का पति जीत सिंह उसको दहेज के लिए मारपीट करने लग गया था, लेकिन उन्होंने हमेशा उसे समझाने का प्रयास किया।
वंदना के पति जीत सिंह के बारे में बता दें कि वह पेशे से अध्यापक है।
बहरहाल, वंदना को न्याय तभी मिल पाएगा, जब कानून और इसके रखवाले वंदना के माता-पिता का सौ फीसदी साथ देंगे। अन्यथा दोषियों को सख्त सजा न मिल पाने की स्थिति में उसकी आत्मा को भी तब तक सुकून नहीं मिल पाएगा।
यदि आपके दिल को भी यह हृदय विदारक घटना थोड़ी सी भी छुई हो तो इसे अपने व्हाट्सएप, फेसबुक पर शेयर कर वंदना को न्याय दिलाने में आप भी मददगार बन सकते हैं।