तबाही के भयावह मंजर की गवाही देती मोरी विकासखण्ड के सावणी गांव में घटित अग्निकांड की वीरान तस्वीरें
जहां कभी हंसी खुशी खेलती थी वहां सन्नाटा पसरा है
नीरज उत्तराखंडी/मोरी
उत्तरकाशी जनपद के मोरी तहसील के सुदूरवर्ती गांवों में हर साल अग्निकांड की घटनाएं होती रहती हैं। पिछले 18 सालों में महज मोरी तहसील क्षेत्र में 450 से अधिक मकान जलकर खाक हुए हैं। इन घटनाओं में दो ग्रामीण व सैकड़ों मवेशी जिंदा जले हैं।
आग लगने का मुख्य कारण देवदार, कैल की लकड़ी से बने आवासीय भवन हैं। मोरी क्षेत्र के 90 प्रतिशत गांवों में भवनों का निर्माण देवदार और कैल की लकड़ी से ही होता है। तथा मकान के चारों ओर ईंधन लकड़ी और पशुओं के लिए सर्द मौसम के लिए एकत्रित घास चारा है।छोटी सी लापरवाही बड़े अग्निकांड को घटित कर देती है। ऐसे में देवदर व कैल की लकड़ी और घास बारूद का काम करती है। ऐसे अग्निकांडों से अपने घर बचाने के लिए ग्रामीणों को भी सतर्क होने की जरूरत है। प्रशासन को भी इस मानव जनित आपदा को रोकने के लिए गहन चिंतन की जरूरत है।
अगर 19 वर्षों में मोरी में हुई अग्निकांडों की घटनाएं
* 2006 ढाटमीर गांव में 120 भवन जले, छह अन्न कुठार व 7 मवेशी जले।
* 2007 – ओसाला गांव में 53 भवन जले और 83 मवेशी झुलस कर मरे।
* 2008 जखोल में 44 आवासीय भवन, कोटगांव में आठ, नैटवाड़ में पांच भवन, भीतरी में दो भवन, मजेणी में दो भवन जले।
* 2009- सिदरी गांव में 25 भवन, पिता-पुत्री जिंदा जले, नौ पशु जले व इसी वर्ष सुचाण गांव आठ भवन जले।
* 2011-धारा गांव पांच मकान जले तथा 15 पशुओं की मौत हुई।
* 2012-पांव तल्ला गांव में सात भवनों में आग लगी।
* 2013 – सुनकंडी गांव में 22 भवन व सटूड़ी में तीन भवन जलकर खाक हुए
* 2014- जखोल में 16 भवन व 13 कोठार जलकर राख हुए।
* 2016- रैक्चा में नौ भवन जले।
* 2017 – सेवा गांव में चार भवन जले।
* 2018- सावणी में 29 भवन जलकर खाक हुए, करीब 100 मवेशी जिंदा जले।
* 2020-मसरी में 28 भवन जलकर खाक हुए।
* 2021- सिरगा में तीन भवन जले।
* 2022- गंगाड़ में दो भवन जले।
* 2024 – सालरा गांव में 14 भवन जले।
* 2024 ढाटमीटर गांव में तीन भवन जले।
* 2025 – सावणी गांव में नौ भवन व पांच अन्न के कोठार जले। महिला की मौत व चार मवेशी भी जले।
गांव में सड़क सुविधा और पानी की व्यवस्था न होना आग बुझाने में बनी बाधक
साल दर साल मोरी तहसील में घटित हो रहे अग्निकांड के साथ ही जनहानि, धन हानि व पशु हानि पर रोक लगाने के लिए आज तक कोई ठोस इंतजाम तक नहीं किए हैं। सावणी गांव में रविवार रात हुए भीषण अग्निकांड की सूचना पर अग्निशमन की टीम करीब तीन घंटे बाद रात 12.30 बजे पहुंची। तब तक सावणी में नौ भवन जल चुके थे और ग्रामीणों ने काफी हद तक आग पर काबू पा लिया था। इस गांव में सड़क सुविधा न होना और गांव में पानी की व्यवस्था न होना भी आग बुझाने में बाधक बना। ग्रामीणों को आग बुझाने के लिए आधा किमी दूर गदेरे से पानी ढोना पड़ा। इसके बाद भी करीब साढ़े पांच घंटे की मशक्कत के बाद ग्रामीणों की मदद से राहत व बचाव दल आग पर काबू पा सका।
पेयजल आपूर्ति सुचारू होती तो कुछ परिवार बच जाते बेघर होने से ग्रामीणों ने आग बुझाने की ठानी तो पानी की अव्यवस्था बनी परेशानी पारम्परिक तरीके आग पर मिट्टी डालकर बुझाई गई आग।
मोरी ब्लॉक के सावणी गांव में यदि पेयजल आपूर्ति सुचारू होती तो कुछ परिवार बेघर होने से बचाया जा सकता था। पेयजल आपूर्ति का आलम यह है कि गांव में चार दिन से पानी नहीं आ रहा। सड़क सुविधा से वंचित होने पानी की उचित व्यवस्था न होने से गांव में अचानक आग भड़कने से बुझाने का कोई साधन नहीं होने पर ग्रामीणों ने रेस्क्यू टीम के साथ मिट्टी खोद आग में डालकर काबू पाया।
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धू धूकर जलते आवासीय मकानों को बचाने के लिए ग्रामीण आग बुझाने के लिए पानी ढूंढने लगे, लेकिन गांव में चार दिन से पानी आने के कारण घरों में भी पीने लायक ही पानी था। उससे विकराल हो चुकी आग को बुझाना मुश्किल था। फिर ग्रामीणों और होमगार्ड के जवानों ने खेत और आंगन में मिट्टी खोदी और उससे आग पर काबू पानी की कोशिश की। काफी प्रयासों के बाद आग पर जब तक काबू पाया गया, 9 मकान जालकर राख हो चुके थे। वहीं एक बुजुर्ग महिला सहित चार मवेशी अपनी जान गंवा चुके थे।
पूर्व प्रधान ज्ञान सिंह ने बताया कि ग्रामीणों को आग बुझाने के लिए मिट्टी खोदनी पड़ी। सतावणी गांव में वर्ष 2018 में भी भीषण अग्निकांड हुआ था. जिसमें करीब 39 परिवार बेघर हो गए थे। उस समय भी आग बुझाने के लिए गांव में पानी नहीं मिला।
पेयजल निगम के अधिकारी का बताते है कि तीन दिन पूर्व पेयजल लाइन पर पेड़ गिरने के कारण पानी की आपूर्ति बंद हो गई थी। पर एक लाइन आपूर्ति के लिए शुरू कर दी गई है।
वर्ष 2018 की घटना के बाद सीएम घोषणा के बाद वहां पर करीब 40 लाख की लागत से टैंकों और पाइपलाइन का निर्माण हुआ था उसकी जिम्मेदारी ग्राम समिति के है।