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केदारनाथ धाम व यमुनोत्री धाम के कपाट विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद, इस साल उमड़े रिकॉर्ड तोड़ श्रद्धालु

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केदारनाथ धाम व यमुनोत्री धाम के कपाट विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद, इस साल उमड़े रिकॉर्ड तोड़ श्रद्धालु

देहरादून/मुख्यधारा

भाई-बहन का पवित्र पर्व भैयादूज आज पूरे देश भर में धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। हर साल इसी दिन उत्तराखंड में स्थित चार धाम में से दो धाम केदारनाथ और यमुनोत्री धाम के कपाट शीतकालीन 6 महीनों के लिए बंद होते हैं।

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सबसे पहले बुधवार सुबह 8:30 बजे भगवान केदारनाथ के कपाट भैयादूज पर वैदिक मंत्रोच्चार एवं पौराणिक परंपराओं के साथ विधिविधान से शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। मंदिर समिति ने पूरी तैयारी के साथ पूजा पाठ के बाद धाम के कपाट बंद कर दिए। इस खास मौके पर श्रद्धालुओं की भीड़ भी उमड़ी। अब बाबा केदार के कपाट अगले छह महीने के लिए बंद हो गए हैं।

सेना के बैंड की भक्तिमय धुनों के साथ बाबा की पंचमुखी विग्रह मूर्ति शीतकालीन गद्दी स्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

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इस खास मौके पर भारी संख्या में श्रद्धालु बाबा केदार के जयकारों के साथ डोली के साथ धाम से रवाना हुए। अब अगले छह माह बाबा के दर्शन श्री ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होंगे। यहां लोग बाबा केदार के दर्शन कर सकते हैं। केदारघाटी की ऊंची चोटियों पर बर्फ की चादर बिछी हुई है।

वहीं धाम के कपाट बंद होने के अवसर पर मौजूद भक्त कड़ाके की ठंड में सुबह-सवेरे से ही मंदिर परिसर में एकत्र होने लगे थे।

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बाबा केदार के कपाट बंद होने के अवसर पर मौसम साफ रहा और हजारों भक्तों ने पंचमुखी डोली के दर्शन किए। श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ( बीकेटीसी) अध्यक्ष अजेंद्र अजय मंगलवार को कपाट बंद की तैयारियों के लिए श्री केदारनाथ पहुंच गये थे।

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा की धर्मपत्नी रिनिकी भुयान सरमा और परिजन भी कपाट बंद होने के अवसर पर मौजूद रहे।

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उसके बाद यमुनोत्री धाम के कपाट बुधवार सुबह 11.57 बजे अभिजीत मुहूर्त में विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए।

वहीं मां यमुना और भाई शनिदेव सोमेश्वर देवता की डोली खरशाली गांव के लिए रवाना हो गई है। इस पल के कई श्रद्धालु साक्षी बने। यमुनोत्री धाम के कपाट बंद होने के बाद शीतकाल के 6 महीने मां यमुना के दर्शन खरसाली खुशी मैथ में होंगे। कपाट बंद होने के बाद मां यमुना की उत्सव डोली जैसे ही खरशाली गांव पहुंचेगी, वहां स्थानीय लोग मां यमुना का स्वागत बेटी की तरह करते हैं। जहां मां यमुना छह माह तक श्रद्धालुओं को दर्शन देंगी।

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बता दें कि इस साल 25 अप्रैल 2023 को मंदिर के कपाट खुले थे।यमुनोत्री धाम उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में है। इस साल यमुनोत्री धाम के दर्शन करने के लिए 7 लाख से ज्यादा श्रद्धालु पहुंचे।

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गंगोत्री धाम के कपाट 14 नवंबर को अन्नकूट पर्व पर श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए गए।बता दें कि इस साल चारधाम यात्रा को लेकर लोगों में खासा उत्साह देखने को मिला।

इस बार चारधाम यात्रा ने बनाया नया रिकॉर्ड, व्यवसायियों के खिले चेहरे

इस बार चार धाम यात्रा में तगड़ा कारोबार हुआ है। उत्तराखंड की धामी सरकार ने पहले ही भविष्यवाणी की थी कि इस बार श्रद्धालु रिकॉर्ड तोड़ आएंगे। इस वर्ष बाबा केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के लिए बेहद ही सुखद और आर्थिक रूप से सफल रही है।

इस बार उत्तराखंड में चारधाम तीर्थयात्रा ने अपना रिकॉर्ड बनाया है। 13 नवंबर तक चारों धामों में 55.89 लाख तीर्थयात्रियों ने दर्शन किए हैं। यह पहला अवसर रहा जब चारधाम यात्रा में तीर्थयात्रियों का हुजूम उमड़ा है।

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बीकेटीसी मुख्य कार्याधिकारी योगेन्द्र सिंह ने बताया कि केदारनाथ धाम में कपाट खुलने की तिथि से मंगलवार 14 नवंबर रात्रि तक 1957850 तीर्थयात्रियों ने दर्शन किये।

वहीं गंगोत्री धाम में तीर्थयात्रियों की संख्या का आंकड़ा 9.05 लाख के पार पहुंचे हैं जबकि यमुनोत्री धाम में 7.34 लाख से अधिक तीर्थयात्री पहुंच चुके हैं। इतनी बड़ी तदाद में तीर्थ यात्रियों के पहुंचने पर तीर्थ पुरोहितों सहित चारधाम यात्रा से जुड़े व्यापारी और व्यवसायी काफी खुश हैं।

बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की प्रेरणा और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मार्गदर्शन में श्री केदारनाथ यात्रा का सफलतापूर्वक समापन हो रहा है। इस यात्रा वर्ष साढ़े उन्नीस लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने भगवान केदारनाथ के दर्शन किये। उन्होंने यात्रा से जुड़े सभी संस्थानों को भी बधाई दी। वहीं 18 नवंबर को बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होंगे। इसी के साथ इस साल के लिए चारधाम यात्रा का समापन हो जाएगा।

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