Diwali 2023: बाजारों में दीपावली (Diwali) की दिखाई देने लगी रौनक, 10 से शुरू होगा पंचपर्व, इस बार रोशनी का पर्व पांच राजयोग के साथ मनाया जाएगा
देहरादून/मुख्यधारा
पूरे देश भर में रोशनी का पर्व दीपावली की धूम शुरू हो गई है। बाजार सज गए हैं। दुकानों में दीपावली की रौनक दिखाई देने लगी है। दीपावली की खुशियां मनाने के लिए लोग तैयार हैं। घरों में सजावट चल रही है। शॉपिंग और आभूषणों की खरीदारी हो रही है। रोशनी और खुशियों के त्योहार के आने का इंतजार हर किसी को रहता है। अपने-अपने घरों को लोग लौटना शुरू हो गए हैं। ट्रेनों में मारामारी है। दीपावली का उत्सव 10 नवंबर धनतेरस के पर्व से प्रारंभ हो रहा है। इस दिन आयुर्वेद के देवता धन्वंतरि की पूजा की जाएगी। इसी दिन से दीप जलाने की शुरुआत होगी और पांच दिनों तक जलाए जाएंगे। परंपरा के चलते इस दिन सोना-चांदी, बर्तन और हर तरह की खरीदारी की जाएगी।
माना जाता है कि इस दिन खरीदी चीजें अक्षय सुख और समृद्धि देने वाली होती हैं। हर वर्ष दीपोत्सव का पर्व 5 दिनों तक मनाया जाता है। धनतरेस से दिवाली का त्योहार शुरू हो जाता है और फिर इसके बाद नरक चतुर्दशी जिसे छोटी दिवाली भी कहते हैं मनाया जाता है। इसके बाद दीपावली फिर अगले दिन गोवर्धन पूजा और आखिरी दिन भाईदूज का त्योहार आता है। दिवाली का पर्व 12 नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह की अमावस्या तिथि पर पूरे देशभर में दिवाली का पर्व बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। दीपावली पर लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व होता है। दीपावली से एक दिन पहले नरक चतुर्दशी के दिन छोटी दीपावली मनाई जाती है।
मान्यताओं के अनुसार, नरक चतुर्दशी के दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर नामक असुर का वध किया था। नरकासुर ने 16 हजार से ज्यादा महिलाओं को अपनी कैद पर रखा था। जिन्हें भगवान श्रीकृष्ण ने आजाद कराया था। तब से छोटी दीपावली को नरक चतुर्दशी के तौर पर मनाया जाता है।
नरक चतुर्दशी के दिन यमराज के नाम से दिया जलाया जाता है। इसे दक्षिण दिशा में जलाया जाता है। साथ ही यह दिया पितरों के नाम का भी होता। इस दिशा में दिया जलाने से व्यक्ति को पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।
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इस बार कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि 12 और 13 नवंबर दोनों ही दिन रहेगी, लेकिन दीपावली का त्योहार 12 नवंबर को ही मनाया जाएगा। 12 नवंबर को दोपहर अमावस्या तिथि शुरू हो जाएगी ऐसे में रविवार की रात को ही लक्ष्मी पूजन के साथ दीपावली का त्योहार मनाया जाएगा।
इस साल दीपावली गजकेसरी, हर्ष, उभयचरी, काहल और दुर्धरा के राजयोग में मनेगी
इस बार दीपावली का पर्व शुभ संयोग में मनेगा। दीपावली पर एक साथ 5 राजयोग देखने को मिलेगा। ये 5 राजयोग गजकेसरी, हर्ष, उभयचरी, काहल और दुर्धरा नाम के होंगे।
इन राजयोगों का निर्माण शुक्र, बुध, चंद्रमा और गुरु ग्रह स्थितियों के कारण बनेंगे। वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गजकेसरी योग को बहुत ही शुभ माना जाता है। यह योग मान-सम्मान और लाभ देने वाला साबित होता है। वहीं हर्ष योग धन में वृद्धि और यश दिलाता है। जबकि बाकी काहल, उभयचरी और दुर्धरा योग शुभता और शांति दिलाता है।
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वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 14 नवंबर मंगलवार को 4 बजकर 19 मिनट से आरंभ होकर 15 नवंबर बुधवार को दोपहर 2 बजकर 41 मिनट पर समाप्त हो रही है। वहीं शास्त्रों के अनुसार गोवर्धन पूजा प्रदोष काल के समय की जाती है। इसलिए इस साल गोवर्धन पूजा 14 नवंबर मंगलवार को मनाई जाएगी।
गोवर्धन पूजा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यह त्योहार हर साल कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति बनाने की परंपरा है। साथ ही यह त्योहार भगवान श्री कृष्ण और गाय माता को समर्पित है।
वहीं मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण ने देवों के राजा इंद्र का घमंड चूर करने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा लिया था और गोकुल के लोगों की रक्षा की थी। ये त्योहार मथुरा और वृंदावन में विशेष रूप से मनाया जाता है। 15 नवंबर को भाई दूज का पर्व मनाया जाएगा।
भविष्य पुराण में लिखा है कि इस दिन यमुना ने अपने भाई यम को अपने घर पर भोजन करने के लिए बुलाया था। ये ही वजह है कि आज भी कई लोग इस परंपरा के चलते बहन के घर खाना खाने जाते हैं। इसके बाद बहन यमराज से भाई की लंबी उम्र की प्रार्थना करते हुए तिलक लगाती है।