प्राण संकट में डालकर आवागमन कर रहे हैं पंचगाई पट्टी (Panchgai Patti) के सीमांतवासी - Mukhyadhara

प्राण संकट में डालकर आवागमन कर रहे हैं पंचगाई पट्टी (Panchgai Patti) के सीमांतवासी

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प्राण संकट में डालकर आवागमन कर रहे हैं पंचगाई पट्टी (Panchgai Patti) के सीमांतवासी

नीरज उत्तराखंडी/पुरोला

जनपद उत्तरकाशी के मोरी विकास खंड के गोविन्द वन्य जीव विहार के अंतर्गत पंचगाई पट्टी के आधा दर्जन गांवों के सीमांत वाशिंदे प्राण संकट में डाल कर पहाड़ियों से पत्थर गिरने व भूस्खलन होने की भययुक्त जोखिम भरी खड़ी चढाई पगडंडी के सहारे नापने को विवश है।

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विगत जुलाई माह को क्षेत्र में भारी वर्षा के चलते सीमांत वासियों की जीवन रेखा कहे जाने वाला जखोल-लिवाड़ी मोटर मार्ग पर बैंचा नामक स्थान पर सुपीन नदी पर बना अस्थाई पुल बाढ़ की भेंट चढने व मोटर मार्ग जगह- जगह बोल्डर व मलवा आने से अवरुद्ध होने से बंद हो गया।

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मार्ग अवरुद्ध होने से ग्रामीण जान हथेली पर रख कर 15 से 17 किमी की दूरी पैदल तय करने को विवश है।
जखोल-लिवाड़ी मोटर मार्ग निर्माण कार्य वैवकोस कंपनी द्वारा किया जा रहा है।

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बैंचा में सुपीन नदी पर बन रहा अस्थाई लोहे सेतु का निर्माण कछुआ चाल से चल रहा है। यहां वैकल्पिक पुलिया के बहने से ग्रामीण निर्माणाधीन लोह सेतु पर बिछाई गई प्लेटों के ऊपर गुजर कर जान हथेली पर रख कर सुपीन नदी पार करने के बाद पैदल जोखिम भरी यात्रा कर फिताड़ी, राला, कांसला, रेक्चा, हरिपुर पहुंच रहे हैं।

वहीं लिवाड़ी के ग्रामीण वहां से ट्राली के सहारे सुपीन नदी पार कर रहे हैं लेकिन ग्रामीणों के मुताबिक ट्राली के तार भी ढीले हो कर सुपीन को छूने लगे हैं, जिससे ट्राली में आवागमन जोखिम भरा हो गया है।

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यह भी बताते चलें कि मामला जिला अधिकारी के संज्ञान आने पर उनके निर्देश पर लोक निर्माण विभाग ने सुपीन नदी पर सीमांत गांव लिवाड़ी के ग्रामीणों के लिए वैकल्पिक आवागमन के लिए ट्राली लगाई है। ग्रामीणों के अनुसार वर्तमान समय में उसके तार भी ढीले हो कर सुपीन को छूने लगे है जिससे ट्राली में आवागमन जोखिम भरा हो गया है। यही वजह है कि अब लिवाड़ी के ग्रामीण हरिपुर झुला पुल होते हुए 6 किमी की जोखिम भरी खड़ी पहाड़ियों की चढाई चढने को मजबूर है।

वही अब पंचगाई पट्टी के आधा दर्जन गांवों के ग्रामीण काश्तकारों के सामने क्षेत्र में तैयार नगदी फसल सेब, राजमा,चौलाई,मंडुवा आदि समय से मंडी पहुंचाने का संकट भी गहराने लगा है।

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सामाजिक कार्यकर्ता सत्यवान रावत ने बताया कि जखोल-लिवाड़ी मोटर मार्ग में आवाजाही बाधित होने से ग्रामीण जोखिमपूर्ण पैदल दूरी नाप कर गांव पहुंच रहे हैं। वही काश्तकारों के सामने क्षेत्र में तैयार नगदी फसल सेब, राजमा,चौलाई, मडवा आदि मंडी तक पहुँचाने का संकट पैदा हो गया है। उन्होंने आवागमन बहाल करने की मांग की है।

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क्या कहते हैं अधिकारी

—जखोल-लिवाड़ी मोटर मार्ग के संबंध में वैवकोस कंपनी के सहायक अभियंता आशीष चौधरी ने बताया कि बैंचा में सुपीन नदी पर बना रहा स्थाई लौह सेतु का निर्माण कार्य जारी है लेकिन पुल की एप्रोच रोड़ की कटिंग का प्राक्कलन शासन में सैद्धांतिक व वित्तीय स्वीकृति के लिए लंबित है। स्वीकृति मिलते ही कार्य पूर्ण कर लिया जायेगा। वही मार्ग का 3किमी से 7 किमी तक का हिस्सा भूस्खलन प्रभावित है जिस वजह से वहां बरसात में काम करना जोखिमपूर्ण है। मार्ग के शेष 8 किमी में आवाजाही सुचारू है। मार्ग का भूस्खलन प्रभावित 4 किमी क्षेत्र के स्थाई समाधान के लिए वैकल्पिक समरेखण की डीपीआर शासन को भेजी गई है। जिसका वन विभाग से स्वीकृति पर कार्य चल रहा है।

—-वही ट्राली के संबंध में लोनिवि की सहायक अभियंता चेतना पुरोहित ने बताया कि ट्राली के तार ढीले होने की जानकारी उन्हें नहीं है, मामले की जानकारी मिलने पर ट्राली को दुरूस्त कर आवागमन को सुलभ करवाया जायेगा।

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