बदरीनाथ धाम (Badrinath Dham) के कपाट शीतकालीन के लिए आज पूरे विधि विधान के साथ बंद किए जाएंगे, हजारों श्रद्धालु मौजूद - Mukhyadhara

बदरीनाथ धाम (Badrinath Dham) के कपाट शीतकालीन के लिए आज पूरे विधि विधान के साथ बंद किए जाएंगे, हजारों श्रद्धालु मौजूद

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बदरीनाथ धाम (Badrinath Dham) के कपाट शीतकालीन के लिए आज पूरे विधि विधान के साथ बंद किए जाएंगे, हजारों श्रद्धालु मौजूद

मुख्यधारा

उत्तराखंड स्थित विश्व प्रसिद्ध बदरीनाथ धाम के कपाट आज शीतकालीन के लिए बंद हो जाएंगे। ‌धाम के कपाट बंद करने की तैयारी कई दिनों से चल रही है। ‌कपाट बंद होने से पहले भगवान बदरीनाथ मंदिर को आकर्षक फूलों से सजाया गया है।

‌‌शनिवार दोपहर 3:35 पर पूरे विधि विधान के साथ बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे। कपाट बंद होने से पहले हजारों श्रद्धालु बदरीनाथ धाम पहुंचे हैं।‌

बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होते ही चारों धामों के कपाट शीतकालीन क लिए बंद हो जाएंगे। बदरीनाथ धाम के पूर्व धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल के मुताबिक कपाट बंद होने से पहले ही भगवान बदरी विशाल को ऊनी घृत कंबल ओढ़ाया जाएगा। यह ऊनी घृत कंबल माणा गांव की महिला मंगल दल की महिलाओं ने तैयार किया है, जिसे घी में भिगोकर तैयार किया गया है। इस घृत कंबल को मंदिर के मुख्य पुजारी ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी भगवान को अर्पित करेंगे।

इससे पहले शनिवार को रावल यानी मुख्य पुजारी ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी स्त्री का वेश धारण कर माता लक्ष्मी की प्रतिमा को बदरीनाथ धाम के गर्भ गृह में प्रतिष्ठापित करेंगे और उद्धव और कुबेर जी की प्रतिमा को मंदिर परिसर में लाया जाएगा।

बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ ही उत्तराखंड में स्थित गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ धाम की यात्रा भी आज संपन्न होगी। इतने यात्री कर चुके हैं ।‌ इह साल साढ़े 17 लाख से ज्यादा तीर्थयात्री भगवान बदरीनाथ के दर्शन कर चुके हैं।

बदरीनाथ के कपाट बंद होने के बाद उद्धव और कुबेर जी की डोली बामणी गांव में पहुंचेगी जबकि शंकराचार्य जी की गद्दी रावल निवास में आज रात्रि विश्राम करेगी।

शीतकाल में दिसंबर महीने से लेकर मई महीने तक बदरीनाथ धाम बर्फ की सफेद चादर में लिपटा रहता है। दिसंबर से फरवरी तक धाम से हनुमान चट्टी तक तकरीबन 10 किलोमीटर तक बर्फ जम जाती है।

इस दौरान बदरीनाथ धाम में पुलिस के कुछ जवानों के साथ ही मंदिर समिति के दो कर्मचारी तैनात रहते हैं। चीन सीमा से जुड़ा इलाका होने के कारण माणा गांव में आइटीबीपी के जवान तैनात रहते हैं।

कपाट बंद होने पर बामणी और माणा गांव के लोग और अन्य व्यवसाय बदरीनाथ धाम छोड़ कर निचले हिस्सों में चले जाते हैं। सेना के जवानों को छोड़कर किसी भी आम व्यक्ति को हनुमान चट्टी से आगे जाने की अनुमति नहीं होती।

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