मानिला धाम में है, माँ भगवती की वास्तविक उपस्थिति, बृहद धार्मिक स्थल के रूप में उभर रहा मानिला
उत्तराखंड का मानिला देवी मंदिर क्यों है खास, जानिए एक नज़र में…
पुष्कर रावत
उत्तराखंड के खूबसूरत पहाड़ों में बसा हुआ एक दिव्य स्थान है मनिला देवी मंदिर। यह मंदिर कुमाऊं मंडल के अल्मोड़ा जिले में भिक्यासेन तहसील मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।और इसे माँ भगवती के एक रूप मनिला देवी को समर्पित माना जाता है। यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्ता इसे भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल बनाती है।हर साल मंदिर में हज़ारो श्रद्धालू देश-विदेश से अपनी मुरादें लेकऱ मानिला आते है।
मान्यता है कि माँ सभी के मन कि बातें स्वयं सुन लेती है।जो भी भक्त सच्चे मन से माँ की शरण मे आते है माँ उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती है तथा जीवन के दुःखो को दूर कर खुशियों में बदल है। मानिला देवी मंदिर कमराड अपनी समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत के साथ मंदिरों के एक उल्लेखनीय संग्रह का घर भी है जो न केवल पवित्रता की झलक प्रदान कराते हैं बल्कि इनमें से प्रत्येक मंदिर, भक्ति, वास्तुशिल्प, वैभव और ईश्वर से गहरे संबंध की एक अनूठी कहानी समेटे हुए है। मानिला के प्रसिद्ध मंदिरों में कुछ असाधारण चीजें हैं जो इसे विशेष बनती हैं।परिसर में मुख्य 9 मंदिर हैं इन सभी मंदिरों के दर्शन के साथ ही माता की परिक्रमा पूरी मानी जाती है तथा भक्तो के दुख स्वयं सुखो मे परिवर्तित होने लगते है।
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परिक्रमा मार्ग में पढ़ने वाली सभी मंदिरों की अपनी मान्यता और विशेषताएं अलग-अलग हैं। तो चलो शुरू करते हैं मानिला देवी की परिक्रमा…..
1- माँ भगवती का प्राचीन मंदिर
महारानी माँ भगवती का यह मंदिर भारत और उत्तराखण्ड राज्य के प्रमुख मंदिरो मे से एक है। माँ भगवती एवं कलिका मंदिर ही मुख्य और प्राचीन हैं मंदिर। यह उन भक्तों के लिए एक पूजनीय तीर्थ स्थल है जो देवी का आशीर्वाद चाहते हैं। भवन मे विराजमान महामाई का मुख एक अद्वितीय तेज से दमकता है और उनकी आँखों में करुणा और ममता की झलक मिलती है।जो अपनी जीवंतता से हर किसी का ध्यान खींचती है। मूर्ति के समक्ष हर भक्त को ऐसा महसूस होता है जैसे माँ स्वयं उनकी बात सुन रही हैं और उन पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए हुए हैं।
मंदिर परिसर में आध्यात्मिक और शांत वातावरण है, जो इसे प्रार्थना और ध्यान के लिए एक शांतिपूर्ण स्थान बनाता है। भक्त अक्सर देवी का आशीर्वाद लेने और अपनी प्रार्थनाएँ अर्पित करने के लिए आते हैं।मंदिर एक विशिष्ट स्थापत्य शैली एवं जटिल पद्धती से विशालकाय शिलाओ से निर्मित हैं जो क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती हैं। इसकी आश्चर्यजनक वास्तुकला लुभावनी है।
2. कालका माता मंदिर
मानिला के मुख्य दो मंदिरो मे भगवती मन्दिर के ठीक सामने माँ कलिका का मंदिर है मानो दो बहिने आमने सामने बैठी हो। देवी काली को समर्पित एक पूजनीय मंदिर जो दिव्य स्त्री की एक शक्तिशाली अभिव्यक्ति है। यह मंदिर भक्तों को भगवान से संवाद करने और देवी काली से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आध्यात्मिक रूप से आवेशित वातावरण प्रदान करता है।माता भगवती और कालका देवी के मंदिरों का आमने-सामने होना एक अद्वितीय धार्मिक अनुभव प्रदान करता है। धार्मिक मान्यता हैं कि जब माता भगवती और कालका देवी के मंदिर आमने-सामने स्थित होते हैं, तो यह स्थान एक धार्मिक संगम के रूप में उभरता है। भक्तों को एक ही स्थान पर दो शक्तिपीठों का दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त होता है।यह एक ऐसी जगह है जहाँ लोग अक्सर शक्ति, सुरक्षा और बाधाओं को दूर करने के लिए प्रार्थना करते हैं। काली माता मंदिर की वास्तुकला और डिजाइन बिलकुल देवी भगवती मन्दिर की भाति ही है।
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3. पांडवों द्वारा निर्मित मंदिर
भगवती एवं काली मन्दिर से बाहर निकलते ही दायी ओर पास मे ही दो बहुत पुराने मन्दिर हैंl महाभारत युग में अज्ञातवास के दौरान यह मंदिर पांडवों द्वारा निर्मित माना जाता है। जिस मे इनमें कई मूर्तियां और कुछ ततकालीन शिलालेख आज भी मौजूद हैं महाभारत काल के दौरान पांडवों द्वारा निर्मित कई छोटे मंदिर भी भारत में पाए जाते हैं, जैसे (गुप्तकाशी मंदिर, त्रियुगी नारायण मंदिर, केदारनाथ मंदिर) जो न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर भी हैं। इन मंदिरों का संबंध पांडवों से जोड़ने वाली कथाएँ और मान्यताएँ यहा की संस्कृति और धार्मिक आस्थाओं को और भी समृद्ध बनाती हैं। इन स्थानों पर जाकर भक्तों को एक विशेष आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त होता है और वे इतिहास के उन पन्नों को महसूस कर सकते हैं जो महाभारत काल की महान गाथाओं से जुड़े हुए हैं।
4 नवदुर्गा मन्दिर
नवदुर्गा मंदिर की संरचना एक विशाल ब्रह्म कमल के फूल के आकार की है, जो अपने आप में बहुत ही अनोखी और आकर्षक है। यह कमल सफेद और गुलाबी रंगों में सजा हुआ है जो दूर से ही देखने में बहुत सुंदर लगता है।ब्रह्म कमल का आकार भारतीय संस्कृति और धर्म में विशेष महत्व रखता है, क्योंकि कमल को पवित्रता और दिव्यता का प्रतीक माना जाता है।
मंदिर का शंख रूपी गुम्बद सफेद रंग का हैं जो शांति और पवित्रता का प्रतीक हैl जबकि इसके आधार पर बने कमल के पंख गुलाबी रंग के हैं, जो सुंदरता और आकर्षण को दर्शाते हैं। यह रंग संयोजन इसे देखने में अत्यंत मनमोहक बनाता है वर्तमान में यह कमल मन्दिर मुख्य आकर्षण का केंद्र बना हुआ हैl जिसे देखने मात्र के लिए लोग खींचे चले आते है यह श्रद्धालुओं को अद्वितीय अनुभूति प्रदान करता है।
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मंदिर के अंदर माँ के सभी नौ रूपों की 9 प्रतिमा है जो अपनी सुंदरता और दिव्यता से हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देती है। ऐसा लगता है कि मानो माँ स्वयं सजीव रूप में वहाँ विराजमान हों। अप्रतिम प्रतिबिंब शीशे के सिहासन पर में मूर्तियों को विराजमान करने से उनके चारों ओर का प्रतिबिंब कई गुना बढ़ जाता है। यह प्रतिबिंब उन्हें अनंत रूप में प्रस्तुत करता है, जिससे लगता है कि मूर्तियाँ अंतहीन हैं।यह दृष्टि को एक अद्भुत और विशाल प्रभाव देता है। एक ही मूर्ति का प्रतिबिंब बार-बार देखकर भक्तों को ऐसा लगता है जैसे कि वे कई मूर्तियों के बीच में खड़े हैं, जिससे उनकी भक्ति और भी गहरी हो जाती है। यह व्यवस्था भक्तों को एक अनोखा और गहरा आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करती है। मूर्तियों की अनंतता का अनुभव उन्हें भगवान के अनंत स्वरूप का एहसास कराता है।जो मानिला को धार्मिक टूरिस्ट स्थल के रूप मे विकसित करने मे अहम् भूमिका निभा रहा है।
5 लक्ष्मी नारायण मंदिर
मानिला परिसर में ही परिक्रमा मार्ग पर पांचवा मन्दिर श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर हैं जो अपने आप में एक अलौकिक मंदिर हैl यह एक शानदार कमल की पंखुड़ी और सबसे उची गुम्बद वाला मंदिर हैंl लक्ष्मी नारायण मंदिर एक शानदार एवं पवित्र मन्दिर जो देवी लक्ष्मी को समर्पित है, जिन्हें सफलता की देवी के रूप में पूजा जाता है, और भगवान श्री विष्णुजी-नारायण, जो संरक्षित होने वाली हर चीज का प्रतिनिधित्व करते हैं स्वयं यहां विराजमान है।
6 सरस्वती माता मंदिर
परिक्रमा मार्ग पर कुछ भी कदम आगे बढ़कर माता सरस्वती अपने भवन में विराजमान है सरस्वती मंदिर देवी सरस्वती को समर्पित मंदिर है, जो ज्ञान, संगीत, कला और शिक्षा की देवी हैं। यह मंदिर विद्या और बुद्धि की देवी को समर्पित है, और यहां छात्र और विद्यार्थी अपनी शिक्षा में सफलता और ज्ञान प्राप्त करने के लिए पूजा करते हैं।मंदिर के अंदर देवी सरस्वती की सुंदर मूर्ति स्थापित है, जो वीणा बजाती हुई दिखाई देती है।विद्या की देवी मां सरस्वती का आशीर्वाद लेते हुए सभी भक्त मनिला देवी की परिक्रमा में आगे बढ़ते है परिक्रमा करते समय भक्त एक निश्चित दिशा में चलते हैं, जिससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और भक्तों को मानसिक शांति और संतोष प्राप्त होता है।
7 सिध्दी विनायक गणेश जी मंदिर
लक्ष्मी नारायण मंदिर से आगे बढ़ते ही परिक्रमा मार्ग मे मां सरस्वती मंदिर के ठीक बराबर में दायी और प्रथम पूज्य सिध्दीविनायक श्री गणपति महाराज जी का मंदिर स्थापित हैं भगवान गणेश को समर्पित यह मंदिर जो ज्ञान, बुद्धि और समृद्धि के देवता हैं। यह मंदिर भगवान गणेश की पूजा और आराधना के लिए बनाया गया है, और यहां भक्त उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आते हैं। मंदिर के अंदर भगवान गणेश की सुन्दर मूर्ति स्थापित है, जो उनकी बुद्धिमत्ता और ज्ञान को दर्शाती है। भगवान गणेश का मंदिर शुभता और समृद्धि का प्रतीक है, यह मंदिर भगवान गणेश की कृपा और आशीर्वाद से जीवन की बाधाओं को दूर करने और सुख-समृद्धि प्राप्त करने के लिए समर्पित है।
8 संकट मोचन हनुमान मंदिर
परिक्रमा मार्ग पर आठवा मंदिर संकट मोचन हनुमान मंदिर है बजरंगबली जी का मंदिर मां भगवती मनिला देवी और मां कालिका मंदिर के ठीक पीछे स्थिति हैं थोड़ा ऊचाई पर मानो प्रहरी के रूप मे स्वयं बजरंग बली साक्षात रूप मे खड़े होंl मां सरस्वती से अगला और अपने प्रभु श्री राम और राम परिवार से पहले ही रक्षक के रूप में विराजमान है माना जाता हैंl ऊंचाई पर बैठकर सम्पूर्ण मन्दिर परिसर के साथ समग्र क्षेत्र वासियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करते हुए आने वाले सभी भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैंl हनुमान मंदिर से संपूर्ण मनिला देवी परिसर के सुंदर दर्शन के साथ-साथ सुंदर प्राकृतिक सौंदर्य का मनोहरी दर्शन कर सकते हैं l मंदिर के ठीक सामने मां मानिला सल्ट तथा जौरासी की सुंदर पहाड़ियों का मनमोहक दृश्य देखने को मिलता है जबकि ठीक पीछे रानीखेत चिलिया नौला का मनोहारी दृश्य।
राम मंदिर (राम परिवार)
राम मंदिर, विशेष रूप से राम परिवार को समर्पित एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल हैं। ये मंदिर भगवान श्रीराम, माता सीता, और उनके भाइयों लक्ष्मण, भरत, और शत्रुघ्न के साथ-साथ हनुमानजी की मूर्तियों के साथ प्रतिष्ठित हैं। यह मंदिर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के जीवन और उनके परिवार के आदर्शों का प्रतीक हैं l धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, परिक्रमा करने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। यह भगवान की कृपा प्राप्त करने का एक माध्यम माना जाता है।
9 शिव मंदिर
शिव मंदिर भगवान शिव के भक्तों के लिए पूजा और भक्ति का एक पवित्र स्थान है। मंदिर एक शांत और शांतिपूर्ण वातावरण प्रदान करता है जो इसे ध्यान और चिंतन के लिए एक आदर्श स्थान बनाता है। भक्त यहा आंतरिक शांति और आध्यात्मिक सांत्वना की तलाश में आते हैं। मानिला परिसर में जितने मंदिर हैं हर मंदिर की अपनी अलग मान्यता भी है। सावन मे यहा विशेष पूजा का आयोजन किया जाता हैं तथा भक्तो की भारी भीड़ रहती हैं।
शिव मंदिर से मिलता हुआ एक विशालकाय सत्संग भवन का निर्माण किया गया है l सत्संग भवन से नीचे उत्तरते ही पीठधीश महंत श्री दत्तगिरी महाराज का आश्रम हैं जिसके साथ ही माता की परिक्रमा पूर्ण होती है यहां पर प्रतिवर्ष सावन मास में महापुराणों का वाचन एवं महाप्रसाद का आयोजन किया जाता है और ठीक 15 अगस्त को बहुत बड़ा मेला (कौतिक) का आयोजन होता है जहां पर क्षेत्र की संस्कृति को बहुत करीब से देखा जा सकता हैl नवरात्रो एवं पर्व पर यहा विशेष आयोजन देखने को मिलते हैं।
हर वर्ष मंदिर में लाखों श्रद्धांलु अपनी मुरादें लेकर आते हैI मान्यता है कि माँ सभी के मन कि बातें स्वयं जान जाती है जो भी भक्त सच्चे मन से माँ की शरण मे आते है माँ उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती है तथा जीवन मे खुशियाँ भर देती है।
भक्तों का अनुभव
जो भी भक्त इस मंदिर के दर्शन करने आते हैं, वे यहाँ की दिव्यता और पवित्रता को अनुभव करते हैं। उनका मानना है कि इस धाम में माँ की वास्तविक उपस्थिति है, जो उनकी सभी समस्याओं का समाधान करती हैं और उन्हें आशीर्वाद देती हैं। धाम के दर्शन से भक्तों को आत्मिक शांति और मानसिक संतोष प्राप्त होता है। इस प्रकार, यह तीर्थ स्थल हर श्रद्धालु के लिए एक विशेष अनुभव प्रदान कराता है, जो उनके जीवन को सकारात्मकता और ऊर्जा से भर देता है।