इस बार गणतंत्र दिवस (Republic Day) पर 40 साल बाद राष्ट्रपति बग्घी में सवार होकर पहुंचीं, कर्तव्य पथ पर महिलाओं की दिखाई दी ज्यादा भागीदारी - Mukhyadhara

इस बार गणतंत्र दिवस (Republic Day) पर 40 साल बाद राष्ट्रपति बग्घी में सवार होकर पहुंचीं, कर्तव्य पथ पर महिलाओं की दिखाई दी ज्यादा भागीदारी

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इस बार गणतंत्र दिवस (Republic Day) पर 40 साल बाद राष्ट्रपति बग्घी में सवार होकर पहुंचीं, कर्तव्य पथ पर महिलाओं की दिखाई दी ज्यादा भागीदारी

मुख्यधारा डेस्क

75वां गणतंत्र दिवस पूरे देश भर में धूमधाम के साथ मनाया गया। विभिन्न प्रदेशों की राजधानी में भी गणतंत्र दिवस धूमधाम के साथ मनाया गया। राजधानी दिल्ली में इस बार राष्ट्रपति 40 साल बाद बग्घी में दिखाई दीं। सबसे मुख्य आकर्षण दिल्ली के कर्तव्य पथ पर हुआ। कर्तव्य पथ पर परेड का आगाज 100 महिला म्यूजिशियन ने शंख, नगाड़े और दूसरे पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ किया। 100 महिलाओं ने अपने पारंपरिक पहनावे में लोक नृत्य किया। फ्लाईपास्ट में एयरफोर्स के 51 एयरक्राफ्ट हिस्सा लिया। इनमें 29 फाइटर प्लेन , 7 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, 9 हेलिकॉप्टर और एक हेरिटेज एयरक्राफ्ट थे। फ्लाईपास्ट में पहली बार फ्रांसीसी आर्मी के राफेल भी शामिल हुए। गणतंत्र दिवस पर 16 राज्यों-केंद्र शासित प्रदेशों और 9 मंत्रालयों की झांकियां कर्तव्य पथ पर दिखीं। इस बार सबसे खास इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन और उत्तर प्रदेश की झांकी रही। इसरो की झांकी में इस बार चंद्रमा के साउथ पोल पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग को दिखाया गया।

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उत्तर प्रदेश की झांकी चर्चा में रही। यह झांकी भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या विकसित भारत- समृद्ध भारत’ पर केंद्रित रही। इसमें भगवान राम के बाल रूप को दिखाया गया। इस साल कर्तव्य पथ पर परेड और झांकियों में महिलाओं की भागीदारी ज्यादा दिखी। सुबह साढ़े 10 बजे परेड शुरू हुआ तो 100 महिलाओं ने शंख और नगाड़ा बजाकर इसका आगाज किया। ये गणतंत्र दिवस के इतिहास में पहली बार हुआ। इस बार गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों थे। इस मौके पर पीएम मोदी वॉर मेमोरियल पहुंचे और शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान पीएम मोदी रंग-बिरंगी पगड़ी में नजर आए। वे हर बार गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस पर अलग-अलग तरह की पगड़ियों में नजर आते हैं। इस बार जो पगड़ी पीएम ने पहनी है वह बांधनी प्रिंट की है जो राजस्थान में काफी लोकप्रिय है।

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गणतंत्र दिवस समारोह को मनाने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू कर्तव्य पथ पर पहुंची। यहां पर राष्ट्रपति मुर्मू बग्घी पर सवार होकर पहुंची। इस दौरान बग्घी में उनके साथ ही फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों भी थे। जिस बग्घी में दोने नेता सवार हुए उसका इस्तेमाल राष्ट्रपति के लिए 40 साल बाद किया गया है। कार्तव्य पथ पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन के पहुंचने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनका स्वागत किया। वहीं, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दूसरी बार राजपथ पर तिरंगा फहराया। 13 हजार स्पेशल गेस्ट भी पहुंचे। इस बार गणतंत्र दिवस की थीम ‘विकसित भारत’ और भारत-लोकतंत्र की मातृका (जननी) है।22 दिसंबर 2023 को घोषणा की गई थी कि फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि होंगे। उन्हें हाल ही में न्योता मिला था क्योंकि पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को आमंत्रण देने की खबर थी लेकिन बाइडन वार्षिक स्टेट ऑफ द यूनियन कार्यक्रम के कारण नहीं आ सके। अंतिम समय के अनुरोध के बावजूद फ्रांसीसी राष्ट्रपति भारत आए जो यह दिखाता है कि फ्रांस हमारा एक सदाबहार मित्र है।

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पहले गणतंत्र दिवस 1950 में इस बग्घी का किया गया था इस्तेमाल–

बता दें कि 1950 में पहले गणतंत्र दिवस पर इस बग्घी का इस्तेमाल किया गया था। तब देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद इस बग्घी में बैठे थे। 1984 तक यह परंपरा जारी रही। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद इस बग्घी की जगह हाई सिक्योरिटी वाली कार ने ले लिया। बता दें कि भारत का संविधान लागू होने के दिन 26 जनवरी 1950 को पहली बार गणतंत्र दिवस मनाया गया था। इस मौके पर दिल्ली में शानदार परेड निकाली गई थी। इस कार्यक्रम में देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने भी हिस्सा लिया था और पहली बार स्वतंत्र भारत का ऐसा भव्य समारोह देखकर भारतीयों की आंखों भर आई थीं। जान लें कि देश के पहले गणतंत्र दिवस का कार्यक्रम दरबार हॉल में किया गया था। भारत के पहले रिपब्लिक डे के मौके पर 31 तोपों की सलामी दी गई थी। परेड के दौरान राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने सेना की अलग-अलग टुकड़ियों की सलामी ली थी। 15 अगस्त 1947 को देश की आजादी के समय दोनों मुल्कों के बीच जमीन, सेना से लेकर हर चीज के बंटवारे के लिए नियम तय किए जा रहे थे। इसे आसान बनाने के लिए प्रतिनिधियों की नियुक्ति की गई थी। भारत के प्रतिनिधि थे एचएम पटेल वहीं पाकिस्तान की ओर से चौधरी मोहम्मद अली को प्रतिनिधि बनाया गया था. हर चीज का बंटवारा जनसंख्या के आधार पर हुआ।

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उदाहरण के तौर पर राष्ट्रपति के अंगरक्षकों को 2:1 के अनुपात में बांटा गया। जब बारी आई राष्ट्रपति की बग्घी की, तो इसे हासिल करने के लिए दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच बहस छिड़ गई। समस्या को उलझता देख अंगरक्षकों के चीफ कमांडेंट ने एक युक्ति सुझाई, जिस पर दोनों प्रतिनिधियों ने सहमति जाहिर की। कमांडेंट ने बग्घी के सही हकदार का फैसले करने के लिए सिक्का उछालने को कहा। ये टॉस राष्ट्रपति बॉडीगार्ड रेजिमेंट के कमांडेंट लेफ्टिनेंट कर्नल ठाकुर गोविन्द सिंह और पाकिस्तान के याकूब खान के बीच हुआ। भारत में टॉस जीत लिया और तब से आज तक यह बग्घी राष्ट्रपति भवन की शान बनकर रही है। काले रंग की इस बग्घी पर सोने की परत चढ़ी हुई है और इसे खींचने के लिए खास किस्म में घोड़ों का चयन किया जाता है। आजादी के पहले इसे 6 ऑस्ट्रेलियाई घोड़ों से खिंचवाया जाता था लेकिन, अब इसे सिर्फ 4 ही घोड़े खींचते हैं। इस पर भारत के राष्ट्रीय चिह्न को भी अंकित किया गया है। 2014 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने फिर इस बग्घी का इस्तेमाल शुरू किया। वह बीटिंग रिट्रीट कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए इस बग्घी पर सवार होकर पहुंचे थे। आगे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी इसकी सवारी की थी, जबकि अब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू इस ऐतिहासिक बग्घी से गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होने कर्तव्य पथ पर पहुंचीं।

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