ब्रेकिंग: उत्तराखंड आयुर्वेदिक विवि के विरुद्ध भ्रामक खबरें चलाने वालों पर होगी कार्यवाही: कुलपति Prof. Sunil Joshi - Mukhyadhara

ब्रेकिंग: उत्तराखंड आयुर्वेदिक विवि के विरुद्ध भ्रामक खबरें चलाने वालों पर होगी कार्यवाही: कुलपति Prof. Sunil Joshi

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देहरादून/मुख्यधारा

उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुनील कुमार जोशी (Prof. Sunil Joshi) ने विश्वविद्यालय के विरुद्ध समाचार पत्रों में प्रकाशित किए गए भ्रामक समाचारों पर कड़ी नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि यह विवि के खिलाफ षडयंत्र हो रहा है और विश्वविद्यालय की छवि खराब करने का प्रयास किया जा रहा है।

उत्तराखण्ड आयुर्वेद विवि के कुलपति प्रो. सुनील कुमार जोशी (Prof. Sunil Joshi) ने आज अपने कार्यालय में पत्रकारों से वार्ता करते हुए विश्वविद्यालय के विरुद्ध समाचार पत्रों में भ्रामक खबरें प्रकाशित किए जाने पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद विश्वविद्यालय के भीतर व बाहर भी कुछ ऐसे तत्व हैं, जो लगातार विश्वविद्यालय एवं उनके अधिकारियों की छवि खराब करने में लगे रहते हैं। ऐसे व्यक्तियों को चिन्हित करते हुए नियमानुसार दण्डात्मक कार्यवाही की जाएगी।

प्रो. सुनील जोशी (Prof. Sunil Joshi) ने कहा कि उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के विरुद्ध समाचार पत्रों व सोशल मीडिया में भ्रामक तथ्यहीन खबरें प्रकाशित होने से उत्तराखण्ड राज्य ही नहीं, बल्कि संपूर्ण भारतवर्ष में अकारण विश्वविद्यालय के अधिकारियों व कर्मचारियों की छवि धूमिल को रही है।

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विभिन्न समाचार पत्रों में ”उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में वित्तीय अनियमितता एवं भ्रष्टाचार व गड़बडिय़ों की जांच एवं कुलपति कुलसचिव नदारद” खबर प्रकाशित की गई। श्री जोशी (Prof. Sunil Joshi) ने कहा कि इस खबर से ऐसा परिलक्षित होता है कि समाचार पत्रों द्वारा पहले से ही यह मान लिया गया है कि विश्वविद्यालय में ऐसा चल रहा है, जबकि जांच प्रक्रिया अभी शुरू भी नहीं हुई है।

प्रो. सुनील कुमार जोशी (Prof. Sunil Joshi) ने कहा कि यह बयान किस स्तर से जारी किया गया, संबंधित समाचार के संबंध में विश्वविद्यालय के किसी उच्चाधिकारी का पक्ष नहीं लिया गया। इससे स्पष्ट होता है विवि की छवि धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है।

कुलपति स्वयं विश्वविद्यालय कार्यों से हरिद्वार में ही थे एवं समय से उन्हें जांच समिति के सदस्यों के विश्वविद्यालय पहुंचने की कोई आधिकारिक सूचना नहीं दी गई थी। विश्वविद्यालय के कुलसचिव भी उस समय एक शुल्क संबंधी लगभग छह साल पुराने मामले में मानवाधिकार आयोग के समक्ष व्यक्तिगत रूप से सुनवाई के लिए गए हुए थे। जांच समिति के सदस्यों द्वारा कुलसचिव से भी विश्वविद्यालय में आने के संबंध में कोई संपर्क नहीं किया गया था।

समिति द्वारा बिना उच्चाधिकारियों की उपस्थिति में वित्त नियंत्रक कक्ष में कुछ कर्मचारियों को बुलाकर पूछताछ की गई और जांच समिति के सदस्य कुछ देर बाद वहां से वापस चले गये। आयुर्वेद विश्वविद्यालय के भीतर व बाहर भी कुछ ऐसे तत्व हैं जो लगातार विश्वविद्यालय एवं उनके अधिकारियों की छवि खराब करने में लगे रहते हैं। ऐसे व्यक्तियों को चिन्हित करते हुए नियमानुसार उनके विरुद्ध दण्डात्मक कार्यवाही की जाएगी।

इस अवसर पर विवि के कुलपति प्रो. सुनील जोशी (Prof. Sunil Joshi) ने विगत दो वर्षो में विश्वविद्यालय द्वारा हासिल की गई कई उपलब्धिों को भी पत्रकारों के समक्ष रखा।

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