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उत्तराखंड: हैण्ड फुट माऊथ डिजीज (HFMD) की रोकथाम के लिए गाइडलाइन जारी। जानिए HFMD के नियंत्रण, रोकथाम व उपचार की महत्वपूर्ण जानकारियां

admin
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देहरादून/मुख्यधारा

उत्तराखंड में भी हैण्ड फुट माऊथ डिजीज (HFMD) की रोकथाम के लिए अलर्ट जारी कर दिया गया है। इस संबंध में चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की ओर से आदेश जारी किया गया है।

सचिव (प्रभारी) डा. आर. राजेश कुमार द्वारा जारी आदेश के अनुसार प्रदेश के सभी जनपदों के जिलाधिकारियों एवं मुख्य चिकित्साधिकारियों को हैण्ड फुट माऊथ डिजीज (HFMD) पर कड़ी निगरानी रखने के साथ ही इस पर नियंत्रण एवं बचाव के पहलुओं पर जागरूक करने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने निर्देश दिए हैं कि HFMD की स्थिति की कड़ी निगरानी की जाए। प्रदेश के सभी राजकीय एवं निजी चिकित्सालयों में सभी चिकित्सकों व सम्बन्धित स्वास्थ्य कर्मियों को HFMD के नियंत्रण एवं बचाव के पहलुओं पर जागरूक किया जाए। साथ ही आशा कार्यकत्रियों के माध्यम से जनसमुदाय में HFMD से बचाव पर भी जागरुकता करवाना सुनिश्चित करें।

आदेश में कहा गया है कि प्राय: देखा जा रहा है कि उत्तराखण्ड राज्य में विभिन्न जनपदों में बच्चों में हैण्ड फुट माऊथ डिजीज (HFMD), Tomato Flu का प्रकोप बढ़ रहा है। HFMD के प्रकोप को रोकने के लिये हरसम्भव प्रयास किया जाना आवश्यक है।

॥श्वरूष्ठ के नियंत्रण एवं रोकथाम के लिये निम्न जानकारी एवं निरोधात्मक गतिविधियां आवश्यक हैं:-

1. HFMD संक्रमण ड्रॉप्लेट इन्फैक्शन यानि खांसने व छींकने से फैलता है व संक्रमित व्यक्ति के नजदीकी सम्पर्क में आने से थूक अथवा लार के सम्पर्क से फैलता है।
2. HFMD के लक्षण हंै बुखार का आना, बदन दर्द, जी मचलाना, भूख न लगना, गले मे सूजन व दर्द, दस्त लगना, जोड़ों में सूजन आदि। साथ ही एक से दो दिन के भीतर मसूड़ों, चेहरे, जीभ एवं हाथ व पंजों में चकत्ते आना।
3. बचाव के तरीके सकमित बच्चे अथवा व्यक्ति को बीमारी की अवधि के दौरान आईसोलेट करना, ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके, बच्चे को जागरूक किया जाये, चकत्तों को रगड़ा न जाये, मास्क का इस्तेमाल एवं छींकते व खांसते समय सावधानी बरती जाए।

HFMD का क्या है उपचार

HFMD आमतौर पर मामूली रोग के रूप में परिलक्षित होता है एवं सामान्य लक्षणों के साथ स्वत: ही ठीक होने वाला रोग है। थोड़ी सी सावधानी से रोग को पूरी तरह से नियंत्रण में किया जा सकता है।

लक्षण होने पर शरीर में समुचित हाईड्रेशन रखा जाये। प्रचुर मात्रा में पानी एवं तरल पदार्थो का सेवन किया जाये, संतुलित आहार लिया जाये, हरी सब्जियाँ, फल, प्रोटीन डाईट एवं विटामिन का सेवन किया जाये। बुखार व दर्द के लिए पैरासिटामॉल का इस्तेमाल किया जाये।

 

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