सत्यपाल नेगी/रुद्रप्रयाग
नमामि गंगे के तहत नदी के किनारे बनाये गये घाटों पर करोड़ों रुपया विकास के नाम पर खर्च किये गये, मगर उसका सदुपयोग कैसे हो रहा, हम आपको इन तस्वीरों मे दिखा रहे हैं।
रुद्रप्रयाग जिले में अलकनन्दा नदी पर बने करोड़ों रुपये के घाट की जीती जागती तस्वीर साफ बयां कर रही है कि ये कैसा विकास? जो किसी जन मानस के काम ही नहीं आया।
हर साल यह घाट कहें या करोड़ों रुपया पानी में डुबा दिया गया जाता है, किंतु इसका जनता को फायदा मिलता नहीं दिखा। हालांकि यह अलग बात यह है कि सरकार के बिचौलियों व कार्यदायी संस्थाओं को जरूर इसका मुनाफा हुआ है।
सवाल यह है कि आखिर करोड़ों रुपया बिना जनता की राय लिए क्यों बर्बाद किया गया? अब इसकी सफाई में हर साल की तरह लाखों फिर खर्च किये जायेंगे? ऐसे में अब आम जनता के सम्मुख ज्वलंत सवाल यह है कि करोड़ों रुपया आपके क्या काम आया? सवाल यह भी है कि जब इन घाटों पर निर्माण कार्य चल चल रही थी तब स्थानीय जनता अपने बेहतर हितों को लेकर मौन क्यों रही?
बहरहाल, अब देखना यह है कि आने वाले दिनों में इस तरह के कार्यों पर और कितना खर्च किया जाता है और सरकारी बजट को ठिकाने लगाने की बजाय जनहित को ध्यान में रखकर निर्माण किए जाते हैं या फिर महज खानापूर्ति ही की जाएगी, इस पर समस्त क्षेत्रवासियों की तिरछी नजर रहेगी!