रमेश पहाड़ी
कोविड-19 से बचाव के लिए देशभर में जो लॉकडाउन किया गया और उसके पश्चात उसे खोलने के बाद जीपों, टैक्सियों और बसों ने जो मनमाने किराये वसूलने शुरू किये हैं। इससे आर्थिक तंगी झेल रहे लोगों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन यह मनमानी है कि कोई इस ओर ध्यान देने को तैयार नहीं है। मनमानी किराए की मार सर्वाधिक पहाड़ी जिलों के निवासियों पर अधिक पड़ रही है क्योंकि उनके पास सीमित विकल्प होने के कारण उनकी मजबूरी हो जाती है कि उन्हें मनमाने किराए पर ही इधर से उधर जाना पड़ता है अमूमन यह हाल पूरे प्रदेश भर का है, लेकिन कोई भी इसके खिलाफ बोलने को तैयार नहीं हैं।
इस लूट से यात्रियों को बचाने के लिए मैंने परिवहन विभाग और प्रशासन का ध्यान आकर्षित किया था। उस पर परिवहन विभाग ने तत्काल संज्ञान लेते हुए चालानों के आँकड़े दिए हैं।
इस समस्या के समाधान के लिए आवश्यक था कि किराया तय करते हुए, उसका प्रभावी अनुसरण होना चाहिए। अब यदि 9 सीट वाली जीपों में 5 सवारी जाती हैं तो लॉकडाउन के पहले की अपेक्षा दुगुना से अधिक किराया नहीं लिया जाना चाहिए।
परिवहन विभाग को तय करना चाहिए कि 5 किमी तक कितना और उसके अगले 5 किमी कितना किराया जीप-टैक्सी वाले लें? मसलन बेलनी से विकास भवन या कलक्ट्रेट तक का किराया पहले रु. 10-00 था तो अब रु. 20-00 से अधिक बिल्कुल नहीं होना चाहिए।
इसी प्रकार का किराया निर्धारण जिले के सभी स्टेशनों और मार्गों के लिए किया जाना चाहिए और इसे मुख्य स्टेशनों पर बोर्ड लगाकर दर्शाया जाना चाहिए, ताकि सवारियों से हो रही लूट बन्द हो।
इसी प्रकार प्रत्येक स्टेशन के लिए जीपों, टैक्सियों और बसों का किराया तय कर, उसका सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित करवाया जाना चाहिए।
परिवहन विभाग और जिला प्रशासन से अनुरोध है कि इसे तुरन्त अमल में लाएं और अनुश्रवण भी प्रभावी ढंग हो। यात्रियों की शिकायतों का संज्ञान लेने की भी प्रभावी व्यवस्था की जाए।