मामचन्द शाह
देहरादून में ट्रांसफर कराकर भला कौन नहीं आना चाहता। इतना अच्छा शहर है, आबोहवा भी अच्छी है और तमाम भौतिकवादी सुख-सुविधाएं मौजूद हैं, ऐसे में भला दुर्गम पहाड़ों की सर्द हाड़ कंपाने वाली ठंड और गर्मियों में कई-कई किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई नापकर पसीना बहाते हुए कौन जाना चाहेगा स्कूल में पढ़ाने, किंतु अब सरकारी नौकरी में हैं तो नौकरी तो करना ही पड़ेगा न…!
वहीं दूसरी ओर कई ऐसे खुशनसीब लोग भी मौजूद हैं, जो देहरादून व अन्य सुविधा संपन्न जगहों के एक ही स्थान पर वर्षों-वर्षों से जमे हुए हैं। किसी की क्या मजाल कि उन्हें उस स्थान से कोई टस से मस करा पाए। स्थिति ये है कि पहाड़ों में तैनात किसी कार्मिक की सख्त बीमारी के बावजूद उन्हें सुगम में तैनाती नहीं मिल पाती।
इस सबके बीच आज पत्र सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रहा है। यह पत्र कार्यालय माध्यमिक शिक्षा निदेशक, उत्तराखंड ननूरखेड़ा देहरादून से अपर निदेशक एसपी खाली द्वारा हस्ताक्षरित कर 20 दिसंबर 2021 को जारी किया गया है। अब आप सोचेंगे कि इसमें खास बात क्या है। पत्र या आदेश तो सरकारी अधिकारियों द्वारा जारी होते ही रहते हैं।
इस पर आपको बताना चाहते हैं कि ये पत्र कोई आम व्यक्ति का पत्र नहीं है, बल्कि यह कार्यालय आदेश खास के लिए जारी किया गया है। और वह खास कोई और नहीं, बल्कि अल्मोड़ा सांसद अजय टम्टा की पत्नी सोनल टम्टा हैं। सोनल टम्टा का राजकीय इंटर कालेज जुम्मा पिथौरागढ़, प्रवक्ता अंग्रेजी के पद से प्रतिनियुक्ति/सेवा स्थानांतरण पर तैनात करने की स्वीकृति दी गई है। उनका कुमाऊं प्रखंड को छोड़ एसीईआरटी देहरादून में प्रवक्ता के रिक्त पद को भरने के लिए स्थानांतरण किया गया है। अब इसकी आलोचना करने वालों को भला कौन समझाए कि इसमें गलत क्या है…? पद रिक्त था तो उसे भरना तो ही था न!
धारचूला विधायक हरीश धामी कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी की कथनी और करनी में अंतर है। उन्होंने कहा कि सांसद अजय टम्टा ने अपने गोद लिए गांव से अपनी शिक्षिका पत्नी का अटैचमेंट देहरादून में करवा लिया है। विधायक धामी ने सवाल पूछते हुए कहा है कि बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का अधिकार किसने दिया है आपको!
इस संबंध में क्रांतिकारी शिक्षक मुकेश प्रसाद बहुगुणा क्या कहते हैं, आप भी पढें
कुल मिलाकर अपनी किसी समस्याओं के चलते वास्तविक रूप में लंबे समय से सुगम स्थानों पर तैनाती की गुहार लगा रहे दुर्गम क्षेत्रों में तैनात अध्यापक/अध्यापिकाएं इस स्थानांतरण आदेश के बाद फिलहाल तो यही कह रहे हैं कि …वो वीवीआईपी हैं साहेब…ये तो होना ही था!