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‘इनर्जी स्वराज यात्रा’(Energy Swaraj Yatra) का एम्स ऋषिकेश पहुंचने पर जोरदार स्वागत

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‘इनर्जी स्वराज यात्रा’(Energy Swaraj Yatra) का एम्स ऋषिकेश पहुंचने पर जोरदार स्वागत

ऋषिकेश/मुख्यधारा

दैनिक जीवन में सोलर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ‘इनर्जी स्वराज यात्रा’ का एम्स ऋषिकेश पहुंचने पर संस्थान द्वारा स्वागत किया गया। इस दौरान संस्थान के अधिकारियों, विभिन्न फेकल्टी सदस्यों सहित मेडिकल काॅलेज के छात्र-छात्राओं ने यात्रा में शामिल सोलर बस की खूबियां जानी और यात्रा के उद्देश्यों को साकार करने की बात कही।

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सोलर आधारित इनर्जी का इस्तेमाल करने के प्रति जन-जागरूकता लाने के उद्देश्य से ’इनर्जी स्वराज यात्रा’ इन दिनों उत्तराखंड के विभिन्न स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित कर रही है। तीन साल पहले 26 नवम्बर 2020 को मध्य प्रदेश से शुरू हुई ’इनर्जी स्वराज यात्रा’ सोमवार को एम्स ऋषिकेश पहुंची। यहां संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) मीनू सिंह सहित डीन एकेडेमिक्स प्रो. जया चतुर्वेदी ने फेकल्टी सदस्यों के साथ स्वराज यात्रा का स्वागत किया और यात्रा के संचालन के उद्देश्यों को बारीकी से समझा। इस दौरान यात्रा का संचालन कर रहे आईआईटी, मुम्बई के प्रोफेसर चेतन सिंह सोलंकी ने यात्रा के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि कोयला, पैट्रोल और डीजल चलित वाहनों और उपकरणों के अलावा विभिन्न प्रकार के मैटिरियलों के अंधाधुंध उपयोग से पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ रहा है। बढ़ता तापमान न केवल पर्यावरण के लिए घातक है अपितु यह समस्त मानव जाति के जीवन के लिए भी सीधा खतरा है। उन्होंने कहा लगातार बढ़ रहे वैश्विक तापमान में 85 प्रतिशत भागादारी जीवाश्म से प्राप्त ऊर्जा ( कोयला, पैट्रोल और डीजल जैसे ईंधन ) से है। इनके उपयोग में कमी नहीं की गई तो 6 साल बाद वैश्विक तापमान 1.5 डिग्री बढ़ जाएगा। उन्होंने बताया कि पृथ्वी के बढ़ते तापमान से प्रकृति का संतुलन बिगड़ गया है और सबका जीवन खतरे में है। यदि जीवन बचाना है तो हमें सोलर इनर्जी को अपने दैनिक जीवन में इस्तेमाल कर इसे जन-आन्दोलन के रूप में अपनाना होगा।

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संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर( डॉ.) मीनू सिंह ने कहा कि लगातार उत्सर्जित किए जा रहे कार्बन की वजह से बिगड़ते पर्यावरण के लिए प्रत्येक व्यक्ति जिम्मेदार है। साल दर साल बढ़ रहे वायुमण्डल के तापमान का एक कारण यह भी है कि अपनी सुख-सुविधाओं के लिए हम जिन उपकरणों और संसाधनों का उपयोग कर रहे हैं, उन सभी से कार्बन उत्सर्जित होता है और इसका असर सीधा हमारे पर्यावरण पर पड़ता है। हमें चाहिए कि हम कोयला, पैट्रोल और डीजल आधारित इनर्जी का उपयोग कम से कम करें और सोलर इनर्जी को बढ़ावा दें। प्रोफेसर( डॉ.) मीनू सिंह ने छात्र-छात्राओं से आह्वान किया कि वह अपने जीवन में सोलर आधारित इनर्जी सिस्टम को अपनाएं और पर्यावरण की रक्षा करने के लिए संकल्पित हों।

इस दौरान संस्थान के फेकल्टी सदस्यों और मेडिकल के छात्र-छात्राओं ने ’इनर्जी स्वराज यात्रा’ में चल रही सोलर बस की खूबियों को जाना और सोलर इनर्जी की महत्ता समझी। सोलर आधारित 6 किलोवाट की बैट्री से संचालित इस बस का कुल क्षेत्रफल 108 वर्ग फिट है। इसमें 3.2 किलोवाट क्षमता का सोलर पैनल लगा है। पूर्ण तौर से सोलर सिस्टम से चलने वाली इस बस में किचन, पूजा घर, कार्यालय, लाईब्रेरी और शयन कक्ष सहित शौचालय का निर्माण कर उन्होंने इस बस में ही घर बना लिया है। अनेकों खूबियों को समेटे इस सोलर बस की विशेषताओं की सभी ने सराहना की और सोलर इनर्जी को अपनाने का संकल्प लिया।

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प्रोफेसर सोलंकी ’इनर्जी स्वराज फाउंडेशन’ के संस्थापक हैं और वर्तमान में आईआईटी मुम्बई के ऊर्जा अभियांत्रिकी विभाग में प्रोफेसर हैं। उन्हें भारत के सौर पुरूष और सोलर गांधी के रूप में भी जाना जाता है। विश्व स्तर पर ऊर्जा स्वराज की स्थपना हेतु वह विशेष तौर से निर्मित की गई सोलर बस के माध्यम से देश भर की यात्रा पर निकले हैं। शिक्षक होने के साथ-साथ वह एक शोधकर्ता भी हैं। अंतराष्ट्रीय स्तर पर उनके अभी तक 100 से अधिक शोधपत्र प्रकाशित हो चुके हैं। प्रोफेसर सोलंकी लंबे समय से सोलर इनर्जी को बढ़ावा देने की दिशा में काम कर रहे हैं।

सोलर मिशन के लिए उन्होंने वर्ष 2020 में इस यात्रा की शुरुआत की थी। यह यात्रा 10 साल अनवरत रूप से जारी रहेगी और दिसम्बर 2030 में विराम लेगी। 2 लाख से अधिक आबादी वाले देश के बड़े शहरों, विभिन्न विश्वविद्यालयों और अनेकों राज्यों से होकर सोलर इनर्जी अपनाने का संदेश देते हुए यात्रा आगे बढ़ रही है। उत्तराखंड में अभी तक देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार, आईआईटी रूड़की और एम्स ऋषिकेश के शिक्षण संस्थानों में यात्रा का पड़ाव हो चुका है। 16 मई को यह यात्रा ग्राफिक ऐरा यूनिवर्सिटी देहरादून में छात्र-छात्राओं को जागरूक करेगी।

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