प्रदेश के सभी 11 पर्वतीय जनपदों को बनाएंगे पूर्ण रूप से जैविक (completely organic): गणेश जोशी
स्थानीय उत्पादों के निर्यात को बढ़ाने के उद्देश्य से आयोजित अर्न्तराष्टीय कार्यशाला को कृषि मंत्री गणेश जोशी ने किया संबोधित
देहरादून/मुख्यधारा
प्रदेश के कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने शुक्रवार देहरादून के एक निजी होटल में एपिडा द्वारा उत्तराखण्ड के उत्पादों के एक्स्पोर्ट को बढ़ाने के उद्देश्य से आयोजित एक दिवसीय इंटरनेशनल कॉन्क्लेव कम बायर सेलर कार्यशाला का दीप प्रज्जनलन कर शुभारम्भ किया। कृषि मंत्री गणेश जोशी ने देश और विदेश से पहुंचे लोगों का शॉल ओढ़ाकर एवं पहाड़ी टोपी पहनाकर स्वागत किया गया। कार्यशाला में देश – विदेश के आयातक और क्रेता-विक्रेता, प्रदेश के कृषक, एफपीओ सहित विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे। इस अवसर पर मंत्री गणेश जोशी ने उत्तराखण्ड के प्रथम निर्यात ऑर्गेनिक उत्पादों फल सब्जियों के वाहन को किंगडम ऑफ बहरैन के लिए रवाना किया।
इस अवसर पर कृषि एवं उद्यान मंत्री गणेश जोशी ने अपने सम्बोधन में कहा उत्तराखण्ड राज्य की भौगोलिक परिस्थितियाँ एवं कृषि जलवायु विभिन्न औद्यानिक फसलों (फल, सब्जी, मसाला, पुष्प, मौनपालन तथा मशरूम) के उत्पादन के लिए अत्यधिक अनुकूल है। उन्होंने पिछले 05 वर्षों में प्रदेश ने जैविक खेती के क्षेत्र में नई ऊचाइयो को छुआ है, जहां 2017 से पहले प्रदेश के कुल कृषि क्षेत्र का 1 या 2 प्रतिशत क्षेत्र में ही जैविक खेती होती थी। वहीं अब 38 प्रतिशत क्षेत्र में जैविक कृषि की जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार का संकल्प है कि वर्ष 2025 तक जैविक खेती को 50 प्रतिशत किया जाएगा।
उन्होंने कहा अभी राज्य के 10 विकासखण्ड पूर्ण जैविक घोषित किए जा चुके है, अगले वर्ष तक अन्य 10 नए विकासखण्डो को भी जैविक घोषित किया जाएगा और हमारा प्रयास रहेगा कि प्रदेश के समस्त 11 पर्वतीय जनपदो को पूर्ण जैविक जनपदो में परिवर्तित किया जाए। उन्होंने कहा प्रदेश में उत्पादित हो रहे जैविक उत्पादो के विपणन में सहयोग के लिए जैविक उत्पाद परिषद कार्यरत है तथा देश विदेश में उत्तराखण्ड के जैविक उत्पादो के विपणन के प्रोत्साहन के लिए मेंले व प्रर्दशनियो के माध्यम से केताओ को आमंत्रित कर जैविक उत्पादो का विपणन किया जा रहा है, इसी कड़ी में प्रदेश में जैविक उत्पादो के स्थानीय विपणन को प्रोत्साहित करने के लिए जैविक आउटलेट खोले जा रहें है, जो राज्य के प्रत्येक कस्बे, शहर के मुख्य बाजार, यात्रा मार्ग, चार धाम मार्ग पर स्थित होगे, जहां किसान समूह अपने जैविक उत्पादो को सीधे उपभोक्ता को बेचेगा और बिचौलियो को मिलने वाला लाभ भी अब सीधे किसानो को ही मिलेगा।प्रदेश में जैविक उत्पादो के प्रोत्साहन के लिए जैविक कृषि अधिनियम लागू किया जा चुका है। उन्होंने कहा प्रदेश के कृषि श्रेणी के 15 स्थानीय उत्पादो को जी आई टैग प्राप्त हो चुके है। जिनमे मुनस्यारी की राजमा, पुरोला का लाल धान, गहत, तोर दाल, चौलाई, पीली मिर्च आदि शामिल है। ऐसे जीआई उत्पादो को प्रोत्साहित करने और इस क्षेत्र में अधिक प्रयास करने के लिए प्रदेश में अलग से जीआई बोर्ड का गठन किया जा रहा है।
कृषि मंत्री ने कहा उत्तराखण्ड राज्य की स्थापना के समय से ही प्रदेश को एक जैविक राज्य के रुप में विकसित किए जाने के लिए अनेक कदम उठाए जा रहे है, जिसके माध्यम से कृषको की आय को बढाए जाने का प्रयास किया जा रहा है तथा प्रदेश विभिन्न गुंणवत्तायुक्त स्थानीय उत्पादो को राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में पहचान दिलाई जा रही है। उन्होंने कहा प्रदेश की बासमती, लाल मिर्च, औषधीय एवं सगन्ध पौधे, चौलाई, सोयाबीन, मंडुआ, झंगोरा, लाल चावल आदि उत्पादो ने लोगो के भोजन में अपनी खास जगह बना ली है, जिससे दिन प्रतिदिन इनकी मांग बढ रही है। उन्होंने कहा सेब की अति सघन बागवानी के लिए कम क्षेत्रफल में अधिक उत्पादन प्राप्त करते हुए कृषकों की आय में गुणात्मक वृद्वि हेतु सेब की अति सघन बागवानी को बढ़ावा देते हुए कृषकों को 60 प्रतिशत राज सहायता पर आगामी 08 वर्षों में 5000 सेब के अति सघन बागान स्थापित कराये जायेगें। जिसके अन्तर्गत लगभग कुल रू0 808.79 करोड़ व्यय किया जायेगा, जिससे लगभग 45,000 से 50,000 रोजगार सृजन होंगे। वर्तमान में लगभग 43328 मै०टन सेब का उत्पादन किया जा रहा है।
उन्होंने कहा प्रदेश में जैविक खेती के साथ साथ प्रधानमंत्री जी की महात्वाकांक्षी योजना प्राकृतिक खेती को भी प्रदेश में वृहत स्तर पर संचालित किया जाएगा, जिसमें प्रथम चरण में इसी वर्ष से 6400 हैक्टेयर क्षेत्र में प्राकृतिक खेती की कार्ययोजना को स्वीकृत किया जा चुका है। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था आने वाला दशक उत्तराखंड का होगा। उन्होंने कहा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में प्रदेश आज नए नए आयाम स्थापित कर रहा है। मिलेट्स मिशन का संचालन किया जा रहा है। जिसके लिए 73 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है। उन्होंने आयोजकों को कार्यक्रम के लिए बधाई दी और कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा एपीडा भारत सरकार द्वारा आयोजित आज की कार्यशाला के माध्यम से प्रदेश के कृषकों के जैविक उत्पादों के कय के लिए बड़ी संख्या में खरीददार उत्तराखण्ड में आयेगें। इससे जहां प्रदेश के कृषकों को उनके जैविक उत्पादों का अधिक मूल्य मिलेगा साथ ही अर्न्तराष्ट्रीय बाजार में पहचान मिलेगी।
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इस अवसर पर कृषि मंत्री ने कार्यशाला में लगी विभिन्न स्टालों का अवलोकन भी किया गया। इस दौरान कृषि सचिव कृषि विनोद कुमार सुमन, चेयरमेन एपीडा अभिषेक देव, उत्तराखण्ड जैविक उत्पाद परिषद के एमडी विनय कुमार, कृषि निदेशक केसी पाठक, उद्यान निदेशक दीप्ति सिंह सहित विभागीय अधिकारी एवं प्रगतिशील कृषक उपस्थित रहे।