राजधानी में बाढ़ : दिल्ली में यमुना (Yamuna) का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर, घर छोड़ने को मजबूर लोग, हिमाचल-उत्तराखंड में भी बारिश से भारी नुकसान
मुख्यधारा डेस्क
देश की राजधानी दिल्ली में बारिश ने बाढ़ जैसे हालात कर दिए हैं। राजधानी के कई इलाकों में पानी भरा हुआ है। दिल्ली में यमुना नदी ने 45 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। इसका जलस्तर 208 मीटर के पार पहुंच चुका है। हथिनीकुंड बैराज से लगातार पानी छोड़ा जा रहा, जिसकी वजह से यमुना उफान पर है। निचले इलाकों में पानी भर चुका है और वहां से लोग अपना घर छोड़ने को मजबूर हैं।
केंद्रीय जल आयोग को आशंका है कि गुरुवार दोपहर तक जलस्तर 209 मीटर पहुंचने पर ज्यादातर इलाके जलमग्न हो जाएंगे। यहां एनडीआरएफ की 12 टीमें तैनात की गई हैं।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यमुना में बढ़ते हुए जलस्तर के मद्देनजर निचले इलाकों में रहने वाले लोगों से तुरंत जगह खाली करने की अपील की है। हजारों लोगों को सुरक्षित क्षेत्रों में स्थानांतरित कर दिया गया है क्योंकि नदी के पास के घरों और बाजारों में पानी घुस गया है।
दिल्ली के साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और हरियाणा में भी बारिश के चलते हालात गंभीर हैं।
हिमाचल में एक बार फिर से 14 जुलाई से भारी बारिश का दौर शुरू होने जा रहा है। मौसम विभाग ने इसको लेकर अलर्ट जारी किया। जिसके अनुसार 14 जुलाई से 18 जुलाई तक प्रदेश के कई जिलों में भारी बारिश होने की आशंका है।
उत्तराखंड में भारी बारिश के चलते बुधवार को केदारनाथ यात्रा रोक दी गई। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने श्रद्धालुओं को सलाह दी है कि वे मौसम साफ होने के बाद ही आएं। उत्तराखंड सरकार ने हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है।
पंजाब के 13 जिले बाढ़ की चपेट में आ गए है और 479 गांव बुरी तरह से प्रभावित दिखाई दे रहे हैं।
उत्तराखंड के पौड़ी जिले में बुधवार को 3 लोग नदी में बह गए। चमोली जिले में 5 जगहों पर लैंडस्लाइड के चलते बद्रीनाथ हाईवे बंद है। गंगोत्री, यमुनोत्री और रुद्रप्रयाग हाईवे भी बंद है। चमोली समेत कई जिलों में आज स्कूल बंद रहेंगे।
इधर, हरियाणा में भी 13 जिलों में यमुना का पानी घुस चुका है। 240 गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। धीरे धीरे यमुना का पानी अब आगे की और बढ़ रहा है, इससे आज पांच जिले- जींद, फतेहाबाद, फरीदाबाद, पलवल और सिरसा में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। राज्य में अब तक 10 मौतें हो चुकी हैं।
सीएम सुखविंदर ने कहा- हिमाचल में 50 साल में सबसे बड़ी त्रासदी, पूर्व सीएम जयराम प्रभावितों से मिले
हिमाचल प्रदेश में बारिश ने जमकर तबाही मचाई है। हिमाचल प्रदेश में भूस्खलन और 1189 सड़कें बंद होने से करीब 20 हजार पर्यटक फंस गए हैं। वे ऐसे इलाकों में फंसे हैं, जहां न बिजली है और न ही फोन नेटवर्क।
राज्य में 24 जून से अब तक 88 लोगों की मौत हो चुकी है। 51 जगह लैंड स्लाइड हुई है और 32 जगह बाढ़ आ चुकी है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इसे राज्य में 50 साल में आई सबसे बड़ी त्रासदी बताया है।
मुख्यमंत्री सुक्खू के अनुसार अकेले कुल्लू के सैंज क्षेत्र में लगभग 40 दुकानें और 30 मकान बह गए। सुक्खू ने आज कसोल, मणिकरण, खीर गंगा और पुलगा क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण किया।
राज्य की कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक सतवंत अटवाल ने बताया कि पिछले तीन दिनों में हुई भारी बारिश के कारण 31 लोगों की मौत हो गई है। उन्होंने कहा कि लाहौल और स्पीति जिले के चंद्रताल में 250, जबकि सिस्सू में 300 और मंडी जिले के कुछ हिस्सों में 300 पर्यटक फंसे हुए हैं।
हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रही बारिश और भूस्खलन ने भारी नुकसान किया है। इसके साथ राज्य की अर्थव्यवस्था पर भी बड़ी चोट पहुंची है। हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा- बारिश के कारण भूंतर में बहुत नुकसान हुआ है।
पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर आज सुबह कुल्लू में बाढ़ प्रभावितों से मिलने पहुंचे पहुंचे। जयराम ठाकुर ने कहा कि कुल्लू, भुंतर में निरीक्षण के दौरान नुकसान का जायजा लिया तो देखा कि लोगों के घरों को बहुत क्षति पहुंची है।
उन्होंने कहा कि यहां प्रभावितों से भी मिलना हुआ, दुःख की इस घड़ी में हम प्रभावित परिवारों के साथ हैं। राज्य सरकार प्रभावितों को यथाशीघ्र सहायता प्रदान करें।
मुख्यमंत्री ने कहा नुकसान इतना ज्यादा है कि इसकी भरपाई करना बहुत कठिन है। कई लोग बेघर हुए हैं। यहां ब्यास और पार्वती नदी मिलती है जिसके कराण मुख्य नुकसान हुआ है। मैं इन विषयों को प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार के समक्ष रखूंगा। मुझे संतुष्टि है कि क्रेंद्र सरकार की तरफ से पूरी मदद की गई है। आज मुझे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलने का समय मिला है, मैं उनके सामने ये सारी बातें रखूंगा।