बुद्ध पूर्णिमा (budh pornima) विशेष: राजमहल छोड़ राजा सिद्धार्थ ने गौतम बुद्ध बनकर दुनिया में ज्ञान का प्रकाश फैलाया - Mukhyadhara

बुद्ध पूर्णिमा (budh pornima) विशेष: राजमहल छोड़ राजा सिद्धार्थ ने गौतम बुद्ध बनकर दुनिया में ज्ञान का प्रकाश फैलाया

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शंभू नाथ गौतम

धार्मिक और आस्था की दृष्टि से आज देश में एक और पर्व धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। इसके साथ साल का पहला चंद्र ग्रहण भी लग चुका है। हालांकि यह चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं दे रहा है। आज वैशाख की पूर्णिमा (budh pornima) का पर्व पूरे देश भर में धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है।

वैशाख की पूर्णिमा पर भारत समेत कई देशों में बुद्ध जयंती (budh pornima) मनाई जाती है। आज के दिन ही बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था। इसलिए इसे बुद्ध पूर्णिमा (budh pornima) भी कहा जाता है। बुद्ध को भगवान विष्णु का नौवां अवतार बताया गया है।

वैशाख पूर्णिमा(budh pornima) पर भगवान विष्णु और बुद्ध के साथ चंद्र देव की पूजा की जाती है। बौद्ध धर्म के साथ-साथ हिंदू धर्म में भी भगवान बुद्ध को पूजा जाता है। बुद्ध पूर्णिमा(budh pornima) के दिन पवित्र नदी में स्नान, दान और पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है। बुद्ध पूर्णिमा(budh pornima) हिंदू और बौद्ध धर्म दोनों का ही एक बड़ा त्योहार है।

भगवान बुद्ध को श्री हरि विष्णु का नौवां अवतार माना जाता है, इसलिए हिंदू भी इस दिन को सिद्ध विनायक पूर्णिमा या सत्य विनायक पूर्णिमा के रूप में मनाते हैं।

देश ही नहीं, विदेश में भी बुद्ध जयंती(budh pornima) को अलग-अलग तरीके से मनाई जाती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भगवान बुद्ध की जन्मस्थली नेपाल के लुंबिनी पहुंचे हुए हैं।

बता दें कि भगवान बुद्ध ने ही बौद्ध धर्म की स्‍थापना की और पूरी दुनिया को सत्‍य, शांति, मानवता की सेवा करने का संदेश दिया। उन्‍होंने पंचशील उपदेश दिए। ये पंचशील हैं, हिंसा न करना, चोरी न करना, व्यभिचार न करना, झूठ न बोलना और नशा न करना। नेपाल के साथ चीन, जापान, थाईलैंड, कंबोडिया आदि देशों में भगवान बुद्ध की जयंती मनाई जाती है। भारत में सारनाथ, कुशीनगर और बोधगया में गौतम बुद्ध की जयंती धूमधाम के साथ मनाई जा रही है। ‌‌

बता दें कि भगवान गौतम बुद्ध का जन्म नेपाल के लुंबिनी राजा शुद्धोधन के घर हुआ था। पिता ने इनका नाम राजकुमार सिद्धार्थ रखा। सिद्धार्थ बाल्यावस्था से ही ज्ञान की बातें करने लगे थे। दीन दुखियों, गरीबों असहाय लोगों की सेवा करने के लिए राजा सिद्धार्थ अपना महल छोड़कर जंगलों की ओर चले गए। अपना पूरा जीवन महात्मा बनकर लोगों की सेवा में लगाया। उन्होंने बौद्ध धर्म भी चलाया। दुनिया में लाखों-करोड़ों लोग बौद्ध धर्म के अनुयाई हैं। आज बुद्ध पूर्णिमा के साथ साल का पहला चंद्र ग्रहण भी पड़ रहा है। आइए अब इस ग्रहण के बारे में जानते हैं।

भारत में चंद्र ग्रहण का असर नहीं, इन देशों में दिखाई देगा

साल के पहले चंद्र ग्रहण का असर भारत में नहीं है। यह उपछाया का ग्रहण है।‌ जिसका असर आंशिक तौर पर रहता है। चंद्र ग्रहण लाल रंग में नजर आ रहा है, जिसे ब्लड मून कहा जाता है। वैज्ञानिक व धार्मिक दृष्टि से चंद्र ग्रहण एक अहम घटना होती है। सूर्य और चंद्रमा के बीच जब पृथ्वी आ जाती है तो चंद्र ग्रहण की घटना होती है। इस समय में पृथ्वी की छाया चंद्रमा की रोशनी को ढंक लेता है। जब सूर्य की रोशनी पृथ्वी के करीब से गुजर कर चांद तक पहुंचती है तो इसका नीला और हरा रंग वातावरण में बिखर जाता है, क्योंकि इनकी वेवलेंथ कम होती है, जबकि लाल रंग की वेवलेंथ ज्यादा होती है और वो चंद्रमा तक पहुंच पाता है। ऐसे वक्त चंद्रमा लाल रंग का दिखाई देने लगता है। चंद्रग्रहण को दक्षिण-पश्चिमी यूरोप, दक्षिण-पश्चिमी एशिया, अफ्रीका, अधिकांश उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, प्रशांत महासागर, हिंद महासागर, अटलांटिक और अंटार्कटिका में देखा जा रहा है।

भारत में चंद्र ग्रहण दिखाई नहीं देने के कारण इसका सूतक काल मान्य नहीं है। धार्मिक नजरिए से सूतक काल को अशुभ माना जाता है। चंद्र ग्रहण के दौरान सूतक काल का समय ग्रहण के शुरू होने के 9 घंटे पहले लग जाता है।

धार्मिक मान्यता है कि सूतककाल के दौरान किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है।

बता दें कि चंद्र ग्रहण एक प्रकार की खगोलीय घटना है। चंद्र ग्रहण तीन प्रकार का होता है। पूर्ण चंद्र ग्रहण, आंशिक चंद्र ग्रहण और उपछाया चंद्र ग्रहण। आज का चंद्र ग्रहण सुबह 7 बजकर 58 मिनट पर लग गया है। यह 11 बजकर 25 मिनट पर खत्म हो जाएगा। चंद्र ग्रहण की कुल अवधि 3 घंटे 27 मिनट की है। इस दौरान चंद्रमा पर राहु और केतु की बुरी दृष्टि रहेगी। उसके बाद ग्रहण का मोक्ष हो जाएगा।

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