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26/11 के 14 साल : आतंकियों के हमले से दहल गई थी मुंबई (Mumbai attack), 60 घंटे तक सपनों की नगरी की थम गई थी रफ्तार

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  • 60 घंटे तक सपनों की नगरी की थम गई थी रफ्तार

मुख्यधारा डेस्क 

भारत के इतिहास के सबसे काले दिनों में से एक 26/11 को आतंकवादियों ने अब तक के सबसे क्रूर आतंकी हमलों को अंजाम दिया था। आतंकियों के इस खूनी खेल से पूरा देश सहम गया था।‌‌ सपनों के शहर मुंबई में लाशों के ढेर बिछे थे। कभी न रुकने वाला यह शहर थम गया था।

14 साल पहले 26 नवंबर 2008 की शाम को मुंबई रोज की तरह दौड़ रही थी। ‌उस रात समुद्र के रास्ते अजमल कसाब और उसके 9 साथी हाथ में हथियार लेकर अरब सागर से होते हुए मुंबई में दाखिल हुए। इन 10 आतंकियों के बैग में 10 एके-47, 10 पिस्टल, 80 ग्रेनेड, 2 हजार गोलियां, 24 मैगजीन, 10 मोबाइल फोन, विस्फोटक और टाइमर्स रखे थे।

उनका मुख्य मकसद आतंक फैलाना और कुछ प्रमुख आतंकवादियों को कंधार अपहरण मामले से छुड़वाना था।

आतंकियों ने इसके बाद मुंबई में दाखिल होते ही ताज होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट और नरीमन हाउस में धावा बोल दिया। ताज होटल में लगभग छह विस्फोट हुए और इसमें कई लोग मारे गए। मुंबई उतरने के बाद आतंकी दो-दो के ग्रुप में बंट गए और अलग-अलग रास्तों पर चल पड़े।

26 नवंबर की रात मुंबई में 8 जगहों पर आतंकी हमले हुए। 26 नवंबर से शुरू हुआ मौत का ये तांडव 60 घंटे तक चला। इस हमले में 166 लोग मारे गए थे। 9 आतंकियों को एनकाउंटर में मार दिया गया था, जबकि आतंकी अजमल कसाब जिंदा पकड़ा गया। कसाब को 21 नवंबर 2012 को फांसी दे दी गई।

इस हमले में मुंबई पुलिस, एटीएस और एनएसजी के 11 जवान शहीद हुए थे। इस हमले में आतंकियों को मार गिराने में मरीन कमांडो ने भी अहम भूमिका निभाई थी और कमांडो सुनील यादव को बचाते हुए एनएसजी के मेजर संदीप उन्नीकृष्णन शहीद हो गए थे, जिन्हें ताज में रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान पैर में गोली लग गई थी।

आतंकवादी कसाब को मुंबई पुलिस के सहायक उप-निरीक्षक तुकाराम ओंबले ने जिंदा पकड़ लिया था, जबकि उस हमले में महाराष्ट्र पुलिस ने संयुक्त आयुक्त हेमंत करकरे (जो कि उन दिनों आतंकवादी निरोधी दस्ते के प्रमुख भी थे), अतिरिक्त पुलिस आयुक्त अशोक कामटे, एनकाउंटर स्पेशलिस्ट इंस्पेक्टर विजय सालस्कर, सीनियर इंस्पेक्टर शशांक शिंदे, एनएसजी कमांडो हवलदार गजेंद्र सिंह बिष्ट सहित छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस के तीन रेलवे अधिकारी शहीद हो गए थे।

26/11 का ये काला दिन इतिहास के पन्ने में दर्ज हो गया। शायद देशवासी से इस काले दिन को भुला पाएं।‌ हमले के बाद महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख और गृह मंत्री शिवराज पाटिल सहित कई राजनेताओं ने इस्तीफा दे दिया था।

 

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