सत्यपाल नेगी/रुद्रप्रयाग
हिंदी के चितेरे हिमवंत कवि स्व. चंद्र कुंवर वर्तवाल की पुण्यतिथि पर उन्हें भावपूर्ण स्मरण कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए।
14 सितम्बर 1947 को हिमवंत कवि चन्द्र कुँवर बर्त्वाल छोटी सी उम्र 28 साल में ही अमर हो गये थे।
बताते चलें कि हिमवंत कवि बर्त्वाल का जन्म 20 अगस्त 1919 को रुद्रप्रयाग के मालकोटी गाँव मे हुआ था। आजादी के 74 साल व उत्तराखण्ड राज्य के 20 सालो में भी किसी भी सरकारों ने इस महान युवा कवि को आज तक वो पहचान नहीं दी, जिसके वे हकदार थे। उनके युवा कवि जीवन की कर्मस्थली, जो कि रुद्रप्रयाग के पंवालिया (भीरी) है, आज भी खण्डहर व बंजर पड़ी है। इससे बड़ा अपमान हिमवंत कवि के साथ और नहीं तो क्या है?
कई बार सामाजिक संगठनों से जुड़े लोगों व हिमवंत कवि के चाहने वाले वुद्धिजीवियों ने सरकारो से माँग की कि इनके खण्डहर पड़े घर को एक संग्रहालय के रूप मे संजोया जाये, ताकि उत्तराखण्ड का हर व्यक्ति उनकी रचनाओं एंव कविताओं की पढ़े, समझे और उनका अनुसरण कर सके।
साथ ही बता दें कि कवि बर्त्वाल की यह जमीन 16.50 हेक्टेयर, जो कि अब कृषि विभाग के पास है, लेकिन विभाग भी इसे सही उपयोग नहीं कर रहा।
सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र कंडारी का कहना है कि यहां पर उनके पुराने खण्डहर मकान को उत्तराखण्डी शैली में एक सुन्दर संग्रहालय बनाया जाये।
आज उनकी पुण्य तिथि पर कवि से प्रेम करने वाले कुछ लोगों ने पंवालिया में जाकर उनकी फोटो पर पुष्प मालाएं चढाकर उन्हें श्रद्धाजंली दी।
कवि की पुण्य आत्मा को श्रद्धा सुमन अर्पित करने वालों में किशोर न्याय बार्ड रुद्रप्रयाग चमोली के सदस्य नरेंद्र सिह कंडारी, लोक मंच के संरक्षक विमल चन्द शुक्ला, अध्यक्ष दिगम्बर भण्डारी, हरि मोहन नेगी, रघुबीर नेगी, राजेंद्र रावत, प्रधान भीरी हरि कृष्ण गोस्वामी, धीर सिह मिंगवाल, रविंद्र भण्डारी, श्री डोभाल आदि शामिल रहे।