देहरादून। रविवार को देहरादून के एक होटल में हुई बैठक में न्यूज पोर्टल से जुड़े तीन दर्जन से अधिक पत्रकार शामिल हुए। वेब पोर्टल से जुड़े पत्रकारों ने कहा कि पोर्टल से जुड़े सभी पत्रकारों को एकजुट होकर काम करना होगा, तभी उत्तराखंड के हितों के प्रति ज्यादा प्रभावी ढंग से अपनी भूमिकाओं का निर्वहन हो सकेगा। इस मौके पर पत्रकारों ने सामुहिक रूप से चिंता जताते हुए कहा कि आज प्रदेशभर में कितने न्यूज पोर्टल हैं, पोर्टल संचालित करने वाले किस बैकग्राउंड के हैं, यह जानना भी जरूरी है। इसके लिए उत्तराखंड में एक स्क्रीनिंग कमेटी की सख्त आवश्यकता है। इसके लिए पंजीकरण की व्यवस्था बनाई जाने पर चर्चा की गई।
बैठक का मुख्य उद्देश्य था कि न्यूज पोर्टल को सूचना में इम्पैनल किया जाए और इसके लिए सरकार व सूचना विभाग में सभी का रजिस्टे्रशन जरूरी है। इससे जहां पोर्टल के लिए जहां मानदंड तय हो जाएंगे, वहीं पत्रकारिता से जुड़े लोग ही इस क्षेत्र में आ सकेंगे। इसके लिए सभी न्यूज पोर्टल और उनके पत्रकारों को एकजुट होकर काम करना होगा और उन्हें अनुशासित होना भी जरूरी है।
इस मौके पर पत्रकारों ने कहा कि वेब मीडिया में अगर पत्रकारिता से ताल्लुक रखने वाले लोग ही आएं तो इससे वे पाठकों की उम्मीदों पर भी खरा उतर सकेंगे और उनकी विश्वसनीयता भी उतनी ही अधिक होगी। सबसे बड़ा सवाल यह है कि यदि इनकी स्क्रीनिंग हो जाए तो फिर क्रिमिनल बैकग्राउंड के लोग वेब मीडिया में नहीं आ सकेंगे। पत्रकारों ने यह भी कहा कि इसके लिए अलग-अलग संगठनों के बजाय एक ही एसोसिएशन बनाए रखनी चाहिए। जिसके माध्यम से नियमावली के लिए भी सरकार व सूचना विभाग के साथ बेहतर ढंग से बात की जा सकेगी। एसोसिएशन वेब मीडिया की आचार संहिता बनाने के साथ ही इसके पैरामीटर भी तय कर सकेगा। यदि वेब मीडिया के सभी पत्रकार एकजुट व संगठित होकर यदि किसी मुद्दे को लेकर सौ-पचास पत्रकार एकत्र होकर सरकार या सूचना विभाग के समक्ष अपनी बात रखेंगे तो उनकी बात को वह सुनने के लिए वह बाध्य होंगे। इसके लिए एजेंडा तय करना भी जरूरी है।
पत्रकारों ने कहा कि वेब मीडिया को सरकार की सूची में आना बहुत जरूरी है। इसकी गाइड लाइन बन जाएगी तो इसकी बेहतर मॉनीटरिंग भी हो सकेगी। इसके बाद यदि वेब मीडिया संगठन के माध्यम से सरकार के समक्ष पोर्टल को भी आरएनआई की श्रेणी में रखने की बात रखता है तो यह भी वेब मीडिया के हित में ही होगा, लेकिन इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण यह है कि हम सभी को संगठित होकर काम करना होगा।
इस मौके पर पत्रकारों ने यह भी कहा कि यदि सूचना में वेब पोर्टल के रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया भी शुरू होनी चाहिए, ताकि वेब पोर्टल की संख्या और स्थिति के बारे में सभी को जानकारी रह सके। इसके लिए नियमावली का ड्राफ्ट भी बनाया जाएगा और तभी सरकार उनकी मांगों को गंभीरता से लेगी। लेकिन वेब मीडिया को कॉमन मुद्दों पर एकजुट होकर काम करने की सख्त जरूरत है।
इस मौके पर वेब मीडिया के हितों को लेकर वर्ष २००५ से संघर्ष कर रहे चंद्रशेखर जोशी, राजेंद्र जोशी, मीरा रावत, प्रदीप चौधरी आदि पत्रकारों ने तब से लेकर अब तक के अपने अनुभवों को पत्रकारों के साथ साझा किया। उनके प्रयासों से वर्ष २०१५ में वेब मीडिया नियमावली अस्तित्व में आई, लेकिन अभी भी वेब मीडिया के हितों व अधिकारों को लेकर बहुत कुछ किया जाना बाकी है। श्री जोशी की देख-रेख में १० राज्यों में राष्ट्रीय स्तर पर वेब मीडिया एसोसिएशन संचालित हो रही है, जो लखनऊ में रजिस्टर्ड है। चंद्रशेखर जोशी इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। इस अवसर पर उपस्थित सभी पत्रकारों ने सामुहिक रूप से उत्तराखंड में एसोसिएशन को और अधिक सक्रिय और प्रासंगिक बनाए जाने पर सहमति जताई।
श्री जोशी ने बताया कि उनका आगामी दिनों में दिल्ली में सम्मेलन होने जा रहा है। सम्मेलन में उत्तराखंड में सबसे पुराने न्यूज पोर्टल चलाने वाले (वर्ष २००२ से) राजेंद्र जोशी को सम्मानित किया जाएगा।
इस मौके पर राजेंद्र जोशी ने सवाल उठाया कि आज प्रदेश के पत्रकारों की इतनी अनदेखी की जा रही है कि उत्तराखंड के लिए ब्लॉग लिखने के लिए बाहरी राज्यों से लेखक ढूंढे जा रहे हैं। उनको मोटा पैसा दिया जा रहा है, लेकिन यहां के पत्रकारों की योग्यता को नजरअंदाज किया जा रहा है। यह बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है।
बैठक में वेब मीडिया के लिए आदर्श आचार संहिता बनाने के साथ ही मान्यता से लेकर विज्ञापन आदि की नियमावली का ड्राफ्ट तैयार करने का निर्णय लिया गया। इसके साथ ही जल्द देहरादून में राज्य स्तरीय सम्मेलन आयोजित किया जाएगा।