रुद्रप्रयाग/मुख्यधारा
उत्तराखंड में खाली हो रहे गांवों व उन गांवों में उग रहे जंगलों के बीच मानव-वन्य जीव संघर्ष की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। प्रदेश में औसतन 40 से 50 लोग प्रतिवर्ष वन्य जीवों के हमले में जान गंवाते हैं। इनमें भी पचास फीसदी लोगों की जान गुलदार, तेंदुआ व बाघ के हमलों से होती है। वहीं इस तरह की घटनाओं से सबक लेते हुए रुद्रप्रयाग वन विभाग मानव-वन्य जीव की घटनाओं की रोकथाम को लेकर लगातार प्रयास कर रहा है। जिससे क्षेत्रवासी भी राहत महसूस कर रहे हैं। प्रभाग के इस अभियान को क्षेत्र में खासा समर्थन मिल रहा है, जिससे वन प्रभाग के अधिकारी-कर्मचारी भी उत्साहित नजर आ रहे हैं।
रुद्रप्रयाग वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी वैभव कुमार सिंह मुख्यधारा को बताते हैं कि मानव-वन्य जीव संघर्ष की घटनाएं चिंतापूर्ण होती जा रही हैं। ऐसे में जरूरी हो जाता है कि क्षेत्रीय ग्रामीणों को इसको लेकर जागरूक किया जाए। रुद्रप्रयाग इस दिशा में लगातार काम कर रहा है।
प्रभागीय वनाधिकारी ने बताया कि प्रभाग ने एक अगस्त से 14 अगस्त तक कुल 23गांवों में मानव-वन्य जीव की घटनाओं की रोकथाम को लेकर जनजागरूकता अभियान चलाया, जिसमें ग्रामीणों ने बढ़-चढ़कर भाग लेते हुए विभागीय कर्मियों को सहयोग किया।
वैभव कुमार सिंह बताते हैं कि वन्य जीवों के क्षेत्रों में बढ़ते मानवीय दखल के कारण भी इस तरह की घटनाओं में इजाफा हुआ है। यदि ग्रामीण खूंखार वन्य जीवों के मिजाज को सौ फीसदी समझ लेंगे और इनसे रक्षा के तौर-तरीकों को अपनाना शुरू कर लेंगे तो वन्य जीवों के हमलों में कमी देखने को मिलेगी।
बहरहाल, रुद्रप्रयाग वन प्रभाग के वन्य जीवों के हमलों को लेकर चलाया जा रहा अभियान क्षेत्रवासियों के बीच खासा पसंद किया जा रहा है। ग्रामीण भी इस अभियान में खूब शिरकत कर रहे हैं। ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि आने वाला समय में रुद्रप्रयाग वन प्रभाग क्षेत्रांतर्गत मानव-वन्य जीव संघर्ष में कमी देखने को मिलेगी और लोगों में वन्य जीवों का जो भय बना रहता है, उससे भी धीरे-धीरे निजात मिलेगी।
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