देहरादून/मुख्यधारा
दुनिया में विंड इंजीनियरिंग के क्षेत्र में हो रहे विकास और नई तकनीक पर ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन हुआ।
कार्यशाला में अमेरिका, जापान, चीन, ताइवान, कनाडा के विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर और विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। एडवांस विंड इंजीनियरिंग टेस्टिंग एंड टेक्नोलॉजी थीम पर आधारित इस कार्यशाला के पहले सत्र में वेस्टर्न यूनिवर्सिटी कनाडा के प्रो. जीयोगेरी काॅप ने बहुमंजिला इमारतों की संरचना पर हवा के दबाव से पड़ने वाले प्रभाव पर अपना व्याख्यान दिया, उन्होंने बताया कि हवा के वेग और दिशा की स्टडी कर विंड इंजीनियर बिल्डिंग का खाका तैयार कर गोल, चकोर डिजाइन बनाते हैं जिससे बहुमंजिला इमारतें टिकाऊ बन सकें।
नोट्रे डेम यूनिवर्सिटी,अमेरिका के प्रोफेसर आसन करीम ने विंड की स्टडी के लिए साइबर बेस डाटा प्लेटफार्म पर अपनी प्रस्तुति दी।उन्होंने कहा कि दुनिया की विंड इंजीनियरिंग की प्रयोगशालाओं में हो रहे प्रयोगों के आंकड़ों को एक कंप्यूटर आधारित डेटाबेस प्लेटफॉर्म से हवा के विभिन्न वैज्ञानिक आंकड़ों का आकलन कर उनका सही उपयोग हो सकता है।
विश्वविद्यालय के सिविल विभाग की कार्यशाला में विशेषज्ञों ने बवंडर,साइक्लोन और मौसम से जुड़े विषयों के साथ साथ हवा का दुनिया के पर्यावरण पर पड़ने वाले विभिन्न कारको पर भी चर्चा की। ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर अजय गैरोला ने बताया कि चीन की आर्थिक मदद से यूनिवर्सिटी में एक मल्टी फैन विंड टनल लैब बनाई है जिसमें हवा की गति, दबाव संबंधित अनुसंधान के लिए आंकड़े जुटाने में मदद मिल रही है।
कार्यशाला में प्रो. शुयांग काओ, प्रो. याओजुन, डा. यूकिओ टामूरा, प्रो. वाईसी किम, डा. डिलोंग जाउ और प्रो. वू के साथ साथ ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के प्रो ऋत्विक डोबरियाल ने भी विंड इंजीनियरिंग से संबंधित विषयों पर अपना प्रस्तुतीकरण दिया। कार्यशाला का संचालन प्रोफेसर अजय गैरोला और शोध छात्र सिद्धार्थ जेना ने किया। वर्चुअल माध्यम से हो रही इस कार्यशाला में सिविल इंजीनियरिंग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ संजीव कुमार, शिक्षक और छात्र छात्राएं ऑनलाइन माध्यम से जुड़े।