देहरादून/मुख्यधारा
गत दिवस केदारनाथ धाम में पंडा समाज के विरोध झेलने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आज अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि कल जो घटना घटित हुई है, मैं तो उस पर इतना कहना चाहूंगा कि बाबा केदार इन सब को माफ करें। जो कुछ भी हुआ, वो देवभमि उत्तराखंड की जो पहचान है, उसके अनुकूल नहीं हुआ।
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पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि चारधाम देवस्थानम बोर्ड को लेकर के जो विरोध किया जा रहा है, देखिए इसको बड़ा स्पष्ट समझना चाहिए। इसमें 51 मंदिर और भी हैं, जिनमें रखरखाव की भी समस्या है और यह भी समझ लेना चाहिए कि हमारे देश में तमाम जगहों पर ट्रस्ट हैं, बोर्ड हैं, वहां पर उसके बाद इतना बड़ा परिवर्तन आया है। विश्वविद्यालय चल रहे हैं, मेडिकल कॉलेज चल रहे हैं। तमाम जो छोटे-मोटे मंदिर हैं, जहां पर रखरखाव की समस्या है। वहां पर बड़े अच्छे तरीके से उनका रखरखाव शुरू हुआ है और फ्यूचर की दृष्टि से वहां पर ट्रेनिंग हुई है, योजनाएं बनी है और उसका लाभ तीर्थयात्रियों को भी हुआ है। जो ट्रस्ट हैं उनको भी हुआ है। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि मैं यहां पर एक छोटा सा उदाहरण उत्तराखंड का देता हूं कि 2 साल पहले जागेश्वर धाम ट्रस्ट बना और जिलाधिकारी उसके अध्यक्ष है। वहां के लोगों ने स्वयं यह सब कुछ किया है। अभी देवीधुरा में डिमांड हो रही है, पूर्णागिरि में डिमांड हो रही है और भी 51 मंदिर यहां पर हैं। 47 मंदिर बद्री केदार मंदिर समिति में पहले से ही हैैं, 4 मंदिरों ने लिख के दिया कि हमको भी देवस्थानम बोर्ड में सम्मिलित किया जाए।
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अभी केवल और केवल उन लोगों की सुनाई दे रही है जो लोग विरोध कर रहे हैं, जिन लोगों ने स्वयं स्वीकार किया है, जो लोग समर्थन कर रहे हैं, उनको नहीं सुना जा रहा है। उनको भी सुना जाना चाहिए। दुनिया की सवा सौ करोड़ हिंदू का अधिकार है कि तमाम मंदिरों में वे वहां पर आना चाहते हैं और विशेषकर चार धाम में आना चाहते हैं, तो उन सबकी भी भावनाओं का सम्मान होना चाहिए। वह क्या चाहते हैं, उसको भी देखा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि चारधाम देवस्थानम बोर्ड मैंने शुरू से कहा कि यह उत्तराखंड के 20 साल के इतिहास में सबसे बड़ा और सुधारात्मक कदम है, इसे इस रूप में देखा जाना चाहिए। कुछ लोगों को पीड़ा होगी, कुछ लोगों को पीड़ा होगी, हमको चिंता उनकी करनी है, जो अपनी पीड़ा के कष्ट को हरने के लिए यहां पर प्रार्थना करने के लिए आते हैं।
बताते चलें कि सोमवार 1 नवंबर को पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत केदार धाम के दर्शन के लिए पहुंचे थे किंतु देवस्थानम बोर्ड के विरोध में तीर्थ पुरोहित व पंडा समाज ने उन्हें धाम में नहीं घुसने दिया था और उनका भारी विरोध किया गया। भारी विरोध के चलते उन्हें बाबा केदार के बिना दर्शनों के ही वापस लौटना पड़ा था।
दरअसल पंडा समाजवाद तीर्थ पुरोहित चार धाम देवस्थानम बोर्ड को अपने हक हकू कुंभ को छीनने के रूप में देख रहे हैं। यही कारण है कि बोर्ड के गठन के बाद से लगातार इसका विरोध किया जा रहा है।