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बड़ी खबर : देहरादून के वकील को इस शोरूम ने कैश में भी नहीं दी बाइक! क्या है मामला, पढें ये खबर

admin

देहरादून/मुख्यधारा

आप जब कभी बाइक या कार खरीदने जाते हैं तो अधिकांश लोग अपने लिए फाइनेंस कर वाहन खरीदते हैं, किंतु कुछ खुशनसीब लोग ऐसे भी होते हैं, जो अपनी गाढी कमाई से कैश में ही वाहन खरीदते हैं, किंतु देहरादून में आज एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जब अधिवक्ता के पुत्र को कैश में भी बाइक नहीं दी गई और उनके पैसे लौटाकर उन्हें वापस भेज दिया गया। ऐसे में निराश होकर अधिवक्ता ने सवाल करते हुए कहा है कि क्या उनके लिए यह पेशा अभिशाप है!

खबर विस्तार से

देहरादून निवासी अधिवक्ता राजेश कुकरेती अपने पुत्र के साथ बाइक खरीदने के लिए नाइन माउंटेन मोटर्स में गए। जहां उनके बेटे ने एक्स प्लस 200 गाड़ी पसंद की। शोरूम में वाहन खरीदने में लग रहे प्रोसेसिंग टाइम के दौरान उन्हें कोर्ट किसी आवश्यक काम से जाना पड़ा। उन्होंने कहा कि बेटे आप गाड़ी ले लो, मैं अभी जा रहा हूं। अभी कुछ ही देर हुई थी कि अधिवक्ता राजेश कुकरेती को अचानक उनके बेटे का फोन आया और कहा कि नाइन माउंटेन मोटर्स ने मुझे कैश वापस थमा दिया है और कहा कि आपके पिता वकील हैं, इसलिए आपको बाइक नहीं दी जा सकती।

यहीं नहीं उन्हें बताया गया कि आपको ब्लैकलिस्टेड भी किया गया है और आप कहीं से भी गाड़ी नहीं खरीद सकते। यह सुनकर अधिवक्ता राजेश कुकरेती को गहरा आघात पहुंचा।

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अधिवक्ता राजेश कुकरेती बताते हैं कि नाइन मोटर्स जोगीवाला के कर्मचारी ने मुझसे 1,39,483 नगद कैशियर के पास जमा करवाकर एक रसीद संख्या 12563 दी गई। इसके बाद उक्त कर्मचारी द्वारा मेरे बेटे का आधार कार्ड व एक फोटो भी लेकर कहा कि आपकी गाड़ी तैयार हो रही है। इसी बीच मुझे कोर्ट में जाना पड़ा। मैंने नाइन मोटर्स के कर्मचारी से कहा कि मैं कोर्ट जा रहा हूँ और गाड़ी मेरे बेटे के नाम से खरीदी गई है तो आप उसे गाड़ी तैयार कर दे देना। इस पर कर्मचारी ने कहा कि ठीक है।

अधिवक्ता राजेश कुकरेती ने हैरानी जताते हुए कहा कि कुछ देर बाद मेरे बेटे का फोन आया कि शोरूम वाले हमें गाड़ी देने से मना कर रहे हैं। मैंने जब शोरूम कर्मचारी अभिषेक से बात की तो उन्होंने कहा कि नाइन माउंटेन कंपनी के मालिक ने आपको गाड़ी देने से मना कर दिया है। मैंने कारण जानना चाहा तो उसके द्वारा कहा गया कि वकील को गाड़ी नहीं दे रहे हैं। इस पर उन्होंने नाइन माउंटेन के ओनर का फोन नंबर मांगा गया और कहा कि मैं उनसे बात करता हूँ, लेकिन उसने न तो नम्बर दिया और न ही बात कराई। तत्पश्चात मेरे बेटे ने मुझे फोन कर बताया कि कंपनी के कैशियर ने मझे सारे पैसे लौटा दिए हैं। साथ ही कुछ कागजों पर मेरे हस्ताक्षर कराकर कहा है कि आपको कम्पनी ने ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है। आप देहरादून में कही भी यह बाइक नही ले सकते हैं। कर्मचारी ने कहा कि हम ओनर के आदेश का पालन करने को मजबूर हैं।

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अधिवक्ता कुकरेती इस घटना के बाद काफी हताश व निराश हैं और कहते हैं कि मुझे इतनी आत्मग्लानि हुई कि उत्तराखंड के मूल निवासी होने बावजूद उनके साथ ऐसा बर्ताव किया गया। उन्होंने कहा कि क्या मेरा वकील होना पाप है? क्या वकील इस देश का नागरिक नहीं है। उन्होंने कहा कि हम तो नगद में गाड़ी ले रहे थे न कि फाइनेंस करके। बावजूद इसके हमें गाड़ी नहीं दी गई। नाइन माउंटेन मोटर्स के इस व्यवहार को मानहानि न कहा जाय तो क्या कहें?

मामले के संबंध में जब मुख्यधारा द्वारा नाइन माउंटेन मोटर्स के फोन नम्बर 7455998888 पर फोन किया गया तो उक्त नंबर पर किसी ने फोन नहीं उठाया।

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