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बड़ी खबर : उत्तराखंड के 891 सजायाफ्ता व विचाराधीन कैदियों को मिलेगी अंतरिम जमानत

admin
kaidi uttarakhand

मुख्यधारा ब्यूरो

नैनीताल। उत्तराखंड में वैश्विक संकट कोरोना वायरस (कोविड 19) के संक्रमण को देखते हुए सजायाफ्ता व विचाराधीन कैदियों की अंतरिम जमानत या पैरोल पर जमानत की प्रक्रिया शुरू हो गई है। प्रदेशभर में वर्तमान में विभिन्न कारागारों में सजायाफ्ता और विचाराधीन ऐसे कैदी, जिनको किसी मामले में सात साल या उससे कम की सजा दी गयी है या छोटे अपराधों में मुकदमे का सामना कर रहे हैं, की कुल संख्या 891 है। जिनमें 264 सजायाफ्ता कैदी तथा 627 विचाराधीन कैदी हैं। जो कि उनके अपराध और व्यवहार के आधार पर फिलहाल पैरोल या अंतरिम जमानत दिये जाने की परिधि के अंतर्गत आते हैं। हालांकि वर्तमान में 36 कैदी ऐसे हैं, जो कि अस्वस्थ हंै, जिन पर फिलहाल पैरोल या अंतरिम जमानत दिये जाने पर अभी कोई विचार नहीं किया जा रहा है। ऐसे कैदियों के स्वस्थ होने के उपरान्त उन पर विचार किया जाएगा।
यह प्रक्रिया वैश्विक कोरोना वायरस की भयावहता को देखते हुए सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार शुरू की गई। इसके तहत सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुक्रम में मुख्य न्यायमूर्ति, उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय द्वारा उत्तराखण्ड राज्य में एक उच्च स्तरीय समिति गठित की गयी है, जिसमें न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया, कार्यपालक अध्यक्ष, उत्तराखण्ड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की अध्यक्षता में प्रमुख सचिव, गृह/कारागार व महानिदेशक (कारागार) को सदस्य बनाया गया। गठित उच्च स्तरीय समिति की 26 मार्च, 2020 को वीडियो कांफ्रेंसिंग से बैठक की गयी। जिसमें जनपदों में संचालित जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों के माध्यमों से सजायाफ्ता और विचाराधीन कैदियों का ब्यौरा मांगा गया।
पैरोल या अंतरिम जमानत का प्रार्थना पत्र जेल प्रशासन द्वारा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सहायता से राज्य सरकार या सम्बन्धित न्यायालय को प्रेषित किये जायेंगे। प्रार्थना पत्र ऑनलाईन भरे जायेंगे, ताकि केन्द्र सरकार द्वारा निर्गत social distancing policy का अनुपालन किया जा सकें और न्यायालय एवं शासकीय कार्यालय में भीड़ इकठा न हो। ऐसे विचाराधीन कैदियों को छ: माह के पैरोल पर रिहा किया जाएगा।
जिलाधिकारी एव ं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक पैरोल पर रिहा होने वाले कैदियों को कारागार से उनक े स्थानों तक प ंहुचाने की व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे। सम्बन्धित जनपदों के मुख्य चिकित्साधिकारी कैदियों का पूर्ण चिकित्सीय जांच के बाद ही उन्हें पैरोल पर रिहा करेंगे।

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