मुख्यधारा/देहरादून
उत्तराखंड पुलिस कर्मियों के लिए गर्म दूध की स्थिति बन गई है। अब पुलिस कर्मियों के परिजन यदि विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रचार प्रसार में सम्मिलित होते हैं तो ऐसे पुलिसकर्मियों के विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी। यही नहीं यदि ऐसे पुलिसकर्मियों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं की जाती है तो ऐसे अधिकारियों के खिलाफ भी कार्यवाही की जाएगी।
इस संबंध में अपर पुलिस महानिदेशक नोडल अधिकारी निर्वाचन उत्तराखंड डॉ. वी. मुरुगेशन द्वारा आदेश जारी किया गया है। आदेश में कहा गया है कि संज्ञान में आ रहा है कि पुलिस कर्मियों की परिजन राजनीतिक दलों के प्रचार प्रसार में सम्मिलित हो रहे हैं, जो उत्तरांचल राज्य कर्मचारियों की आचरण नियमावली 2002 एवं लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 129 दो में वर्णित प्रस्तरों के अनुसार नियम विरुद्ध है।
सरकारी कर्मचारी का यह कर्तव्य होगा कि वह अपने परिवार के किसी भी सदस्य को किसी ऐसे आंदोलन या गतिविधियों में, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से स्थापित सरकार के प्रति ध्वंसक है या उसके प्रति ध्वंसक कार्यवाही करने की प्रवृत्ति पैदा करती है, हिस्सा लेने, सहायता के लिए चंदा देने या किसी अन्य तरीके से उसकी मदद करने से रोकने का प्रयास करे और उस दशा में जब कोई सरकारी कर्मचारी अपने परिवार के किसी सदस्य को किसी ऐसे आंदोलन या क्रिया में भाग लेने, मदद के लिए चंदा देने या किसी अन्य तरीके से मदद से रोकने में असफल रहे तो इसकी रिपोर्ट सरकार के पास भेज दी जाएगी।
कोई सरकारी कर्मचारी किसी विधानमंडल या स्थानीय प्राधिकारी के चुनाव में न तो समर्थन करेगा न ही मतार्थन करेगा और न ही उसमें हस्तक्षेप करेगा। इसके अलावा उसके संबंध में अपने प्रभाव का प्रयोग और उसमें भाग भी नहीं लेगा। आदेश में कहा गया है कि यदि जनपद प्रभारी उपरोक्त संबंध में कोई कार्यवाही नहीं करते हैं तो इसे कर्तव्य पालन करने में चूक माना जाएगा।
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