नीरज उत्तराखंडी/मोरी उत्तरकाशी
क्या आप सोच सकते हैं कि कोरोना जैसी महामारी में कई परिवारों के घर एक साथ धू-धू कर जलकर राख हो गए हों। उन परिवारों की हंसती-खेलती जिंदगी पल भर में खाक हो गए हों। उनके नन्हें-नन्हें बच्चों की किलकारियां चीख-पुकारों में बदल गए हों। लॉकडाउन के वर्तमान हालातों में ऐसा सोचकर भी हर किसी के बदन में सिहरन पैदा हो जाएगी। लेकिन किस्मत ने ऐसा जख्म मसरी गांव के पीडि़त परिवारों पर दिया है। पिछले दिनों एक साथ कई परिवारों के घरौंदे एक साथ एक चिंगारी ने खाक कर डाले। उनके साथ किस्मत में बस इतना साथ दिया कि वहां कोई जनहानि नहीं हुई। पल भर में वे वह अपने घरों से दर-दर भटकने को मजबूर हो गए।
मसरी गांव के पीडि़त परिवारों की जुबानी सुनकर आज भी उनकी आंखों में अग्निकांड का मंजर साफ नजर आता है। लेकिन मानव हैं, दो-चार दिन के बाद छोटे नन्हें बच्चों के पेट के खातिर रोजी-रोटी का जुगाड़ करना उनकी मजबूरी है, लेकिन लॉकडाउन में यह भी संभव नहीं है। ऐसे में मदद के हाथ मसरी के अग्निकांड प्रभावितों तक आगे बढ़ रहे हैं। तो बदले में पीडि़तों की दिल खोलकर दानवीरों की झोली दुआवों से भर रही है और वह पुण्य कमा रहे हैं।
इसी कड़ी में शुक्रवार को मोरी ब्लाक के अग्नि प्रभावित मसरी गांव के अग्नि पीडि़त परिवारों को अम्बेडकर जन जाग्रति मंच ने राहत सामग्री वितरित की। ऐसे में उनके नन्हें-नन्हें बच्चों के चेहरों पर रौनक दिखाई दी।
मंच के दो कार्यकर्ता प्रशासन की अनुमति मिलने पर अग्नि प्रभावित गांव मसरी पहुंचे तथा क्षेत्रीय उपनिरीक्षक की मौजूदगी में राहत सामग्री वितरित की। इस दौरान पीडि़तों से मुलाकात कर उनके हालचाल जाना और उनकी समस्या से रूबरू हुए और राहत सामग्री वितरित की। मंच के कार्यकर्ताओं ने अन्य संगठनों से प्रभावितों की सहायता के लिए अपील की है।
मंच के संयोजक अशीष मेघवाल ने बताया कि अग्निकांड पीडि़तों परिवारों को विशेष आवश्यकता तिरपाल और टीन की चादर की है। पीडि़त परिवार टेंट में गुजर बसर कर रहे बारिश होने पर परेशान और बढ़ जाती है। उन्हें टीन चादर की जरूरत है, जिससे वे रहने लायक झोपड़ी बना सकें।
अम्बेडकर जन जागृति मंच ने 28 अग्नि प्रभावित परिवारों को प्रति परिवार दो थाली, दो गिलास, दो कटोरी, दो किग्रा चीनी, चार नहाने के तथा चार कपड़े धोने के साबुन तथा नमक आदि वितरित किया। इस अवसर पर मंच के अध्यक्ष प्रकाश चंद, आशीष मेघवाल उपस्थित थे।