हमले के 21 साल : संसद भवन (Parliament House) को उड़ाने आए आतंकियों को जांबाज जवानों ने ढेर कर बचाई थी लोकतंत्र की लाज
मुख्यधारा डेस्क
देश के लोकतंत्र के लिए आज की तारीख को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है। देश में सबसे सुरक्षित और मजबूत मानी जाने वाली बिल्डिंग संसद भवन (Parliament House) पर आतंकी हमला हुआ था। 13 दिसंबर, 2001 को जैश -ए-महम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के 5 आतंकी संसद भवन के परिसर तक पहुंचने में कामयाब रहे थे। उस दौरान संसद में शीतकालीन सत्र चल रहा था। संसद के विंटर सेशन में “महिला आरक्षण बिल” पर हंगामा जारी था।
इस दिन भी इस बिल पर चर्चा होनी थी, लेकिन 11:02 बजे संसद को स्थगित कर दिया गया। इसके बाद उस समय के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और विपक्ष की नेता सोनिया गांधी संसद से जा चुके थे। तब के उपराष्ट्रपति कृष्णकांत का काफिला भी निकलने ही वाला था।
करीब साढ़े ग्यारह बजे उपराष्ट्रपति के सिक्योरिटी गार्ड उनके बाहर आने का इंतजार कर रहे थे और तभी सफेद एंबेसडर में सवार 5 आतंकी गेट नंबर-12 से संसद के अंदर घुस गए। उस समय सिक्योरिटी गार्ड निहत्थे हुआ करते थे।
ये सब देखकर सिक्योरिटी गार्ड ने उस एंबेसडर कार के पीछे दौड़ लगा दी। तभी आनन-फानन में आतंकियों की कार उपराष्ट्रपति की कार से टकरा गई। घबराकर आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी।
आतंकियों के हमला होने के बाद सुरक्षा बलों ने भी संभाला मोर्चा
हमला होते ही सुरक्षाबलों ने मोर्चा संभाला। आतंकियों के पास एके-47 और हैंडग्रेनेड थे, जबकि सिक्योरिटी गार्ड निहत्थे थे। इस बीच एक आतंकी ने गेट नंबर-1 से सदन में घुसने की कोशिश की, लेकिन सिक्योरिटी फोर्सेस ने उसे वहीं मार गिराया।
इसके बाद उसके शरीर पर लगे बम में भी ब्लास्ट हो गया। बाकी के 4 आतंकियों ने गेट नंबर-4 से सदन में घुसने की कोशिश की, लेकिन इनमें से 3 आतंकियों को वहीं पर मार दिया गया।
इसके बाद बचे हुए आखिरी आतंकी ने गेट नंबर-5 की तरफ दौड़ लगाई, लेकिन वो भी जवानों की गोली का शिकार हो गया। जवानों और आतंकियों के बीच 11:30 बजे शुरू हुई ये मुठभेड़ शाम को 4 बजे खत्म हुई।
मारे गये आतंकियों में हैदर उर्फ तुफैल, मोहम्मद राना, रणविजय और हमजा शामिल थे। इस हमले में 5 आतंकी समेत 14 लोग मारे गये थे। इस आतंकी हमले में सबसे पहले कांस्टेबल कमलेश कुमारी यादव शहीद हुई थीं।
इसके अलावा संसद (Parliament House) के एक माली, संसद भवन में सुरक्षा सेवा के दो कर्मचारी और दिल्ली पुलिस के 6 जवान शहीद हो गए थे।
इस आतंकी हमले के पीछे मोहम्मद अफजल गुरु, एसए आर गिलानी और शौकत हुसैन सहित पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई शामिल थे। संसद हमले के 12 साल बाद अफजल गुरु को 9 फरवरी, 2013 को फांसी दी गई थी।