विशेष: देहरादून में युवकों का गुस्सा-आक्रोश, सड़कों पर पथराव और अराजकता का माहौल, पुलिस की बरसती लाठियां, अशांत होती देवभूमि (Devbhumi gets restless)
शंभूनाथ गौतम
दो दिनों से पूरे देश भर में देहरादून की सड़कों पर बेरोजगार युवकों का आंदोलन-प्रदर्शन सुर्खियों में बना हुआ है। राजधानी में तनावपूर्ण माहौल है। देहरादून में कई दिनों से युवक परीक्षा में धांधली को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे थे। बुधवार की रात पुलिस ने धरना दे रहे कुछ युवकों को उठा लिया था। बताया जा रहा है कि पुलिस ने इन युवकों के साथ मारपीट भी की थी। इसके बाद युवक उग्र हो गए और राजधानी की सैकड़ों की संख्या में सड़कों पर उतर आए हैं। इस मामले में कांग्रेस ने आंदोलनकारियों का समर्थन किया है, वहीं सीएम धामी ने विपक्ष पर प्रदर्शन भड़काने का आरोप लगाया है।
उत्तराखंड यानी देवभूमि का नाम जेहन में आते ही शांत मन और सुकून का अहसास होने लगता है। इस राज्य में हिंसा, उपद्रव, पत्थरबाजी, पुलिस की लाठियां सड़कों पर अराजकता के माहौल के लिए कोई जगह नहीं है।
उत्तराखंड की पहचान देश-विदेशों में एक आदर्श समाज के रूप में भी जानी जाती है। लेकिन दो दिनों से राजधानी देहरादून की सड़कों पर अराजकता के माहौल ने देवभूमि की छवि पर दाग लगा दिया है।
बता दें कि दो दिनों से पूरे देश भर में देहरादून की सड़कों पर बेरोजगार युवकों का प्रदर्शन सुर्खियों में बना हुआ है। राजधानी में तनावपूर्ण माहौल है। शहर के अधिकांश क्षेत्रों में भारी पुलिस बल तैनात है। देवभूमि एक परिवार की तरह है।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि अभी तक देश में हिंसा, उपद्रव से कोई भी समाधान नहीं हो सका है। यह भी सही है कि बेरोजगार युवकों की मांग, भर्ती परीक्षाओं में धांधली की सीबीआई से जांच कराना भी जायज है। लेकिन सभी मांगों का एक तरीका होता है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी युवा होने के साथ जानते हैं कि प्रदेश में युवाओं की क्या समस्याएं हैं। हाल के महीनों में प्रदेश में आयोजित कई परीक्षाओं में पेपर लीक और धांधली होने के बाद सीएम धामी का सख्त रवैया भी रहा है। अगर बेरोजगार युवकों परीक्षाओं में धांधली को लेकर कोई शिकायत थी तो वह सीधे ही मुख्यमंत्री धामी से अपनी बात कह सकते थे।
ऐसा नहीं है कि उनकी बातों पर सीएम धामी ध्यान नहीं देते। लेकिन गुरुवार को राजधानी देहरादून के हृदय स्थल कहे जाने वाले घंटाघर पर हजारों की संख्या में युवकों के हाथ में पत्थर और उनके पीछे लाठियां लेकर दौड़ती पुलिस की तस्वीर देखकर सभी सहम गए। आमतौर पर उत्तराखंड की पुलिस ऐसी हिंसक वारदातों के लिए तैयार नहीं रहती है। लेकिन फिर भी पुलिस को अपनी ड्यूटी करनी थी।
ऐसा नहीं है कि बेरोजगार युवकों पर लाठी चलाने वाले सिपाही को भी दर्द नहीं हुआ होगा। उस प्रदर्शन में कई ऐसे भी युवा रहे होंगे जो पुलिसकर्मियों के जान-पहचान और गांव और आसपास के होंगे। पुलिस लाठीचार्ज के बाद प्रदर्शनकारी और उग्र हो गए।
राज्य में विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने बेरोजगार युवकों के प्रदर्शन को और भड़का दिया। इस मामले में सियासत भी शुरू हो गई है। बेरोजगार युवाओं पर देहरादून में हुए लाठीचार्ज के विरोध में कांग्रेस, एनएसयूआई, यूकेडी ने विरोध जताया है। आइए जानते हैं इस पूरे मामले की शुरुआत कैसे हुई।
देहरादून में बेरोजगार युवकों पर पुलिस लाठीचार्ज के बाद स्थिति और बिगड़ी
बता दें कि देहरादून में कई दिनों से युवक परीक्षा में धांधली को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे थे। बुधवार की रात पुलिस ने धरना दे रहे कुछ युवकों को उठा लिया था। बताया जा रहा है कि पुलिस ने इन युवकों के साथ मारपीट भी की थी।
बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार ने कहा कि प्रदेशभर के बेरोजगार और छात्र अपनी जायज मांगों को लेकर धरना दे रहे थे । लेकिन पुलिस ने देहरादून में बुधवार की रात और फिर गुरुवार को युवाओं के साथ पुलिस लाठी चार्ज से पूरे प्रदेश में आक्रोश है।
बता दें कि यूकेएसएसएससपी पेपर लीक और भर्ती घोटाला को लेकर गुरुवार को देहरादून के घंटाघर में बेरोजगारों ने सीबीआई जांच की मांग को लेकर प्रदर्शन किया।
इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव कर दिया, जिसके बाद पुलिसकर्मियों ने छात्रों को भगाने के लिए लाठीचार्ज किया। इसके बाद स्थिति और बिगड़ गई है।
सबसे बड़ी बात यह है कि सीएम धामी दो दिन दौरे के बाद खटीमा से गुरुवार दोपहर लौटे थे। उत्तराखंड में बेरोजगार युवाओं का प्रदर्शन लगातार जारी है। बीते दिन बेरोजगार युवा का उग्र रूप देखने को मिला था। बेरोजगार युवाओं की ओर से पत्थरबाजी की गई। जिसके बाद पुलिस प्रशासन की ओर से भी कड़ा रुख अख्तियार करते हुए लाठियां भांजी गई।
शुक्रवार को भी राजधानी देहरादून में युवाओं का विरोध भी जारी रहा। हालांकि बेरोजगार संघ का बंद का आह्वान किया था। हालांकि बंद का असर कोई खास दिखाई नहीं दिया। आज हजारों युवा कचहरी स्थित शहीद स्मारक पहुंचे। शहीद स्मारक पर पहले से ही मौजूद राज्य आंदोलनकारियों ने भी युवाओं का समर्थन किया। हालांकि पुलिस शहीद स्मारक को खाली कराने की कोशिश करती रही। जिसके चलते पुलिस और राज्य आंदोलनकारियों के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई।
उत्तराखंड में उग्र हुए बेरोजगार शिक्षित युवाओं के आंदोलन पर अब सरकार भी सकते में है। विपक्ष इस पूरे मूवमेंट को भुनाने में लगा हुआ है तो वहीं दूसरी तरफ सरकार और भाजपा संगठन द्वारा लगातार इस मामले को मैनेज करने की कोशिश की जा रही है।शासन-प्रशासन की कोशिशों के बाद बेरोजगार संघ के एक डेलिगेशन ने पहले जिलाधिकारी सोनिका से मुलाकात की।
जिलाधिकारी सोनिका के माध्यम से इस डेलिगेशन की मुलाकात अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी से करवाई गई। जिसमें बेरोजगार संघ के कुछ पदाधिकारी और उत्तराखंड शासन की तरफ से एसीएस राधा रतूड़ी ने मध्यस्था की। अपनी मांगों में बेरोजगार संघ ने परीक्षाओं में हो रही धांधलियों की सीबीआई जांच सहित कई अन्य मांगे भी सरकार के सामने रखी।
इस मुलाकात के बाद राधा रतूड़ी ने कहा कि बेरोजगार संघ के पदाधिकारियों से उनकी मुलाकात हुई है। जिसमें बेरोजगार संघ की तरफ से कई मांगें रखी गई है। राधा रतूड़ी ने इन सभी मांगों को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को प्रस्तावित करने की बात कही।
वहीं, छात्रों पर हुए लाठीचार्ज को लेकर कांग्रेस ने सरकार पर जमकर निशाना साधा है। छात्र और युवकों के प्रदर्शन में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी पहुंचे। हालांकि हरीश रावत की प्रदर्शन के दौरान कुछ तबीयत भी खराब हो गई थी। इसके बाद पुलिसकर्मी हरीश रावत को अस्पताल ले गए। राजधानी में बेरोजगार युवाओं पर हुए लाठीचार्ज के विरोध में कांग्रेस ने सख्त रुख अख्तियार कर लिया है।
कांग्रेस ने बेरोजगार युवकों के आंदोलन का किया समर्थन, सीएम धामी ने विपक्ष पर लगाए आरोप
कांग्रेस ने सप्ताह भर पुलिस प्रशासन की इस कार्रवाई के विरोध में आंदोलन करने का निर्णय लिया है। कांग्रेस प्रदेश मुख्यालय में प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा और उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी ने इस बात की जानकारी दी। उन्होंने कहा पुलिस प्रशासन की इस कार्रवाई का जमकर विरोध किया जाएगा।
करन माहरा ने कहा शनिवार को पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और उपनेता प्रतिपक्ष कापड़ी के नेतृत्व में पुलिस मुख्यालय का घेराव किया जाएगा। इसके बाद हर दिन पार्टी के किसी वरिष्ठ नेता को यह जिम्मेदारी दी जाएगी। जिनके नेतृत्व में कांग्रेस मुख्यालय का घेराव करते हुए बेरोजगार युवाओं के साथ पुलिस कार्रवाई का विरोध किया जाएगा। अब यह पूरा मामला राजनीतिक रंग लेता हुआ नजर आ रहा है।
वहीं नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने लाठीचार्ज करने वाले दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई करने के साथ ही सीबीआई जांच की मांग की है। राजधानी देहरादून के घंटाघर में कल हुए पूरे घटनाक्रम पर जहां एक ओर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दे दिए।
वहीं दूसरी तरफ उन्होंने विपक्षी दलों पर भी निशाना साधा है। सीएम धामी ने कहा कुछ राजनीतिक पार्टियां जो उत्तराखंड ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर अपनी जमीन खो चुकी हैं उन्होंने बेरोजगार युवाओं के प्रदर्शन का रुख बदलने का काम किया है।
गौरतलब है कि लाठीचार्ज के बाद सीएम पुष्कर सिंह धामी ने नकल विरोधी अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। अब इस अध्यादेश को राज्यपाल के पास भेजा गया है। फिलहाल शहीद स्मारक पर बड़ी संख्या में पीएसी और पुलिस बल तैनात है।
उधर युवा भी स्मारक पर बैठकर अपने विरोध को आगे बढ़ा रहे हैं। एसएसपी देहरादून सहित डीएम और एसपी सिटी भी बेरोजगार युवकों के प्रदर्शन को लेकर मुस्तैद बने हुए हैं।
बेरोजगारों युवकों का यह प्रदर्शन आने वाले दिनों में खत्म हो जाएगा लेकिन राजधानी देहरादून में हिंसक, प्रदर्शन देवभूमि की छवि पर गहरा जख्म दे गया, जिसे भरने में लंबा समय लगेगा।