बेमौसमी बरसात (unseasonal rain) ने किसानों की उम्मीदों पर फेरा पानी
नीरज उत्तराखंडी/पुरोला
विकासखण्ड पुरोला के रामा सिराईं व कमल सिराईं में बेमौसमी बारिश से तुड़ान को तैयार नगदी फसल मटर को भारी नुकसान हो रहा है जिसको लेकर काश्तकार खासे चिंतित हैं।
पुरोला क्षेत्र के रामा सिराईं के गुंदियाट गांव,पोरा,कंडियाल गांव, रौन,मठ, सुकडाला सहित कमल सिराईं के खलाड़ी,चन्देली,नेत्री,स्वील, करड़ा,पुजेली,चपटाडी,कुमोला आदि दर्जनों गांवों में मटर का उत्पादन नगदी फसल के रूप में किया जाता है।
धान की फसल निकलने के बाद हजारों कुंतल मटर का बीज आढ़तियों व उद्यान विभाग या निजी दुकानों से खरीद कर काश्तकार प्रमुखता से मटर का उत्पादन करते हैं, यही नहीं क्षेत्र में हजारों लोगों की आर्थिकी का यह मुख्य साधन है । इसी नगदी फसल के बूते किसान अपने बच्चों की पढ़ाई लिखाई सहित सालभर का पारिवारिक खर्च चलाते हैं। आज कल धान वाले सिंचित खेतों में मटर की फसल तैयार है जबकि कई गांवों में गत तीन चार दिनों से मटर तुड़ान शुरु भी हो चुका है।
मंडी में अच्छे दाम मिलने पर काश्तकार मटर तुड़ान जल्दी करने को उत्सुक ही थे कि अचानक भारी वर्षा ने काश्तकारों के सपनों पर पानी फेर दिया।
क्षेत्र के काश्तकार व मटर उत्पादक श्यालिक राम नौटियाल,गुरुदेव रावत,दीवान सिंह,हकूमत सिंह रावत व पवन सजवाण आदि ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि काश्तकारों की 4-5 महीनों की मेहनत खराब हो जाएगी अगर ऐसे ही लगातार मूसलाधार वर्षा होगी।
उन्होंने कहा कि हालांकि असिंचित खेतों में तो अधिक नुकसान नही होगा लेकिन हमारे क्षेत्र में अधिकतर मटर धान निकलने के बाद सिंचित खेतों में ही होती है जो अब तुड़ान के लिए तैयार है अधिक वर्षा से मटर की जड़ें सड़ जाती है व फली भी काली पड़ जाती है।
उन्होंने कहा कि क्षेत्र में लगभग हर गांव में हर परिवार न्यूनतम 10-20 हजार रुपये का मटर का बीज खरीद कर मटर उत्पादन करता है। उन्होंने बताया कि अगर स्थिति ऐसे ही रहती है तो मटर,गेंहू सहित सेब,आलू,पल्म, टमाटर आदि फल व सब्जियों की फसलें भी समय पर नही हो पायेगी व किसानों के सामने परिवार का गुजर बसर करने के साथ ही बैंकों से लिये गए कृषि श्रृंण जमा करने की बड़ी चुनौती है।