Header banner

स्काईमेट ने की भविष्यवाणी: इस बार देश में गर्मी-हीटवेव(Heatwave) की मार, मानसून कमजोर होने के कारण बारिश भी कम होगी

admin
grmi 1

स्काईमेट ने की भविष्यवाणी: इस बार देश में गर्मी-हीटवेव(Heatwave) की मार, मानसून कमजोर होने के कारण बारिश भी कम होगी

मुख्यधारा डेस्क

देश में हर दिन गर्मी की रफ्तार बढ़ती जा रही है। अगले कुछ दिनों में देशवासियों को गर्मी अपना प्रचंड रूप दिखा सकती है। इसके साथ इस बार हीटवेव का भी सामना करना पड़ेगा।

भारत में इस साल मानसून की सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है और ला नीना की स्थिति समाप्त होने और अल नीनो के प्रभावित होने की आशंका के कारण सूखे की 20 प्रतिशत संभावना है।

मौसम पूर्वानुमान एजेंसी स्काईमेट ने इस साल के लिए अपना मानसून पूर्वानुमान जारी किया है। स्काईमेट के प्रबंध निदेशक जतिन सिंह ने कहा कि मानसून के कमजोर रहने की संभावना बन रही है।

यह भी पढें :उड़ान के दौरान हंगामा: लंदन जा रही एयर इंडिया (Air India) की फ्लाइट में यात्री के हंगामा के बाद पायलट ने दिल्ली एयरपोर्ट पर वापस की लैंडिंग

भारत मौसम विज्ञान विभाग भी जल्द ही अपने वार्षिक मानसून पूर्वानुमान की घोषणा कर सकता है। स्काइमेट के मॉनसून पूर्वानुमान के अनुसार, जून से सितंबर तक 4 महीने की औसत वर्षा की 868.8 मिमी की तुलना में 816.5 मिमी यानी कि 94% की संभावना है। स्काईमेट ने 04 जनवरी, 2023 को जारी अपने पहले के पूर्वाभास में 2023 के मानसून का औसत से कम रहने का आकलन किया था और अब इसे बरकरार रखा है।

उत्तरी और मध्य भागों में बारिश की कमी देखी जा सकती है।

गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में जुलाई और अगस्त के महीनों में अपर्याप्त बारिश होने की उम्मीद है। वहीं, उत्तर भारत के कृषि क्षेत्र पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में सीजन की दूसरी छमाही में सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है।

यह भी पढें :अच्छी खबर: बागेश्वर में पहली बार पैराग्लाइडिंग चैंपियनशिप (Paragliding in Bageshwar) का आयोजन

भारत मौसम विज्ञान विभाग ने अप्रैल से जून तक देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक तापमान और हीटवेव की भविष्यवाणी की है। 70-80% किसान सिंचाई के लिए बारिश के पानी पर निर्भर हैं, कम वर्षा हुई तो फसल बिगड़ेगी। उत्पादन घटने से महंगाई बढ़ने की भी आशंका है। देश की अर्थव्यवस्था में कृषि की हिस्सेदारी करीब 18% है यानी उस पर भी नकारात्मक असर पड़ेगा। बता दें कि भारत के लगभग आधे से ज्यादा किसान अपन खेत में चावल, मक्का, गन्ना, कपास और सोयाबीन जैसी फसलों को उगाने के लिए वार्षिक जून-सितंबर बारिश पर निर्भर करते है।

स्काईमेट को उम्मीद है कि देश के उत्तरी और मध्य हिस्सों में बारिश की कमी का खतरा बना रहेगा। मानसून पर अल नीनो का खतरा मंडराया हुआ है। इसके कारण बारिश सामान्य से भी काफी कम होती है। अनुमान जताया जा रहा है कि अल नीनो का प्रभाव मई से जुलाई महीने के बीच देखा जा सकता है।

यह भी पढें :अवैध धार्मिक अतिक्रमण को लेकर पीएम-सीएम को पत्र तुष्टिकरण का हिस्सा: चौहान (Chauhan)

बता दें कि अल नीनो का मतलब है कि जब समुद्र का तापमान और वायुमंडलीय परिस्थितियों में जो बदलाव आते हैं उसी समुद्री घटना को अल नीनो कहा जाता है।

Next Post

पहाड़ की बेटी की अनोखी पहल पर 14 अप्रैल को आयोजित होगी मिलेट साइकिल रैली (Millet Cycle Rally)

पहाड़ की बेटी की अनोखी पहल पर 14 अप्रैल को आयोजित होगी मिलेट साइकिल रैली (Millet Cycle Rally) 14 अप्रैल को देश की पहली मिलेट क्रांति साइकिल रैली की होगी शुरुआत मुख्यमंत्री धामी करेंगे 300 किमी लंबी साइकिल रैली का […]
b 1

यह भी पढ़े