स्वास्थ्य देखभाल में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) की भूमिका अहम
ऋषिकेश/ मुख्यधारा
एम्स ऋषिकेश ने “स्वास्थ्य देखभाल में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)” पर अपनी तरह की पहली कार्यशाला का आयोजन किया। संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर( डॉ.) मीनू सिंह, डीन एकेडमिक्स प्रो. जया चतुर्वेदी और डीन रिसर्च प्रो. वर्तिका सक्सेना (डीन रिसर्च) के मार्गदर्शन में आयोजित कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने व्याख्यान प्रस्तुत किए।
जनरल मेडिसिन विभाग के नोडल कॉर्डिनेटर एआई, सीओई डॉ. प्रसन कुमार पांडा (चिकित्सा विभाग), नोडल कॉर्डिनेटर, एआई, सीओई ने संचालन में आयोजित कार्यक्रम ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों प्रतिभागियों के साथ हाइब्रिड पैटर्न में आयोजित किया गया।
कार्यक्रम में फैकल्टी, सीनियर रेजिडेंट और जूनियर रेजिडेंट, इंजीनियर, नर्स और छात्रों सहित लगभग 100 प्रतिभागियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। जहां एआई के तकनीकी पहलुओं पर प्रोफेसर डॉ. दुर्गा तोशनीवाल प्रमुख, मेफ्ता स्कूल ऑफ डेटा साइंस, आईआईटी रुड़की और मुकुल के नेतृत्व में वाधवानी एआई लिमिटेड की एक टीम ने विस्तृत चर्चा की।
वहीं न्यूरोलॉजी विभाग के डॉक्टर आशुतोष तिवारी ने नैदानिक पहलुओं पर व्याख्यान दिया। गैस्ट्रोएंटरोलॉजी से डॉ. आनंद शर्मा और डॉ. आशीष भूते (सदस्य सचिव, संस्थान आचार समिति, एम्स ऋषिकेश) द्वारा नैतिक पहलुओं पर चर्चा की गई।
विशेषज्ञों द्वारा बताया गया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मानव बुद्धि की कंप्यूटर उपयोगिता है। बाजार में विभिन्न प्रकार की कृत्रिम बुद्धिमत्ता के तौर-तरीके मौजूद हैं हालांकि, स्वास्थ्य क्षेत्र में उनका उपयोग अभी तक आशानुरूप नहीं है। यहां तक कि एक छोटी सी त्रुटि भी रोगी के जीवन को खतरे में डाल सकती है, इसलिए इसका पूरी तरह से उपयोग करने से पहले हमें सत्यापन के लिए भारतीय डेटा की आवश्यकता है।
वक्ताओं और प्रतिभागियों ने एआई के व्यवसायिक क्षेत्र में उन क्षेत्रों पर चर्चा की जहां यह अधिक मददगार हो सकता है। कहा गया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस लक्षणों के आधार पर अनुमानित निदान करके, छवियों के आधार पर निदान करके और उपचार के संबंध में निर्णय लेने में रोगी के ट्राइएजिंग में मदद कर सकता है। वक्ताओं ने कहा कि एआई एक चिकित्सक को कुशलता से रोगी की देखभाल करने, रोग का निदान करने और समय पर इसका इलाज करने में सहायता कर सकता है। यह एआई उपयोगकर्ताओं द्वारा किसी विशेष भौगोलिक क्षेत्र से खोजे गए डेटा के आधार पर महामारी की घटना की भविष्यवाणी करने में उपयोगी हो सकता है।
इस बात पर भी जोर दिया गया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस( एआई) डॉक्टर या स्वास्थ्य प्रणाली की जगह नहीं ले सकता, लेकिन यह स्पष्टरूप से उन्हें बेहतर बना सकता है। एआई में पैटर्न को पहचानने की क्षमता है, जिसे करना मानव मस्तिष्क के लिए मुश्किल है या इसमें बहुत लंबा समय लगेगा। एआई समय की जरूरत है और एम्स ऋषिकेश ने स्वास्थ्य देखभाल में एआई के क्षेत्र में काम करने के लिए आईआईटी रुड़की और वाधवानी टीमों के साथ सहयोग करने के लिए एक कदम आगे बढ़ाया है।
कार्यशाला पर इस तथ्य पर जोर दिया गया कि एआई समय की आवश्यकता है और इसलिए इसे आगे बढ़ाया जाना चाहिए।