जीते जीते मिसाल कायम कर गई रीता खनका रौतेला (Rita Khanka Rautela)
डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
उत्तराखंडी जन सरोकारों की पत्रकारिता करने वाले जगमोहन रौतेला की पत्नी रीता खनका नहीं रही। भले ही वह अब दैहिक रूप से जीवित नहीं हैं, लेकिन उनके बॉडी मेडिकल कॉलेज में मेडिकल के छात्रों के लिए शोध के लिए जीवित रहेगी।
जब पत्रकारिता का चेहरा भी बदल रहा है, तब जगमोहन रौतेला के शब्दों की धार कभी कुंद नहीं पड़ी। इसकी वजह उनके भीतर हमेशा जीवित रहा पत्रकार रहा और आगे भी रहेगा। जगमोहन रौतेला को जन सरोकारों की पत्रकारिता के लिए उनकी पत्नी रीता खनका हमेशा उनकी पीठ थपथपाती रही। कभी ऐसा नहीं रहा, जब उन्होंने जगमोहन को यह ताना मारा होगा कि देखो और पत्रकार कैसे भौतिक उपलब्धियां हासिल कर रहे हैं।
स्वतंत्र पत्रकार रौतेला पत्नी रीता खनका रौतेला के गंभीर बीमारी से ग्रसित होने के बाद भी अपनी कलम से जंग जारी किए रहे। हिमालयी जन सरोकारों एवं लोगों की प्रमुख समस्याओं को सामने रखने वाली पत्रिका युगवाणी में एम्स के कैंसर वार्ड के नाम के ब्लॉक से अपनी बेबाक टिप्पणी के तथा कैंसर पीड़ित रोगियों के सुख-दुख को साझा करती रहती है।
स्वतंत्र एवं जन सरोकारों से जुड़े हुए जगमोहन रौतेला एक पत्रकार नहीं, विचार के रूप में काम करते आए हैं। उनके कंधे से कंधा मिलाकर पत्रकारिता में मुद्दों को बेबाकी से रखने वाली उनकी धर्मपत्नी रीता खनका रौतेला पिछले 3 सालों से रेक्टम कैंसर से पीड़ित थी। इसके बावजूद वह अपना ब्लॉग लगातार लिखती रही। उनकी बेहद गंभीर स्थिति के चलते उन्हें विगत दिनों हल्द्वानी के एक निजी अस्पताल में भर्ती किया गया, लेकिन वहां स्वास्थ्य में सुधार नहीं होने के चलते उन्हें सुशीला तिवारी में भर्ती कराया गया, जहां उनका ऑपरेशन भी किया गया, लेकिन ऑपरेशन के बाद भी उनकी स्थिति में सुधार नहीं आया, जिससे जन सरोकारों से जुड़े लोग चिंतित थे।
उनकी मृत्यु से ठीक एक दिन पहले इन दोनों के चेहरे की जो मुस्कान थी, वह सम्मोहक भी और लंबे अरसे तक याद रखने वाली भी थी। जिस तरह से इस पूरे परिवार ने इनको विदा किया, वह बात मेरे दिल से जा नहीं पा रही। हां, मृत्यु से पूर्व रीता जी ने अपनी पूरी देह एक मेडिकल कॉलेज को दान कर दी थी।
बीमार और मृत्यु की तरह बढ़ते व्यक्ति के जीवन पर बनी फिल्में खास तौर पर आनंद मुझे काफी पसंद है। लोग अगर मुस्कुराते हुए मृत्यु का स्वागत करते हैं और मृत्यु से पहले का पूरा जीवन आनंद के साथ जीते हैं तो यह बात सहज आकर्षित करती है। मगर जो इनका जीवन है, इसमें जो सहजता है, परिवार का साथ और आनंद भरा जीवन है, वह आनंद फिल्म से आगे की बात लगती है। यह पूरी बात इन दोनों की फेसबुक टाइमलाइन से गुजरते हुए समझ आती है। ऐसी करनी कर चली, तुम हँसी जग रोय ! मृत्यु शाश्वत सत्य है, संसार में जन्मे प्रत्येक प्राणी को एक समय अपनी नश्वर देह को त्यागना ही होता है, लेकिन आदर्श मृत्यु वही है, जो दूसरों के जीवन में रोशनी भर दे, मरते-मरते भी किसी के चेहरे पर मुस्कान बिखेर दे, दूसरे को जीवनदान दे। दुनिया को अलविदा कहने से पहले परोपकार का यही अनमोल योगदान कर चली गई रीता। जिन्होंने अपनी शीघ्र मृत्यु की कामना इसलिए की कि उनका आइसीयू बेड किसी और के लिए जल्दी खाली हो सके। मेरे जीवन का अब कोई मतलब नहीं रह गया है। शादी के बाद मैंने अपनी भरपूर जिंदगी जी है। मैंने लिखना, पढ़ना और तर्क करना सीखा। सबसे बड़ी बात कि मैंने धाराप्रवाह कुमाउंनी भी शादी के बाद ही सासू ईजा और बुलबुल के बौज्यू के प्रेरित करने पर ही सीखी। अपने जीवन की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि मैं इस बात को मानती हूँ। अपने कुमाउंनी लोकजीवन के तीज-त्योहारों को मनाना और लोक की परम्परा का पालन करना भी मैंने शादी के बाद ही सीखा। “मैं आज आइसीयू के बैड में इस स्थिति में नहीं हूँ कि खुद कुछ लिख सकूँ। यह पोस्ट मैं बुलबुल के बौज्यू से लिखवा रही हूँ। हो सकता है कि इस पोस्ट के शब्द हूबहू मेरे न हों, भावनाओं के शब्द पूरी तरह मेरे हैं।“मैं अंत में एक बार फिर से आप सबसे अपनी इस देह से जल्द से जल्द मुक्ति में सहयोग चाहती हूँ। आप सब से मेरी प्रार्थना है कि अपने-अपने देवी-देवताओं, ईष्ट देवों से कहें कि मुझे इस नश्वर देह से मुक्त करें। आप सब ने पिछले ढाई साल में मेरे जीवन के लिए कामना की, अब आखिरी वक्त में देह से मुक्ति की प्रार्थना में बिना झिझक सहयोग करें। आप सब का प्यार, सहयोग मेरी बिटिया बुलबुल और उसके बौज्यू को आत्मबल ही देगा।“ आप सब लोगों का जीवन आरोग्यमय, प्रेम, प्यार व सहयोग से भरपूर रहे, यही कामना मेरी ओर से है।” प्रिय बिटिया बुलबुल और सभी परिजनों के दुख की इस घड़ी में गहरी समवेदना के साथ शामिल होते हुए दिवंगत आत्मा को विनम्र श्रद्धांजलि।
उनसे अभी काफी अपेक्षाएं थी, लेकिन नियति के क्रूर पंजों ने असमय ही उन्हें हमसे छीन लिया। युगवाणी समेत कई पत्र-पत्रिकाओं में अपनी कलम की छाप छोड़ने वाली स्वतंत्र पत्रकार एवं जनसरोकारों से जुड़े पत्रकार जगमोहन सिंह रौतेला की पत्नी रीता खनका रौतेला के विचार अमर रहे तथा साथियों द्वारा उनका मिशन आगे बढ़ाया जाता रहे, यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।