पीएम मोदी ने साथी दलों को मंत्रिमंडल में न ज्यादा हिस्सेदारी दी और न शक्तिशाली मंत्रालय दिए
मुख्यधारा डेस्क
इस बार लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत न मिलने के बाद एनडीए घटक दलों का सरकार में शामिल होने के लिए डिमांड शुरू हो गई थी। खासतौर पर तेलुगु देशम पार्टी और जेडीयू मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में कुछ अहम मंत्रालय चाहते थे। इसके साथ साथी दल मंत्रिमंडल में कुछ ज्यादा भागीदारी भी चाहते थे।
मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में मंत्रियों के पोर्टफोलियो के बंटवारे पर सबकी नजरें टिकी हुई थी। सबसे शक्तिशाली चार मंत्रालयों में कोई बदलाव न करने के साथ ही प्रधानमंत्री ने विकास के मूल सिरों में भी उन्हीं चेहरों पर भरोसा जताया है, जो अपने काम से पीएम और जनता को प्रभावित करने में सफल रहे हैं।
सोमवार शाम को मंत्रालय /विभागों का बंटवारा कैबिनेट की पहली बैठक के बाद कर दिया गया। प्रधानमंत्री ने गृह, विदेश, रक्षा, वित्त, सड़क परिवहन, रेल, शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि मंत्रालय साथी दलों को नहीं दिए। नागरिक उड्डयन मंत्रालय जरूर तेलुगु देशम पार्टी को दे दिया गया है। कुछ मंत्रियों को उनके पुराने मंत्रालय के साथ रखा गया है तो वहीं कुछ के मंत्रालय में परिवर्तन भी किया गया है।
लगातार तीसरी बार ऐतिहासिक पद की शपथ लेने के एक दिन बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 71 मंत्रिपरिषद को विभाग सौंप दिए है। पीएम मोदी के पास कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय, परमाणु ऊर्जा विभाग और अंतरिक्ष विभाग रखें हैं।
अमित शाह को फिर से गृह मंत्री, राजनाथ सिंह को रक्षा मंत्री, नितिन गडकरी को सड़क परिवहन मंत्री बनाया गया है। एस. जयशंकर के पास विदेश मंत्रालय ही रहेगा। निर्मला सीतारमण को वित्त मंत्रालय दिया गया है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया है। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में नड्डा ही स्वास्थ्य देख रहे थे।
कृषि बड़ा मंत्रालय शिवराज सिंह चौहान को सौंपा गया है। ऐसे ही सरकार ने नई शिक्षा नीति भी लागू की है और इसी लिहाज से धर्मेंद्र प्रधान को फिर से यह जिम्मेदारी दी गई है। पीयूष गोयल पहले की तरह वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय संभालते रहेंगे। अश्विनी वैष्णव के कामकाज से प्रधानमंत्री खासे प्रभावित थे। यही कारण है कि उनके पास रेल मंत्रालय के साथ साथ इलेक्ट्रॉनिक और सूचना तकनीक मंत्रालयों का जिम्मा भी सौंपा गया है। रेलवे नए सुधारों के दौर से गुजर रहा है। इसके साथ ही वैष्णव को सूचना प्रसारण मंत्रालय भी दिया गया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय गुजरात से आने वाले मनसुख मांडविया के पास था। इस बार उन्हें श्रम और खेल एवं युवा कार्यक्रम की जिम्मेदारी दी गई है। सरकार के सुधार के एजेंडे में श्रम सुधार भी ऊपर हैं, इस लिहाज से मांडविया के सामने चुनौतीपूर्ण स्थिति होगी।
भाजपा ने सहयोगी दलों के मंत्रियों को भी अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी दी है। जनता दल (एस) के एचडी कुमारस्वामी को भारी उद्योग तथा स्टील और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के जीतनराम मांझी को एमएसएमई की जिम्मेदारी दी गई है। टीडीपी के राम मोहन नायडू नए नागरिक उड्डयन मंत्री होंगे। पिछली बार यह जिम्मेदारी ज्योतिरादित्य सिंधिया के पास थी। सिंधिया को इस पर संचार तथा पूर्वोत्तर मंत्रालयों का भार सौंपा गया है। लोजपा के चिराग पासवान नए खाद्य एवं प्रसंस्करण उद्योग मंत्री होंगे।
पिछली कैबिनेट के 36% मंत्रियों को उनके पुराने विभाग मिले हैं। इस फैसले के बाद घटक दलों में कुछ नाराजगी भी शुरू हो गई है। मंत्रालय विभागों के बंटवारे के बाद शिवसेना (शिंदे गुट) के सांसद श्रीरंग बारणे ने कहा, ‘हम कैबिनेट में जगह की उम्मीद कर रहे थे। चिराग पासवान के 5 सांसद हैं, जीतन राम मांझी का एक सांसद हैं, जेडीएस के 2 सांसद हैं, फिर भी उन्हें एक कैबिनेट मंत्रालय मिला। 7 लोकसभा सीटें मिलने के बावजूद हमें सिर्फ एक राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) क्यों मिला।
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वहीं इससे पहले कैबिनेट मंत्रालय का पोर्टफोलियो न मिलने पर एनसीपी (अजित) राज्य मंत्री का पद ठुकरा चुके हैं। एनसीपी ने कहा है कि वे कुछ दिन इंतजार करने को तैयार हैं, लेकिन कैबिनेट मिनिस्ट्री चाहिए। एनसीपी के प्रफुल्ल पटेल केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं, लेकिन उन्हें राज्यमंत्री बनाया जा रहा था।
मोदी सरकार 3.0 में कुल 72 मंत्री शामिल किये गए है, जिनमें 30 कैबिनेट मंत्री है, इसके अलावा, 5 मंत्रियों को स्वतंत्र प्रभार दिया गया है और 36 सांसदों को राज्य मंत्री के पद पर नियुक्त किया गया है।