वायनाड से राहुल ने सीट छोड़ी : पांच साल बाद फिर यूपी की सक्रिय सियासत में लौटेंगे, रायबरेली आया पसंद, प्रियंका गांधी संभालेंगी वायनाड
शंभू नाथ गौतम
भले ही इस बार लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन दल की सरकार नहीं बनी लेकिन सबसे ज्यादा फायदा अगर किसी नेता का हुआ है तो वह है राहुल गांधी। राहुल गांधी इस बार केरल की वायनाड और उत्तर प्रदेश की रायबरेली सीट से लोकसभा चुनाव लड़े थे। दोनों ही जगह राहुल ने साढ़े तीन लाख से अधिक वोटों से शानदार जीत हासिल की। लेकिन संविधान के मुताबिक अगर कोई दो जगह से चुनाव जीता है तो उसे 14 दिन के अंदर एक सीट से इस्तीफा देना अनिवार्य होता है। इसी महीने 4 जून को लोकसभा चुनाव के परिणाम आए थे। तभी से राहुल गांधी की ओर राजनीतिक विश्लेषकों की निगाहें लगी हुई थी कि वह कौन सी सीट अपने पास रखेंगे ? वहीं राहुल गांधी के लिए भी यह फैसला आसान नहीं था। वायनाड ने उस समय राहुल गांधी का साथ दिया था तब जब वह अपनी परंपरागत सीट अमेठी को हार गए थे।
पिछले लोकसभा चुनाव साल 2019 में वायनाड से जीतने के बाद कांग्रेस सांसद अपना पूरा ध्यान साउथ की राजनीति में लगाए हुए थे। पिछले 5 सालों में राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश के बहुत कम ही दौरे किए। यूपी की कमान प्रियंका गांधी संभाल रहीं थीं । इस चुनाव में यूपी से कांग्रेस को 7 सीटें मिली हैं। जिसके बाद कांग्रेस खेमा उत्साहित है। राहुल गांधी को मंगलवार, 18 जून यानी आज फैसला करना था कि वह वायानाड और रायबरेली में से किसका चुनाव करें। आखिरकार एक दिन पहले सोमवार 17 जून को राहुल गांधी ने आगे की सियासत के लिए रायबरेली सीट रखने का फैसला सुना दिया। अगर इसे सरल भाषा में समझे तो अब राहुल उत्तर प्रदेश में एक बार फिर सक्रिय होने जा रहे हैं।
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वहीं दूसरी ओर उनकी बहन प्रियंका गांधी अब साउथ में अपनी सियासी पारी की शुरुआत करने जा रहीं हैं। राहुल गांधी केरल की वायनाड सीट से इस्तीफा देंगे और रायबरेली से सांसद बने रहेंगे। वायनाड से प्रियंका गांधी उपचुनाव लड़ेंगी। 2024 लोकसभा चुनाव के नतीजे से उत्साहित कांग्रेस ने अपना रुख बदल लिया है। राहुल गांधी का रायबरेली संसदीय सीट को बरकरार रहना और वायनाड सीट छोड़ना उस आक्रामक दृष्टिकोण का संकेत है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के घर चली दो घंटे की बैठक के बाद खड़गे और राहुल ने इसका एलान किया।
राहुल गांधी के वायनाड छोड़ने के बाद प्रियंका गांधी लड़ेंगी उपचुनाव
इस मौके पर राहुल ने कहा कि यह मुश्किल फैसला था, क्योंकि दोनों ही जगहों से मेरा भावनात्मक जुड़ाव है। वहीं, प्रियंका ने कहा, मुझे वायनाड का प्रतिनिधित्व करने में बहुत खुशी होगी। वायनाड को राहुल की कमी महसूस नहीं होने दूंगी। सोमवार को राहुल गांधी द्वारा रायबरेली का सांसद बने रहने की घोषणा के बाद वायनाड से वीडियो सामने आया है। इसमें दिख रहा है कि कुछ लोग सड़कों पर प्रियंका गांधी स्वागतम के नारे लगा रहे हैं।
वायनाड को लोगों ने प्रियंका गांधी के उपचुनाव लड़ने के फैसले पर खुशी जताई है। इस निर्णय के साथ, कांग्रेस का लक्ष्य एक स्पष्ट संदेश देना है कि पार्टी हिंदी पट्टी में हार नहीं मान रही है और 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए अपनी जमीन हासिल करने के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेगी। बता दें कि रायबरेली लोकसभा सीट गांधी परिवार का गढ़ है। यहां से सोनिया, इंदिरा और फिरोज गांधी सांसद रहे। रायबरेली की जीत इस लिहाज से भी बड़ी है क्योंकि परिवार ने अमेठी की खोई सीट भी हासिल कर ली। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की भी सलाह थी कि राहुल रायबरेली सीट अपने पास रखें। सोनिया ने राहुल को समझाया था कि यूपी कांग्रेस के लिए बेहद जरूरी है, इसलिए उन्हें रायबरेली अपने पास रखना चाहिए। राहुल ने रायबरेली सीट से 3.90 लाख और केरल की वायनाड सीट से 3.64 लाख वोटों के अंतर से जीत दर्ज की है। संविधान के अनुच्छेद 101(2) के मुताबिक, कोई जनप्रतिनिधि दो सीटों से चुनाव जीत जाता है तो उसे रिजल्ट आने के 14 दिन के भीतर एक सीट से इस्तीफा देना होता है। अगर ऐसा नहीं करता है तो तो उसकी दोनों सीटें खाली मानी जाएंगी।
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वहीं भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने सोमवार को कहा कि राहुल गांधी के वायनाड सीट छोड़ने और उनकी बहन के उस सीट से उपचुनाव लड़ने के फैसले से यह साफ हो गया है कि कांग्रेस कोई राजनीतिक दल नहीं बल्कि एक परिवार की कंपनी है। उन्होंने कहा, ‘मां (सोनिया गांधी) राज्यसभा में रहेंगी। बेटा (राहुल गांधी) लोकसभा की एक सीट (रायबरेली) और बेटी (प्रियंका गांधी वाड्रा) की दूसरी सीट (वायनाड) होगी। यह सीधे तौर पर साम्राज्यवाद है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी का वायनाड सीट छोड़ना केरल के लोगों के साथ विश्वासघात है। इस फैसले से यह भी साबित होता है कि गांधी परिवार की ‘राजनीतिक विरासत’ उनके बेटे के पास ही रहेगी।